यादों में तेरे कितना मर रहा है
तेरे ही गम में आहे भर रहा है
तुम सा न है जग में
दुनिया से कह रहा है कोई
अरमा में तेरे तकिया लगा रहा है कोई---
तेरी यादों में जिन्दगी गंवा रहा है कोई---|
इश्क से हारा हुआ वो
जमाने से डरा हुआ वो
गम का मारा हुआ
मैय्यत बना रहा है कोई---
इश्क खातिर आँसू बहा रहा है कोई---
तेरी यादों में जिन्दगी गंवा रहा है कोई---||
तुमको बस जानेमन कहा था उसने
खीच के थप्पड़ उसे मारा था जो तुमने
डूब कर मर गया वो तुम्हारे गम में
तेरे मोहब्बत में जनाजे पे जा रहा है कोई---
तेरे जज्बात में सुपुर्दे-खाक हो रहा है कोई---
तेरी यादों में जिन्दगी गंवा रहा है कोई---|||