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Questing - of a new world

14 सितम्बर 2022

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सुबह के करीब तीन बज रहे थे ज़ब सहर्ष प्लेन को चालीस हजार फ़ीट की ऊंचाई पऱ उड़ा रहा था उसकी स्पीड पंद्रह सौ किलोमीटर प्रति घंटा थी। कॉकपिट में को पॉयलेट ईवाना भी मौजूद थी। लैंडिंग में कुछ ही देर बचे हुए थे सहर्ष का पूरा ध्यान आगे के रास्ते पऱ था जिसे वो हेलमेट में लगे नाईट विजन विज़र से देख रहा था। ईवाना सहर्ष के कमांड पऱ नवीगेशन मेंटेन कर रही थी साथ ही एयर ट्रैफिक कण्ट्रोलर से कम्युनिकेट कर रही थी। उनका प्लेन इस वक़्त  दो पहाड़ो के ऊपर से गुजर रहा था सहर्ष एयर वे नजर जमाये हुए था तभी उसे कुछ दुरी पऱ कोई ऑब्जेक्ट दिखाई दिया  सहर्ष हैरान होकर उसे देखने लगा क्योंकि वो ऑब्जेक्ट तेजी से उनके तरफ बढ़ रहा था ये कोई कॉमर्शियल या मिलिट्री एयरक्राफ्ट तो नहीं हो सकता था क्योंकि उन्हें रूट गॉइडलाइन पता रहती हैं वो किसी एयरक्राफ्ट के रास्ते में नहीं आते थे। उसने तुरत एटीसी को इसकी इंफार्मेशन दी। एटीसी ने बताया की उनके राडार में एक ऑब्जेक्ट दिख रहा हैं लेकिन वो ट्रांसपोन्ड नहीं कर रहा हैं....उन्होंने सहर्ष को प्लेन राडार से उस ऑब्जेक्ट को आइडेंटिफाई करने को कहा।  उसने ईवाना को कमांड किया लेकिन ईवाना ही उसे राडार पऱ चेक कर चुकी थी ऑब्जेक्ट की स्पीड तीन हजार किलोमीटर प्रति घंटा था। ऑब्जेक्ट और प्लेन के बीच डिस्टेंस चालीस किलोमीटर दूर थाउसकी हाईट चालीस हजार फिट थी। वो ऑब्जेक्ट कुछ ही पल  में उनके पास आ चुका था। सहर्ष सोचने लगा की ऐसे तो दोनों टकरा जायेंगे और सारे यात्रियों के साथ वो भी मारे जायेंगे, कैसे भी इस सिचुएशन से बाहर निकलना होगा क्योंकि अब दोनों आमने सामने  बिल्कुल करीब थे वो ऑब्जेक्ट किसी एयरक्राफ्ट जैसा तो बिल्कुल नहीं लगा रहा था वो बहुत अलग किस्म का दिख रहा था उसका शेप ओवल था और उसके बेस पऱ प्लेटनुमा स्ट्रक्चर था वो गहरे भूरे रंग था जिसमे से बहुत तेज लाइट जल रही थी उस लाइट में उस ऑब्जेक्ट को देखना मुश्किल हो रहा था वो तेजी प्लेन के पास आया लेकिन वो प्लेन के कुछ फ़ीट नीचे से गुजर गया क्योंकि सहर्ष ने प्लेन की ऊंचाई बढ़ा दी थी हालांकि ऐसा करने में रिस्क था लेकिन उस पास कोई ऑप्शन नहीं बचा था। वो ऑब्जेक्ट पीछे चला गया। सहर्ष ने प्लेन को फिर नार्मल हाईट पर लाया। सहर्ष एयरक्राफ्ट में एक्सपर्ट था लेकिन पेसेंजर