एक किताब सी जिंदगी मेरी..!
एक खुली किताब सी है ये जिंदगी मेरी.
जिस पर कहीं खुशी के पल,
तो कहीं गम लिखा है,
जिस पन्ने पर फिर भी जैसा लिखा है,
मैंने हर पन्ने को,
उतनी ही खुबसूरती से पढ़ा है,
कभी किसी सुबह कोई साथी मिला,
तो शाम ढले वो भी बिछड़ है,
कभी किसी पन्ने पर खाली सी खामोशी कोई,
तो किसी पर शब्दों में दर्द छिपा है,
कागज़ बैशक पुराना सा,
मगर गत्ता आज भी नया सा है,
अब बस भरी भरी इस किताब में ढूंढ रहा हूँ,
आखिर ये अंत लिखा कहां हैया..!!