जरा सोचिये क्या होगा अगर आपके पत्ते पर किसी ऐसे व्यक्ति की चिट्टी आ जाये . जिसे आप जानते ही ना हो। शायद आप इसे नजरंदाज कर देंगे लेकिन फिर दूसरी चिठ्ठी आगे पर एक वार को आप सोचने पर मजबूर हो जायेंगे क्या होगा अगर आप उन दोनों चिट्ठियों का जवाब लिख के भेज दें और उधर से आपकी चिट्ठी का जवाब भी आ जाये। किसी ऐसे व्यक्ति से केवल चिट्टियों से बात करना जिससे आप कभी मिले ही ना हो और ना ही जानते हो जिसके बारे में उसके नाम और पते के अलावा आपके पास और कोई जानकारी न हो। चिट्टियों से आप उसे जानने पहचाने लगते हैं लेकिन समझ में नहीं आता कि आपके और उसके बीच में रिश्ता क्या है अचानक से आपको पता चलता है कि वो मुसीबत में है तो क्या आप उसकी मदद करेंगे अगर हाँ तो किस हद तक ऐसे में लेखर्क आपकी सहायता करेंगे। किताब पड़के आपको आपके सारे सवालों का जवाब मिल जाए। यदि आप किसी जवाब से असंतुष्ट है तो लेखक से शिकायत या चर्चा आपके अधिकार क्षेत्र में है। कहते हैं कि प्रेम को मापा नहीं जा सकता लेकिन सभी अपने प्रगाढ़ प्रेम को जाहिर करने के लिए इसे अनेक पैमाने से मापने की कोशिश करते हैं। कोई आसमान में भरे तारे से भी ज्यादा बताता है, कोई समुद्र से ज्यादा गहराई वाला तो कोई अपने जीवन से कहीं अधिक कीमती बताता है। कोई तो ये भी कहता है ऐसा कोई पैमाना नहीं है जो उसके प्रेम को माप सके। सच कुछ भी हो लेकिन सब अपनी बात को सच बताते हैं। इस किताब में लेखक ने भी प्रेम को गिनतियों में मापने की कोशिश की है और मात्रा सवा छः बताई। जब किसी से प्रेम के बदले में स्वार्थ मिले तो ऐसे रिश्तों कि उम्र बस आने वाली किसी भी सुबह या शाम तक होती है। ऐसे रिश्तों के टूटने पर दोबारा प्रेम मात्र एक डर होता है लेकिन भरोसा और प्रेम के साबित होने के बाद उस प्रेम की उम्र आजीवन रहती है।
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