को किसी डेंजर में नहीं डालना चाहता था ईवाना ऑब्जेक्ट को बैक व्यू में देख रही थी वो कुछ दूर जाकर लेफ्ट साइड में मुड़ गया और कुछ ही पल बाद दोनों के बीच एल का शेप बन गया था। ईवाना हर मोमेंट को सहर्ष को इंफार्म कर रही थी। कुछ दूर आगे जाने के बाद ही ऑब्जेक्ट का डायरेक्शन चेंज हो गया वो प्लेन के तरफ बढ़ने लगा। सहर्ष और ईवाना हैरान थे क्योंकि ऑब्जेक्ट जिस डायरेक्शन और स्पीड से आ रहा था स्पष्ट था कि वो उनके प्लेन से टकराता। ईवाना ने बताया कि ऑब्जेक्ट की स्पीड और बढ़ गई है ऑब्जेक्ट एक बार फिर से उनके बेहद करीब आ चुका था ईवाना लगातार उसके सोईद और हाईट की इंफार्मेशन सहर्ष को दे रही थी वो बस अब प्लेन से टकराने वाला था  ईवाना ने एक पल के लिए अपनी आँखे कस कर बंद कर ली शायद वो अपनी मौत को यूँ खुली आँखों से देखना नहीं चाह रही थी  सहर्ष की सांसे हलक में अटक गई लेकिन कुछ मीटर की दुरी पऱ आकर वो सहर्ष के प्लेन के थोड़ी सी साइड और थोड़ा ऊपर से  लाउड नॉइज़ के साथ तेजी से निकल गया।  जिसे सुनकर प्लेन के यात्री घबरा उठे।  कुछ पल बाद ज़ब ईवाना आँखे खोल कर पहले सहर्ष को देखी जो अब हल्का सा मुस्कुरा रहा था।
" ये  अजीब इंसान ऐसे डेडली सिचुएशन में भी मुस्कुरा रहा है?? " सोचते हुए उसने सिस्टम पऱ नजर डाली वो एक पल को चौंक गई क्योंकि अब ये प्लेन पैंतीस हजार की ऊचाई पऱ थी और उसका लोकेशन भी राइट साइड में सिफ्ट हुआ था उसे याद आया की वो ऑब्जेक्ट ज़ब टकराने वाला था तब भी उसने सारी इंफार्मेशन चेक थी तो उनका प्लेन चालीस हजार फ़ीट की ऊंचाई पऱ ही था और वो बिल्कुल रूट लाइन पऱ ही था। बस कुछ ही पल में सहर्ष ने क्विक एक्शन लेते हुए सारे पेसेंजर की जान बचा ली थी अगर वो थोड़ा भी लेट करता था पूरा प्लेन इस वक़्त जल रहा होता। तभी होस्टेज घबराते हुए अंदर आई।
" व्हाट हैपेंड?? दिस पिएरसिंग साउंड?? " होस्टेज की आवाज में परेशानी और डर दोनों झलक रहा था।
" डोंट वरी... वी आर सेफ...। " ईवाना ने कहा तो होस्टेज चली गई और पैसेंजर को शांत कराने लगी जो उस आवाज से बहुत डरे हुए थे। ईवाना ने सारी इंफार्मेशन एटीसी को दे दी थी। सभी हैरान थे उस ऑब्जेक्ट के वजह से। 
" वो क्या था?? मैंने आज तक ऐसा कुछ नहीं देखा?? " ईवाना अपना फोकस सिस्टम पऱ लगाती हुई बोली क्योंकि अब प्लेन लैंडिंग करने वाला था।
" मे बी यूएफओ...। " सहर्ष ने कहा तो ईवाना की आंखे फ़ैल गई। ईवाना और सहर्ष सतर्क थे कहीं फिर वो ऑब्जेक्ट उनके करीब ना आ जाये 

