तुम्हारे हो कर भी हम तुम्हें अपना बना ना सके
तुम्हें पाकर भी ए मेरे हमदम तुम्हें हम पा ना सके
तुम भी अधूरे ही रहे पर हम भी पूरे हो ना सके
ख्वाबों के मंजर धुंधले हुए,सपनें भी पूरे हो ना सके
समुंद्र की उठती लहरों में दिल की कश्ती ना पार हुई
बेशक तुम्हारी जीत हुई,हम खुद से ही ना जीत सके
आप चाहे ना सुनो हमें,हमको कोई परवाह नहीं
आपसे किए कसमें–वादों को नजरंदाज हम कर ना सके
साथ रहकर आप हमारे कभी खुश ना हुए
आपसे दूर होकर हम, कभी मुस्कुरा ना सके
जिन रिश्तों को कभी अत्यंत प्रेम से सजाया था हमने
चाह कर भी उन रिश्तों से,अपना दामन हम छुड़ा ना सके
हर ख्वाब तो जैसेअधूरी ख्वाइश ,बन कर ही रह गई
लाख कोशिश कर के भी ,हकीकत में हम बदल ना सके
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प्रिया राव 📚✍🏻