10 जून 2022
कभी-कभी तुम्हारी सरल चितवन, क्यों मेरे मन में संदेह जगाती है कि तुम मेरे उतने पास नहीं हो, जितने मुझसे दूर? तुम्हारी प्रत्येक जिजीविषा ने मेरी भव्यता को उस दृष्टि से नहीं देखा जिस दृष्टि से