हम अपनी गज़लों में भी तुझसे इज़हार करते है
महफिलों में भी तेरा ज़िक्र बार बार करते है
तेरी लिए जीते है और तुझी पे जां कुर्बान करते है
हम तेरे लौटने की दुआ आज भी यार करते है।
रूठी रूठी रहती है अब मेरी नज़म मुझसे
खफ़ा खफ़ा रहती है अब मेरी कलम मुझसे
हम तुझसे मोहब्बत आज भी बेशुमार करते है
हम तेरे लौटने की दुआ आज भी यार करते है
अपने खाली पड़े दिल को तेरी यादों से भरते है
तेरी दिखाई मोहब्बत की राह पर हम आज भी चलते है।
तू छोड़कर गया था जहां वहां खड़े आज भी इंतजार
करते है
हम तेरे किये हर वादे पर आज भी ऐतबार करते है।
हम तेरे लौटने की दुआ आज भी यार करते है।
धूप बनकर बिखरते हो तुम मेरे आंगन में
बारिश बनकर मिलते हो मुझसे सावन में
आज भी करके तुझे याद हम आह भरते है।
हम तुझे खोने से आज भी यार डरते है
हम तेरे लौटने की दुआ आज भी यार करते है