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पुस्तक लेखन प्रतियोगिता ) एक लड़की का दर्द

1 नवम्बर 2021

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नमस्कार    दोस्तों    आज   में   आप   सबके  लिए   एक   ऐसी    लड़की   कि   कहानी   लेकर   आ    रहीं   हूं    जो   एक   व्हीलचेयर   पर   होते   हुये   भी   अपने   सारे   सपने   खुद  पूरा   कर  रहीं  है.
     
        मेरा  नाम   इन्दु   है.   आज   मैं    आप    सबको   अपनी    कहानी    से   अवगत   करना   चाहती  हूँ.     एक   ऐसी   कहानी  से   जो  मेरी   खुद   कि   स्वयं   कि  रचित   कहानी  है |       मेरा   जन्म  1987  में   रांची    में  हुआ   था.   मेरे  पापा  जो  कि   एक   कॉलेज  में   लेक्चरआर   थें.   मेरा    बचपन   रांची   में  बीता   मेरी   मम्मी  एक   हॉउस   वाइफ   थीं.    एक    हॉउस   वाइफ   के  साथ -   साथ    वह  एक  अच्छी  ग्रहणी  भी   थीं   उनके   लालन -  पालन   में  मेरा  बचपन  बहुत  अच्छा   बीता .
      मेरा   बचपन    अक्सर  मेरे  ननिहाल   में बीतता.   जब   गर्मी  कि  छुट्टियों   में   अपने   नानी   के  यहां  जाती  थीं,  तो   मुझे  वहां  बहुत  ख़ुशी  मिलती  थीं,  वहां  मुझे  बहुत  अच्छा  लगता  था,  वहां  से  आने   का   मेरा  बिल्कुल   भी मन  नहीं  केता  था |  मेरे    पापा  मुझे   बाहर   खेलने   को   ज़्यादा  नहीं  भेजते  थे  उनका    कहना   था,  कि   अपना  समय   बाहर   खेलने  में नहीं,  बल्कि  पढ़ाई   में ज़्यादा  लगाओं,  क्यूंकि   एक  ज्ञान   ही  है,  जो   कोई   भी  किसी  व्यक्ति   से  नहीं  छीन   सकता.   ज्ञान   कि  शक्ति  बहुत   बड़ी  शक्ति  होती   है.  दुनिया   में  अगर   तुम्हारें   पास   ज्ञान   नही  है,  तो  कुछ  भी  नही  है. ज्ञान  और  अच्छी  शिक्षा  से  हि   तुम  पुरी  दुनिया  को  पर   विजय   पर  सकते  हो  किसी  को  भी  अपना  बना  सकते  हो .  बचपन   में  मेरे  पर  इस  बात  का  ज़्यादा  असर   नही  पड़ा  मैं   अक्सर  गर्मी   कि   छुट्टियों   में  अपनी  नानी  के  यहां  जाया  करती  थीं  मम्मी  पापा  के  लाख  मना करने  पर  भी  नही  मानती  थीं अक्सर   अपनी  जींद  में  आकर  खाना - पीना  सब  छोड़कर अपनी  जीद   मनवा  हि   लेती  थीं.  क्यूंकि   यहां    घर   पर  रहकर   मुझे   सिर्फ   पढ़ाई   करने  के  अलावा  और   कहीं  भी  जानें  कि  परमिशन  नही  मिलती  थीं.
    मेरी   शॉपिंग  भी  ज़्यादातर  मेरी  मम्मी   हीं  करती  थीं,  मेरी   पसंद   ना  पसंद  सबका  ध्यान  उन्हीं  को  रहता  था  |    बाहर  कम   जाने   से  मेरे   फ्रैंड्स  भी   ज़्यादा  न  थे  " मैं"    अपनी   मम्मी  व   पापा   कि   एकलौती   संतान  थीं,  जो   कुछ  भी  था, वह   मेरा  ही  था,  इसलिए   मेरा   ध्यान   ज़्यादा   पढ़ाई   में,  नहीं  लगा,  क्यूंकि   मुझे  इस   बात  का  पता  था,  कि   मेरे  पापा   कि  सारी  प्रॉपर्टी  मेरे  ही  नाम  होंगी तभी  में अक्सर  पढ़ाई  से भागती  रहती   थीं   हमारी    लाइफ   बहुत   मस्त   थीं.  जब   भी  पापा   को   अपने  काम  से फुर्सत  मिलती  तो  वह  मम्मी   और  मुझको   बाहर  घुमाने   लें  जातें .  