सुबह के पांच बज रहे थे। कर्ट और ऊर्जित कमरें में सोये हुए थे । ऊर्जित की आँखे खुली तो देखा की महाकाय कमरें में नहीं था। ऊर्जित ने आँखे बंद करके अपने सीने पर हाथ रखा फिर तुरंत उठकर टेरिस पर चला आया जहां महाकाय पालथी मारकर बैठा हुआ था। ऊर्जित आकर उसके पास पालथी मारकर बैठ गया। महाकाय बस मुस्कुरा कर उसे देखा।
महाकाय - " तुम दो मिनट लेट हो... तुम्हें पता हैं सुज्ञ को समय के कितने पाबंद हैं...। "
" मेंरे लिए थोड़ी सी छूट रहती हैं...। " ऊर्जित उसके गले में हाथ डालकर हँस दिया तो महाकाय उसे घूरने लगा। फिर दोनों अपने जगह जगह पर पालथी मारकर सीधा बैठ गए। उन्होंने अपने दोनों हाथ के इंडेक्स फिंगर और अंगूठे को आपस में जोड़कर अपने घुटने पर रखकर मैडिटेट होने लगे।

एक घना जंगल जिसमे सूरज की रौशनी भी कहीं कहीं पेड़ो से छनकर आ रही थी लेकिन अधिकतर जगहों पर घनघोर अंधेरा था ये जंगल पहाड़ो पर बसा था. महाकाय और ऊर्जित दोनों इस जंगल के बीचो बीच में खडे थे वो वो धीरे धीरे अपने कदम आगे बढ़ाने लगे कुछ कदम चलकर ही उनकी चाल तेज हो गई और वो लगभग दौड़ने से लगे थे। वो इस जंगल में इस तरह भाग रहे थे जैसे वो इस जंगल के चप्पे चप्पे  से वाकिफ हो। वो जैसे जैसे आगे बढ़ रहे थे वो पहाड़ की ऊचाई पर आगे बढ़ रहे थे कुछ ही पल में वो विशाल घनघोर के जंगल से पार कर उसके किनारे पर आ चुके थे। उनके सामने अब पहाड़ की ऊँची और विशाल चोटी थी जो पूरी तरह बर्फ से ढकी हुई थी। ऐसा लग रहा था जैसे मानो किसी ने उसे सफ़ेद चादर से ढक दिया हो। कोई चोटी ऊँची कोई छोटी थी किसी की चौडाई अधिक थी किसी की कम। दो पहाड़ो के बीच के गहरे जगहों से पानी की छोटी छोटी कई सारी धाराएं बह रही थी। देखने में ये जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं लग रहा था। महाकाय और ऊर्जित के चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान थी। उन्होंने अपनी आँखे बंद कर ली। ज़ब उन्होंने अपनी आँखे खोली तो वो घाटीयों में थे। वहाँ का दृश्य और भी खूबसूरत था। चारों ओर बर्फ ही बर्फ था ऊपर का आसमान का रंग सतरंगी हो चुका था। उगते सूरज की हल्की रौशनी ज़ब पहाड़ो को चूम रही थी तो सफ़ेद बर्फ सुनहरे रंग में चमकने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे पहाड़ सोने का हो गया हो। महाकाय और ऊर्जित ने सामने देखा जहाँ बर्फ के एक ऊँचे टीले एक बूढ़ा आदमी  योग मुद्रा में बैठा हुआ था जिसके लम्बे लम्बे सफ़ेद कमर तक बाल थे साथ ही सिर पर बड़ा सा जटा बँधा हुआ था। उसकी सफ़ेद दाढ़ी और मुझे भी काफ़ी बढ़ी हुई थी। उसने सफ़ेद रंग का धोती पहना हुआ था साथ ही एक पतला कपड़ा ऊपर ओढ़ रखा था उसकी आँखे बंद थी। उसके माथे, बाहों, गर्दन और कानों के पास के जगहों पर चंदन का तिलक लगा हुआ था। गले में रुद्राक्ष की कई फेरों का माला बाहों पर और कलाईयों पर भी रुद्राक्ष बँधा हुआ था उनके चेहरे से ओज, तेज, शौर्य, शांति, आनंद सभी झलक रहा था उसे देखते ही महाकाय और ऊर्जित को बहुत अलग दिव्यता का अनुभव हुआ। महाकाय और ऊर्जित घुटने के बल बैठ गए फिर आगे झुक कर सिर को जमीन से टिका दिया और दोनों हाथों को जोड़ कर आगे कर दिया।
