अगली सुबह हुई, सोमवार का दिन था। प्रेम समय से ऑफिस पहुंच गया। मिली भी ऑफिस पहुंच गई थी। प्रेम ने मिली को देखा और उसके पास जाकर बोला: "गुड मॉर्निंग मिली।"मिली: "वैरी गुड मॉर्निंग प्रेम।"प्रेम: "कैसी हो
कस्तूरी नाभि बसे, मृग न करे अहसास, ज्ञान की कस्तूरी गई, बिना किये अभ्यास। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
बादल बरस रहे, फूल सारे हँस रहेधरती भी प्यासी, झूम-झूम नाच गा रहे शीतल पड़े फुहार, पेड़ गायें मल्हारनन्ही-नन्ही बूंदों सँग, हवा भी इतरा रहे
कोई तो सिखाओ मुझे तरीक़े ज़िन्दगी के,जब उदास होता हूँ तो हँसता बहुत हूँ!