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सुरीली - अध्याय - 3 

12 अगस्त 2022

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मुद्दतों बाद भैया और दिव्या संग मुस्कुरा रही थी,
अरसों बाद आज सुरीली आज मायके जा रही थी | 

सुरीली की सवारी गांव के बहुत पास आ गई थी,
पर आज सुरीली गांव पहचान ना पा रही थी | 

जंगलों और पर्वतों  तक की शक्लें बदल चुकी थी,
इतने बरसों में चीज़ें इतनी ज्यादा बदल चुकी थीं | 

जब गांव के मिट्टी की खुशबू सांसों में समाई,
तब सुरीली वो ही पुराने अहसास महसूस कर पाई | 

घर पर पहुँच सुरीली के भैया ने विभा को आवाज़ लगाई,
प्यारी-सी महिला फीकी गुलाबी लिबास में बाहर आई | 

चेहरे पर मुस्कान थी और सर पर था पल्लू किया,
बुआ को चरण स्पर्श और दिव्या को आशीष दिया | 

घूँघट के पीछे होकर भी चेहरे में खास बात थी,
विभा में अलग ही तेज था और अलग ही बात थी | 

शाम की चायपर चाय संग पकौड़ियों ले विभा आई,
पिताजी-बुआ ज़रूरी बात करनी है ये बात उसने बताई | 

आप दोनों बेसहारों की मदद करना चाहते हैं,
उन्हें ज़मीन,मकान और अनाज देना चाहते है | 

इन्हें सहारे से अधिक उद्देश्य और मकसद की ज़रूरत है,
इन्हें आश्रय से अधिक ठिकाने और मंज़िल की ज़रूरत है | 

ये वो औरतें हैं जिनके परिवार को उनकी ज़रूरत नहीं,
ये वो लोग हैं जिनके पास जीवन का मकसद नहीं | 

सुरीली से भैया बोले -

देख रही हो ना बहना ! मेरी बहू है कितनी सयानी-सी,
बेटा बुआ को बताओ परिकल्पना भी परियोजना भी |  

तुम्हारी बुआ भी बिल्कुल तुम्हारी तरह हुआ करती थी,
गरीबों-ज़रूरतमंदों की खूब मदद किया करती थी | 

ये सब सुन दिव्या से रहा ना गया और वो बोल पड़ी,
विभा मामी आपकी योजना में मैं भी हूँ साथ खड़ी | 

सोचा ये सारे ज़रूरतमंद पुरानी हवेली रह जाऍं,
बुआ यहाँ रहकर अचार-पापड़ के नुस्खे बताएँ | 

फिर शुरू होगा व्यापार,औरतों को मिलेगा रोज़गार,
बिकवाली की जिम्मेदारी मेरी, मैं सम्भालूंगी बाज़ार | 

विभा मामी मैं व्यापार की खास पढ़ाई कर रही हूँ,
पर आप जैसी गुणवान उसकी भी मोहताज़ नहीं | 

सुरीली चुपचाप थी और सबकी बातें सुन रही थी,
और एकदम से अचानक मन की बात बोल पड़ी |

मुझे सहारे से अधिक उद्देश्य और मकसद चाहिए,
और आश्रय से अधिक ठिकाना और मंज़िल चाहिए | 

अभी के लिए ये ही मेरा मकसद है,ये ही मेरी मंज़िल है,
दिव्या दादी का हाथ थामती है और दादी मुस्कुराती है |
                                                        
                                                       -तीषु सिंह
 Dr.Jyoti Maheshwari

Dr.Jyoti Maheshwari

बहुत अच्छा लिखा है आपने।

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