जब   भी   हम  बाहर   घूमने   जाते तो   बहुत  एन्जॉय  करते व   मस्ती  भी बाहर   जाकर  ऐसा   लगता मानो  कि  हमें   जिंदगी   कि  सारी  खुशियाँ  मिल  गई  हो.  क्यूंकि  पापा के ज़्यादा   कठोर   व्यवहार  से  हम   ज़्यादा  उनसे   किसी  भी   बात  कि  डिमांड  भी  नहीं  किया   करते  थें.  अक्सर   हमारे  दिन  घर  पर  ही  गुजरते .   आगे   जाकर   मेरा  व्यवहार  भी  ऐसा   हो  गया  कि  में,  भी   सबसे  कम  बोलने  लगीं.   मुझे  भी  अकेलापन   बहुत  अच्छा  लगने  लगा. घर  पर  कोई  बड़ा व   छोटा  तो  था,  ही  नहीं, जिससे   में बोलती  व  बात  करती.  मेरी   मम्मी  भी  अक्सर  अपने  ही  काम  में उलझी  रहती.  उनका  रिश्तेदारों  के यहां  आना -  जाना  लगा  ही  रहता  था.  कभी  नानी  के  यहां,  तो   कभी   और   रिश्तेदारों   के  यहां. तो  मेरा  बचपन  यूं  ही   अकेले  में  बीतता   चला  गया.देखते -   देखते   वक़्त   भी   गुजरता  चला  गया     ना   करते -   करते   मेरा  स्कूल   कॉलेज   कब  पूरा  हो  गया  मुझे   पता  भी  न  चला.    मेरा   कहानी   का  दूसरा  भाग  मेरा  बचपन  कब  जवानी   में  बीत  गया  मुझे  पता  न  चला  कॉलेज   खत्म   होते  ही  मैंने  हिंदी    में   एम .ए  कि  उपाधि  प्राप्त  कि  और   हिंदी   लिटरेचऱ   का   कोर्स   किया  और   अपनी   लेखन  क्रिया   में   भाग  लेंने  लग़   गई.  फिर    में,  इतना  लिखती   चली   गई  कि  मेरी  कहानी   कविता,  में  को   कुछ   भी  लिखती  थीं,  वो  छपती  चली  गई.    कहानी  का  तीसरा  भाग  -     मेरा   करियर  कॉलेज  खत्म   होते  ही   मेरे   लिए  मेरे रिश्ते  आने  शुरू  हो  गयें   फिर  इस  रिश्तों  के  सिलसिले  में,  अक्सर   मेरे   पापा  से  मेरा  मनमुटाव   रहना  शुरू  हो  गया,  जितनी  जल्दी   उन्हें  मेरी    पढ़ाई   पुरी   करने  कि  थीं,  उनती  जल्दी   अब  मेरे  शादी   कि  भी  होनें  लगीं.  मैं   इतनी   जल्दी   शादी  नहीं   करना   चाहती  थीं |    मेरा   सपना   एक  बहुत   बड़ी   लेखिका   बनने  का  था.   मेरा   यह   सपना  बहुत   जल्दी   पूरा  भी  हो  गया  देखते -  ही   देखते  में,   एक  बहुत    बड़ी   लेखिका   बन   गई  मेरी   कहानी,  कविता  मैगज़ीन  में  छपने   लगें   देखते  ही  देखते   मेरे   लिए  और  रिश्तों   का  आना  शुरू  हो  गया. चौथा   भाग -    शादी     बहुत    जल्दी   एक    साबुन   के   बिजनेस   मेन  के  साथ   मेरी   शादी   करवा गयीं.    एक    महीने  तक  तो   मेरी   शादी   बहुत   अच्छी   चली   फिर  पता  नहीं  क्यों,  मेरे   ओर  मेरे  पत्ति   में  आएं  दिन   झगडे   शुरू  हो  गयें  उनका   मुझपर   यह   इल्जाम्   लगाना  कि   में,  उनका  ख्याल  सही  से  नही  रखती,  उन्हें  समय  से  नास्ता  नही   देतीं .  ऒर  उनकी   कोई   भी  बात  नही  मानती.  इस   रोज़   के  लड़ाई  झखड़े  में,  मेरे   पत्ति   ने  कई   बार   मुझपर  हाथ  भी   उठाया  पर  मैंने   यह   बात   अपने  घर  में,  बतानी   सही   ना  समझी   मेरे    मायके   जानें  पर   भी   उन्होंने  रोक  लगा  दी मेरा  घर   से   बाहर   आना -   जाना   सब  बंद   करवा  दिया.  फिर   वह   घर  पर   बहुत  देर   से    आने    लगें |    रात   को   वह  अक्सर   शराब   पीकर    आने   लगें . 
Pragya pandey