" ईश्वर तुम्हारा कल्याण करें। " एक गंभीर सी आवाज उस सन्नाटे में गुंजी। जो उस बूढ़े सन्यासी की थी। दोनों अपने सिर को उठाकर उन्हें देखने लगे उस सन्यासी की चेहरे पर मुस्कान और आनंद देख वो दोनों भी मुस्कुरा दिए।
" सुज्ञ ! आपको देखते ही हमारे मन की सारी उलझने समाप्त हो जाती हैं हमें अपने में एक अद्भुत अनुभूति होती हैं। " ऊर्जित ने कहा तो सुज्ञ मुस्कुरा दिए।
" हम जो कर रहे हैं क्या वो ठीक हैं... वो लोग महाकाय पर रिसर्च करना चाहते हैं... हो सकता हैं उनके वजह से महाकाय को कुछ नुकसान भी पहुंचे... जो राज आज तक हम सभी से छुपा कर रखे हैं वो सभी के सामने आ जाएगी... वो लोग आपको भी इन सब में खींच सकते हैं और उंगलिया भी उठा सकते हैं... महाकाय ने कहा की आप इस बात के लिए हाँ कर दी हैं...। " ऊर्जित एक सांस में सारी बातें कह  गया।
" सुज्ञ! एक ना एक दिन उन्हें सारी चीजों का पता चलना ही हैं और उन्हें कुछ बातें तो पता भी हैं... ऊर्जित की आदत हैं बेवजह परेशान होने की... ऐसे व्यवहार करता हैं जैसे मैं कोई छोटा बच्चा हूँ... मैं अब बड़ा हो गया हूँ ना सुज्ञ.. लेकिन ये बात ऊर्जित को समझ में नहीं आता... ये सारे दोस्तों के सामने मुझे डांटता भी हैं...। " महाकाय किसी छोटे बच्चें जैसे  अपने भारी भरकम आवाज में सुज्ञ से ऊर्जित का शिकायत लगा रहा था। सुज्ञ मुस्कुरा कर दोनों को सुन रहे थे।
" तुम्हारा ये प्रेम, एक दूसरे के लिए फ़िक्र और एक दूसरे की रक्षा की भावना ही तुम्हें सारी मुश्किलों से बचाएगा... कुछ भी हो जाये लेकिन तुम दोनों कभी एक दूसरे के विरुद्ध मत जाना... एक दूसरे के साथ रहना,,, तुम्हारे साथ रहने में ही तुम्हारी विजय हैं आनंद हैं और इस जगत में शांति हैं। " कहते हुए सुज्ञ की आवाज भारी और गंभीर हो गई। उनके चेहरे पर परेशानी की एक झलक दिखी फिर समान्य हो गए वो।  पता नहीं ऊर्जित और महाकाय शब्दों के पीछे दिए गए गूढ संदेश को ठीक से समझ नहीं पाए या नहीं
ऊर्जित - " सुज्ञ... अगर वो लोग महाकाय को अपने पास रख ले या फिर यहाँ रहने ही ना दे... इसका गलत उपयोग करेंगे तो। "
" महाकाय अभी सुरक्षित हैं तुम उसकी चिंता मत करो... इस वक़्त की मांग कुछ और हैं...। " सुज्ञ आँखे बंद कर लिए।
" कैसी मांग?? " महाकाय ने उत्सुकता दिखाई।
" वक़्त आने पर तुम्हें स्वयं ज्ञात हो जायेगा... मेरी एक बात याद रखना तुम दोनों की मानव को वहीं करना चाहिए जिससे जगत का कल्याण हो सके लोगों का भला हो सके उनके कष्ट दूर हो सके... चाहे उसके लिए कितना भी दुख और दर्द क्यों न सहना पड़े... यहीं मानवता हैं... किसी समय / परिस्थिति में तुम दोनों हो भी निर्णय लेना उसके पहले सोचना की इससे किसी को कोई हानि हो नहीं होगी या क्या तुम्हारे निर्णय से किसी को लाभ होगा, किसी का कल्याण होगा? " तुम्हारा एक निर्णय बिगड़े हुए को सुधार सकता हैं और बने हुए चीजों को बिगाड़ भी सकता हैं...। "
