कभी स्कूल में हमने हमारे हिन्दू आश्रम व्यवस्था के बारे में पढ़ा था, जिसमें हमें बताया गया था कि चार आश्रम ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास होते हैं। तब हमें पता नहीं था कि समय के साथ इन आश्रम व
डियर काव्यांक्षी कैसी हो प्यारी🥰 मैं भी मजे हूं।आज का विषय मिला वृद्ध आश्रम काव्यांक्षी मेरा तो मानना है । इस शब्द का
वृद्धाश्रम की बात आते ही अधिकांश लोगो के मन में वृद्ध व्यक्तियों के दुःख तकलीफ का चित्रण उभर उठता है I ऐसा माना जाता है की वृद्धाश्रम में बेसहारा वृद्ध रहते है I यद्यपि इस बात को अस्वीक
सबसे बड़ा आश्रम घृसथ आश्रम को बताया गया है | जिसमे की एक अविवाहित वर और वधू विवाह कर अपनी&nbs
एक वृद्धाश्रम - जिसे कभी-कभी सेवानिवृत्ति गृह भी कहा जाता है, बुजुर्गों के लिए एक सुविद्यावो युक्त आवास सुविधा है। आमतौर पर, घर में प्रत्येक व्यक्ति या जोड़े के पास एक अपार्टमेंट-शैली का कमरा या कॉमन
Hello friendsआज काफी दिनों के बाद मैं आप लोगों से मिल रही हूं और आशा करती हूं की आप सब लोग ठीक होंगे ? आज का हमारा लेख " वृद्ध आश्रम " का है , तो हमारी बातें तो जारी ही रहेंगी , फिलहाल चलिए चलते
दिलरुबा दिनांक -8/9/22 दिन-बृहस्पतिवार मेरी प्यारी दिलरुबा और साथियों आज का टॉपिक वृद्ध आश्रम एक गंभीर समस्या की ओर इशारा करता है वृद्ध आश्रम में आज बूढ़े और अनाथ लोग ही नहीं बल्कि वह लोग रहने प
8/9/2022प्रिय डायरी, आज का शीर्षक है वृद्धाश्रम, आज का युग कर्मयोगी हो गया है युवा पीढ़ी खास तौर पर लड़कियां और महिलाएं म
सुख और उम्र का तालमेल,आपस में कब बनता है।कैसे उम्र ये कटती रहती,सुख दुःख जीवन में रहता है।।सुख और समृद्धि जीवन में,शांति जीवन में लाती है।आशा और निराशा के बीच,भंवर में डोलती रहती है।।सुख कब मिलता जीवन
प्रभु की लीला कहूं या जमाने की फितरत जो पिता सारी उम्र अपने बच्चों का भविष्य संवारने में अपनी जीवन पूंजी लगा देता है वहीं बेटे पिता के बुढ़ापे में उन्हें वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं आखिर क्या हो गया हमा
वृद्धावस्था के कारण होने वाली समस्याएं एवं उनके समाधान आजकल के समय वृद्धजनों को बहुत अलग अलग दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । जिनमें से कुछ प्रमुख है जैसे अकलेलापन ,कोई बीमारी, अनिद्रा एवं चिंत
मुद्दतों बाद भैया और दिव्या संग मुस्कुरा रही थी,अरसों बाद आज सुरीली आज मायके जा रही थी | सुरीली की सवारी गांव के बहुत पास आ गई थी,पर आज सुरीली गांव पहचान ना पा रही थी | जंगलों और पर्वतों&nbs
ज्यों-ज्यों सुरीली की मंज़िल करीब आ रही थी, त्यों-त्यों सुरीली की धड़कन बढ़ती जा रही थी | आठ बरस बाद वो अपने घर को देख रही आज, जिसे उसके पति ने बनाया था मसक्क्तों के बाद | दिव्या हौले से अपनी द
किस्सा है सुरीली दादी का, दिव्या की प्यारी दादी का, दिव्या सालों से दादी से दूर है, दादी वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर है, दिव्या ने माता पिता को टोका था, दादी को वृद्धाश्रम जाने से रोका था, पापा ने आ