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सुरीली - अध्याय 1

8 जुलाई 2022

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किस्सा है सुरीली दादी का,
दिव्या की प्यारी दादी का,

दिव्या सालों से दादी से दूर है,
दादी वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर है,

दिव्या ने माता पिता को टोका था,
दादी को वृद्धाश्रम जाने से रोका था,

पापा ने आँख दिखाकर दिव्या पर गुस्सा जताया था,
बड़ों के बीच बच्चे नहीं बोलते माँ ने बतलाया था,

सेवा सदन में भी दादी की अलग ही शान,
दर्द में भी दादी के अधरों पर मीठी मुस्कान,

दादी के दिल की धड़कन बढ़ जाती है,
जब भी फ़ोन की घंटी बज जाती है,

आज सुबह भी फ़ोन की घंटी दी सुनाई,
सहेली कमला भागी-भागी दादी के पास आई,

हाँफते हुए मुस्कुराकर कमला बोल पड़ी,
सुरीली आज तेरे खातिर फ़ोन की घंटी बजी,

आँखों में आसूँ भर सुरीली खुलकर मुस्काई,
बोली- ज़रूर मेरी दिव्या को मेरी याद आई,

मेरी गुड़िया रानी दिव्या तू कैसी है बता ?
इतने दिनों तक दादी को कैसे भूल गयी भला ?

तभी सुरीली के कानों ने शब्द सुनी माँ,
माँ, तुम कैसी हो ? मैं बोल रहा हूँ सूर्या,

बेटे आवाज़ सुनकर सुरीली की कर आवाज़ लड़खड़ाई,
तू  कैसा है ? माँ बस इतना ही बोल पाई,

मामा घर पर आए हैं कल ही रात,
ज़मीन के कागज़ पर दस्तख़त की है बात,

मैंने बताया उन्हें तुम्हारे सत्संग जाने की बात,
और बताया है लौट आओगी आज ही रात,

तुमने सुना ना माँ, मैं आज शाम ही  आ रहा हूँ,
मामा को सेवासदन नहीं सत्संग की बात बता रहा हूँ,

सहसा ही सुरीली की आँखों में चमक आ गई,
सुरीली के मन में भाई से मिलने की आस समा गई,

इंतज़ार ख़त्म हुई, सूरज ढ़लते ही सेवासदन जा पहुँचा सूर्या,
सुरीली दादी खिल उठी जब गले लगी लाडली दिव्या | 

JAIDEV TOKSIA

JAIDEV TOKSIA

👌👌👌

2 सितम्बर 2022

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रचनाएँ
सुरीली - काव्य संग्रह
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सुरीली एक काव्य संग्रह है,इसमें कथा को कविता के रूप में प्रस्तुत किया गया है...
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