कण-कण में है व्याप्त तू
जन-जन को है, प्राप्त तू
तुझमें समाया मात मैं,
हम बच्चों की है गात तू
तू ही भारती भारत भी तू
तोप, टेंक औ' जेट भी तू
शस्यश्यामला खेत भी तू
गौ गंगा गायत्री-सी तू
तू ही सीता सावित्री भी तू
तू ही भारती भारत भी तू
गीता गौतम का ज्ञान तू
गांधी तिलक का मान तू
तू सीमा औ' सैनिक भी तू
शक्ति तू है और भक्ति भी तू
तू ही भारती भारत भी तू
बोली भाषा संस्कार तू
व्यक्ताव्यक्त व साकार तू
पृथु, प्रथा व पृथ्वी - माता
तू ही भारती भारत भी तू
तू ही भारती भारत भी तू
कृष्ण प्रसाद उपाध्याय
9968960540
(14/011/2021)