रिटायर्ड आकाशवाणी कम्पेयर , हिंदी साहित्य प्रेमी
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हज़ारो दीप भी कम है अंधेरो को मिटाने के लियेहो संकल्प मन में अगर तो एक दीप काफी है उजाले के लिये प्रेम है शब्द ऐसा किभेद आपस के मिटाता मगरएक कटु वचन ही काफी है दोस्ती मिटाने के लियेअगर भूल जाये रास्ता कोईअगरतो दिया झोपड़ी का ही काफी है रास्ता दिखाने के लिएजीवन में लग
आज हम बड़े हो गए हैं, हम में से बहुत से नौकरी करते हैं औऱ हमारे पास पैसे भी होते हैं लेकिन वो सुकून नहीं होत
बादल ने पूछा धरती से तुंम इतनी सहनशील कैसे रहती होमें बदली बरसा दूँ तो तुममिटटी की सुगंध बिखेर देती होझूम झूम कर बरसूं तो जल समेट लेती होबरसा दूँ ओले तो दर्द सहकर भी कुछ नही कहती होधरती मुस्काई, बोली तुंम भी पिता की तरहबच्चों के
कुछ कहानियां बहुत अलग होती हैं और जो दिल को छू जाती हैं वो ही दिल में उतरकर लंबे समय तक याद रह जाती हैं। कहानी लिखने का तरीका बहुत अलग होता है और सारा खेल लेख का होता है कोई कम शब्दों में बहुत कुछ लिख देते हैं तो कोई ज्यादा शब्दों में भी अपनी बातें समझा नहीं पाते। यहां इस कहानी में एक महिला अपने बेट
आज रिंकू को आने दो आते ही कहती हूं बेटा जल्दी ही मेरा चश्मा बदलबा दो अब आँखों से साफ नही दिखता।लो आ भी गया रिंकू आतुर होकर मैन की बात कह डाली। " अरे माँ दो मिनट चैन से बैठने भी नही देती कौन सी तुम्हे इस उम्र में कढाई सिलाई करनी है? और फ
हर बार की तरह एक और दिलचस्प स्टोरी आपके लिए मैं लेकर आई हूं। इस कहानी में आपको कुछ दिलचस्प बातें बताने वाली हूं जिसे पढ़कर आपको बहुत अच्छा लगेगा। एक लड़की जब अपने मायके जाती है तो उसका मन किस तरह से प्रफुल्लित होता है वो इस कहानी में मैंने बताने की कोशिश की है। पसंद आए तो दूसरों को भी पढ़ाइएगा।एक और