यू तो समझदार हू
सबको बातें समझा जाती हूं
फैसला लेना हो जब खुदकी ज़िन्दगी का,
ना जाने क्यूं भटक जाती हूं।
पहली मोहब्बत से जब उभरी,
तो सोचा ये गलती दुबारा नहीं करूंगी।
पर बेह कर उन जज़्बातों में,
फिर मोहब्बत कर बैठी।
दिल टूटा था मेरा जब, अब कुछ बिखर सा गया है
भरोसा उठा था तब, अब सबसे साथ छूट गया है।
कोशिश कर रही हूं खुद को दुबारा जोड़ने की,
पर हालातों का समुन्दर मुझे जुड़ने नहीं दे रहा है।
क्या गलती थी मेरी दिल बार बार पूछता है,
क्यूं मेरी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जाता है।
जवाब नहीं है मेरे पास उसके इन सरवालों का,
अब कोई है नहीं मेरे पास जिसे सुना सकूं हाल अपने दिल का।