ऊर्जित - " क्या कुछ बड़ा घटित होने वाला हैं?? "
" हाँ,, शायद इससे ब्रम्हाड के कुछ हिस्से प्रभावित हो सकेंगे...। " सुज्ञ आँखे खोल कर उन्हें देखने लगे। ऊर्जित और महाकाय एक दूसरे को देखने लगे।
" मेरी दी हुई सभी शिक्षा के परीक्षा का समय  हैं ये... याद रखना इसमें पराजय और विजय केवल तुम्हारी ही नहीं मेरी भी होगी... तुम ज़ब भी मुझे याद करोगे मैं तुम्हारे सामने होऊंगा....। "  सुज्ञ ने कहा। ऊर्जित ने कुछ पूछना चाहा लेकिन वो रुक गया क्योंकि उसके कानों में कोई आवाज आ रही थी शायद उसे कोई पुकार रहा था महाकाय ने भी महसूस किया की कोई उसका नाम लेकर बुला रहा हैं दोनों सामने बैठे सुज्ञ को देखते हैं लेकिन वो वहाँ नहीं होते हैं सामने केवल सफ़ेद आसान पड़ा हुआ था।
" ऊर्जित.... महाकाय.... ऊर्जित... सुन रहे हो तुम दोनों... यहाँ क्या कर रहे हो?? " आवाज सुनकर दोनों अपनी आँखे खोलते हैं और उधर देखते हैं जहां सहर्ष खड़ा होकर उन्हें बुला रहा था। वो दोनों अब टेरिस पर थे।
" कब से आवाज दे रहा हूँ... सुन ही नहीं रहे तुम दोनों... कर क्या रहे थे यहाँ?? " सहर्ष सवालों का बौछार कर रहा था।
" ध्यान कर रहे थे। " महाकाय ने कहा।
" ध्यान...  वो ध्यान कौशल...उसके साथ क्या कर रहे थे?? और वो कहाँ हैं.. मुझे तो नहीं दिख रहा कहीं...। " सहर्ष चारों ओर नजरें घुमाते हुए बोला। ये देख ऊर्जित सिर पीट लिया और महाकाय अपना सिर हिलाने लगा और सहर्ष का खोज अभियान जारी रहा।
" ओ मिस्टर पॉयलट... ये मैडिटेशन की बात कर रहा था..  सुपरस्टार ध्यान कौशल की नहीं...। " ऊर्जित ने उसे समझाया तो सहर्ष मुंह लटका लिया।
" अब चले...। " महाकाय कहते हुए आगे बढ़ गया। वो दोनों भी उसके पीछे पीछे आ गए।
सहर्ष नीचे आकर तीनों को आज सुबह की इंसिडेंट के बारे में बताया तो सभी हैरानी से उसे देख रहे थे।
" ओ हो व्हाट अ प्लेजर... हमार दोस्त एलियन को अपना फ्लाइट आर्ट दिखा कर भगा दिया....। " कर्ट सहर्ष के कंधे पर झूल गया और उसके सिर को चूम लिया। सहर्ष झटक कर उसे खुद से अलग कर उसे घूरने लगा। कर्ट के साथ साथ महाकाय और ऊर्जित भी हंसने लगे।
" किस के लिए और भी बेटर प्लेस मिल सकता था तुम्हें..। " कर्ट ने महाकाय से कहा तो कर्ट उसे हाई फाई दे दिया वहीं सहर्ष खीज कर उन्हें देखा।
" महाकाय... तू रुक मैं बताता हूँ। " इतना कहकर उसके ओर बढ़ा। " ओह्ह रियली "... कहते हुए महाकाय अपने दोनों हाथ कमर पर रख कर खड़ा हो गया। सहर्ष सिर ऊपर करके उसके ओर देखने लगा और फिर उसके चौड़े हट्टे कट्टे शरीर को देखकर मुंह लटका कर कदम पीछे हटा लिए। ये देखकर कर्ट और ऊर्जित ठहाके लगाकर हँसने लगे सहर्ष और चिढ़ गया।

