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तुम्हें अपना बना ना सके✍🏻📚

2 अप्रैल 2024

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तुम्हारे हो कर भी हम तुम्हें अपना बना ना सके
तुम्हें पाकर भी ए मेरे हमदम तुम्हें हम पा ना सके

तुम भी अधूरे ही रहे  पर हम भी पूरे हो ना सके
ख्वाबों के मंजर धुंधले हुए,सपनें भी पूरे हो ना सके

समुंद्र की उठती लहरों में दिल की कश्ती ना पार हुई
बेशक तुम्हारी जीत हुई,हम खुद से ही ना जीत सके

आप  चाहे  ना  सुनो  हमें,हमको  कोई  परवाह नहीं
आपसे किए कसमें–वादों को नजरंदाज हम कर ना सके

साथ  रहकर आप  हमारे  कभी  खुश  ना  हुए
आपसे  दूर  होकर  हम,  कभी  मुस्कुरा  ना  सके

जिन रिश्तों को कभी अत्यंत प्रेम से सजाया था हमने
चाह कर भी उन रिश्तों से,अपना दामन हम छुड़ा ना सके

हर ख्वाब तो जैसेअधूरी ख्वाइश ,बन कर  ही रह गई
लाख कोशिश कर के भी ,हकीकत में हम बदल ना सके


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पी राइट      

प्रिया राव 📚✍🏻               

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RAM DAS

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Bahot hi khubsurat line likhi hai apne

3 अप्रैल 2024

प्रिया राव(रघुवंशी) ✍🏻📚

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3 अप्रैल 2024

जी धन्यवाद,,,, राधे राधे 🙏🏻

मीनू द्विवेदी वैदेही

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आप मुझे फालो करके मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा और लाइक जरूर करें 🙏🙏🙏

2 अप्रैल 2024

प्रिया राव(रघुवंशी) ✍🏻📚

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2 अप्रैल 2024

जी मैं अवश्य पढूंगी ,,,,, राधे राधे 🙏🏻💐

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने प्रिया जी

2 अप्रैल 2024

प्रिया राव(रघुवंशी) ✍🏻📚

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2 अप्रैल 2024

सहृदय आभार मीनू जी 😊

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