मेरे प्रिय पाठकों, जिसमें दुधमुहे बच्चों से लेकर उम्रदराज मेरे भाई बहन और बेटी बेटे जैसे युवा और स्कूल, कालेज जाने वाले टीन एजर सभी शामिल हैं । चौकिये मत, दुधमुहे इसलिए लिखा है कि बचपन की मधुर थपकियों से ही तो नींव बनती है । इसलिए जिसे बचपन प्यार भरा मिलता है वो सारी उम्र दोनो हाथो से प्यार लुटाता है। मैंने बचपन से प्यार बहुत देखा है इसलिए इन पन्नों में आप सबके लिए उड़ेल देती हूं । हौसले बुलंद हैं ये कुर्सी में बैठी एक वृद्धा कि अपनी कहानी है जो चाहे पैरों से ज्यादा नहीं चल पाती, पर बुलंद हौसलों की मलिका है । जो शारीरिक यातना उसने झेली है उसे याद करके रोंगटे खड़े हो जाते हैं आज जो भी असहाय, बेसहारा होता है उसकी जो भी मैं मदद कर सकती हूँ करती हूँ। ये भी चाहती हूँ कि अपने बलबूते पर जाने के बाद भी ये सिलसिला चलता रहे । आप सब मेरी पस्तके पढेगें तो अवश्य ही मेरी मनोकामना पूरी होगी । समस्त पाठकों को मेरा शुभ आशीर्वाद। जाने अनजाने हुई गलती के लिए अपने पाठकों से क्षमाप्रार्थी हूँ। आपकी अपनी ही शुभेक्षु । रश्मि।
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