आगे की कहानी में क्या होगा इसके लिए कहानी पढ़ते रहे और आज पार्ट कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताये 🙏🏻🙏🏻


ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

लेखन बेहतरीन है , काफी सूक्ष्म और बारीकियों को अच्छे से साधता हुआ लेखन । पहले वाले हाफ में मूवी रनवे 34 की याद हो आयी , 👌👌💐

15 सितम्बर 2022

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रचनाएँ
Questing - of a new world
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यह एक साइंस फिक्सशन पर आधारित स्टोरी है जिसमे पृथ्वी के साथ साथ अन्य दूसरे ग्रहों के बारे मे लिखा गया है जहाँ जीवन संभव है। इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है यह केवल मनोरंजन हेतु लिखी गई कहानी है।
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भाग-1

9 सितम्बर 2022
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एसवी यूनिवर्सिटी, इंडिया (Year- 2220) ***********************एक लड़का साईकल चलाते हुए आता है अंडरग्राउंड में बने स्टैंड पऱ अपना साइकल खड़ा कर सामने बिल्डिंग की ओर एक नजर डालता है जिस पऱ बड़े बड़े अक

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Questing - of a new world

12 सितम्बर 2022
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महाकाय बाहर पार्क में आकर अपनी आँखे बंद बेंच से टेक लगाकर बैठ हुआ था । थोड़ी देर बाद उसने आँखे खोली और अपने कानों के कुंडल को हल्का सा टच किया फिर आँखे बंद कर ली अगले ही पल उसके चेहरे पऱ सुकून भरा मुस्

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Questing - of a new world

14 सितम्बर 2022
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सुबह के करीब तीन बज रहे थे ज़ब सहर्ष प्लेन को चालीस हजार फ़ीट की ऊंचाई पऱ उड़ा रहा था उसकी स्पीड पंद्रह सौ किलोमीटर प्रति घंटा थी। कॉकपिट में को पॉयलेट ईवाना भी मौजूद थी। लैंडिंग में कुछ ही देर बचे हुए थ

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Questing - of a new world -4

17 सितम्बर 2022
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कर्ट अपने लैब के लिए जा चुका था सहर्ष नाईट ड्यूटी करके आया था इसलिए वो अब सो रहा था। महाकाय और ऊर्जित आईओएआर के लिए चल पड़े क्योंकि मि सूर्यवंशम ने उन्हें इसी टाइम पर मिलने के लिए बुलाया था। महाक

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20 सितम्बर 2022
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कुछ ही समय में पुरे इको फ्रेंड सिटी में तहलका मच चुका था सभी इसी धमाके के बारे में बात कर रहे थे। आईओएआर एरिया का हालत काफ़ी खराब था इस वक़्त कई सारी बिल्डिंग्स के गिरने के वजह से कई लोगों की जान चली गई

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Questing - of a new world -6 @

21 सितम्बर 2022
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तीस - चालीस दिन बीत चुके थे उस हादसे को लेकिन अभी तक दोनों ग्रह के साइंटिस्ट को तीसरे ग्रह की कुछ खबर नहीं मिली थी। कैलटॉन के बार बार कहने पर सूर्यवंशम ने फिर से महाकाय के बारे मे इन्वेस्टीगेशन

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Questing- of a new world -7

25 सितम्बर 2022
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एरिलोना प्लेनेटएरिलोना के शहरों मे एक न्यूज़ काफ़ी तेजी से फ़ैल रही थी उसे सुनकर सभी आश्चर्यचकित थे क्योंकि आज तक एरिलोना पर ऐसी कोई घटना नहीं घटी थी। वहाँ के अर्ल और प्रशासन विभाग हैरान और परेशान

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Questing- of a new world -8

1 अक्टूबर 2022
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एरिलोना प्लेनेटनीले आकृति से नृपा और हरे आकृति से और्यस निकल कर उस तपते हुए जगह पर ख़डी हो गई। नृपा ने चारों ओर गर्दन घुमा कर देखा फिर यान को देखकर उसकी आँखे फ़ैल गई। वो आँखे फैलाये और्यस को देखती

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Questing - of a new world

8 अक्टूबर 2022
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एरिलोना प्लेनेट" हमें आपका इंतजार रहेगा और्यस! आप जल्द से जल्द इस मिशन से सफल होकर लौट आये...। " जेजे ने मुस्कुराते हुए और्यस से कहा।" इंतजार तो हमें भी है जेजे... किसी को उसकी लिमिट सीखानी है... आजकल

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Questing - of a new world 10

21 अक्टूबर 2022
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रायध यान को ऑपरेटर कर रहा था नृपा और और्यस के सामने इनविजीबल स्क्रीन खुला हुआ था जिस पर कुछ पढ़ रही थी। उनका यान तेजी से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था। -" और्यस! क्या तुम्हें विश्वास है कि वो वहाँ अभी तक

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