19 सितम्बर 2016
बचपन में माखनलाल चतुर्वेदी कृत पुष्प की अभिलाषा पढी, जिसमें पुष्प कहता है - "चाह नहीं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं, चाह नहीं प्रेमी माला में विंध नित प्यारी को ललचाऊं, चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हर