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सुरीली दादी - अध्याय 2

12 अगस्त 2022

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ज्यों-ज्यों सुरीली की मंज़िल करीब आ रही थी,

त्यों-त्यों सुरीली की धड़कन बढ़ती जा रही थी |

आठ बरस बाद वो अपने घर को देख रही आज,

जिसे उसके पति ने बनाया था मसक्क्तों के बाद |

दिव्या हौले से अपनी दादी के कानों में बोली,

तुम वापस नहीं जाने वालीवाली पोती अब बड़ी हो ली |

प्यारी दादी माँ अपने घर को बाद में लेना निहार,

अंदर चलो मामा नाना तुम्हारा कर रहे हैं इंतज़ार |  

दशकों बाद जब बड़े भाई ने सर पे प्यार से हाथ फेरा,

सुरीली रो पड़ी, भावुक भावनाओं ने  उसको घेरा |

प्यार से बड़े भाई ने कहा सर पर हाथ फेर कर,

गर्वित होता होता हूँ, तुम्हारे सुख-सम्पन्नता देखकर |

निशब्द सुरीली मुस्काती रही बड़े भैया को देखकर,

बेटा सूर्या सब सुनता रहा खड़ा रहा बस बुत बनकर |

बहना ! वक़्त के साथ इंसान बहुत बदल रहा है,

इंसानियत लुप्त हो गई है, छल ही छल रह गया है |

बहना ! गांव में ज़मीनें जो तेरे नाम यूँ ही पड़ी हैं,

कुछ गलत लोगों की नज़रें उन ज़मीनों पर गड़ी है |

बहना ! गांव में कुछ औरतें हैं बहुत ही लाचार,

अपनी ज़मीनें देकर उनका जीवन दो संवार |

सुरीली बोली-भैया ! आप हमेशा ही सही कहते हैं,

हमेशा ही गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद करते हैं |

आप जैसा कह रहे हैं मैं बिल्कुल वैसा ही करुँगी,

नेक कार्य में देरी कैसी,अभी के अभी गांव चलूंगी |

दादी के गांव जाने की बात सुन दिव्या अड़ गई,

माँ-पापा ने मना किया तो खुल कर लड़ गई |

अरसों बाद सुरीली भाई और दिव्या के संग माइके जा रही है,

और पूरे रास्ते सुरीली दादी मंद-मंद मुस्कुरा रही है।


तीषु सिंह 'तृष्णा' 

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रचनाएँ
सुरीली - काव्य संग्रह
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सुरीली एक काव्य संग्रह है,इसमें कथा को कविता के रूप में प्रस्तुत किया गया है...
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सुरीली - अध्याय 1

8 जुलाई 2022
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किस्सा है सुरीली दादी का, दिव्या की प्यारी दादी का, दिव्या सालों से दादी से दूर है, दादी वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर है, दिव्या ने माता पिता को टोका था, दादी को वृद्धाश्रम जाने से रोका था, पापा ने आ

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सुरीली दादी - अध्याय 2

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ज्यों-ज्यों सुरीली की मंज़िल करीब आ रही थी, त्यों-त्यों सुरीली की धड़कन बढ़ती जा रही थी | आठ बरस बाद वो अपने घर को देख रही आज, जिसे उसके पति ने बनाया था मसक्क्तों के बाद | दिव्या हौले से अपनी द

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सुरीली - अध्याय - 3 

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मुद्दतों बाद भैया और दिव्या संग मुस्कुरा रही थी,अरसों बाद आज सुरीली आज मायके जा रही थी | सुरीली की सवारी गांव के बहुत पास आ गई थी,पर आज सुरीली गांव पहचान ना पा रही थी | जंगलों और पर्वतों&nbs

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