ईशर सिंह जूंही होटल के कमरे में दाख़िल हुआ, कुलवंत कौर पलंग पर से उठी। अपनी तेज़ तेज़ आँखों से उसकी तरफ़ घूर के देखा और दरवाज़े की चटख़्नी बंद कर दी। रात के बारह बज चुके थे, शहर का मुज़ाफ़ात एक अजीब पुर-अस