Pragya pandey

Nice starting 👏👏

1 नवम्बर 2021

निक्की तिवारी

निक्की तिवारी

1 नवम्बर 2021

बहुत बहुत धन्यवाद ज़ी आपका 🙏

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Nice starting bahut accha likha aapne 👏👏👏👌👌👏🌸

1 नवम्बर 2021

निक्की तिवारी

निक्की तिवारी

1 नवम्बर 2021

धन्यवाद आपका

1

जिंदगी अनमोल है

15 सितम्बर 2021
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12
1

<div>जिंदगी अनमोल है, जीने के लिए</div><div> &

2

ताजमहल

18 सितम्बर 2021
12
12
0

<div>ताजमहल जैसा अकेलापन,</div><div><br></div><div> अब&n

3

जिंदगी

1 अक्टूबर 2021
8
8
0

<div>मुझे अपनी जिंदगी खुलकर जीना है,</div><d

4

मेरी शायरी

2 अक्टूबर 2021
4
7
0

<div> फिर कोई हमें ख़्वाब दिखाने,</div><div>

5

नशा

6 अक्टूबर 2021
3
4
0

<div> यह कैसी आग लगी है,</div><div> &n

6

तन्हा

7 अक्टूबर 2021
4
7
0

<div> 💕 इतनी भीड़ में &

7

प्रेम

18 अक्टूबर 2021
3
5
0

<div>कुछ इस कदर उनके,</div><div> प्रेम में&n

8

शिक्षा 🙏

19 अक्टूबर 2021
2
3
0

<div> समाज के सभी बच्चों को

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उम्र

19 अक्टूबर 2021
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3
0

<div>कोई उम्र न थी खिलौनों की,</div><div> बस एक ज़िद थी तुम्हें पानी की,</div><div>&nbsp

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शब्द

19 अक्टूबर 2021
4
6
1

<div>आज बहुत सोचने के बाद यह &nbs

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दर्द

20 अक्टूबर 2021
3
2
0

<div>हाले दिल अपना दर्द,</div><div>

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आत्मविश्वास

24 अक्टूबर 2021
3
3
0

<div> आत्मविश्वास अपने आप में एक &nbsp

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कल्पना

26 अक्टूबर 2021
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4
2

<div> मन में करती हूं कल्पना आप

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स्याहि

26 अक्टूबर 2021
2
4
0

<div>स्याहि तो मैं खुद थीं,</div><div> जो कभी&nbsp

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घर का भेदी

1 नवम्बर 2021
7
4
0

<p> घर का भेदी,</p> <p>

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पुस्तक लेखन प्रतियोगिता ) एक लड़की का दर्द

1 नवम्बर 2021
7
2
4

<div>नमस्कार दोस्तों आज में आप सबके&nb

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नारी कि शक्ति

2 नवम्बर 2021
0
0
0

<div>नारी कि शक्ति ना जानों तुम,</div><div>

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नारी कि शक्ति

2 नवम्बर 2021
3
4
2

<div>नारी कि शक्ति ना जानों तुम,</div><div>

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पुस्तक लेखन प्रतियोगिता एक लड़की का दर्द

7 नवम्बर 2021
1
2
0

<div>अभी तक आपने कहानी में पढ़ा कि

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आशा ओर निराशा

9 नवम्बर 2021
4
4
1

<div> ....... आशा ओर निराशा दोनों,</div><div> &nbs

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मेरी आदर्श माँ

12 नवम्बर 2021
4
4
3

<div>माँ कि छवि हर एक रूप में है.</div><div>उसके प्यार कि झलक मेरे हर मीठे बोल में है.</div><div>बस

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एक लड़की का दर्द

23 नवम्बर 2021
7
6
2

<div>आज मैं फिर इस सोच में</div><div>पड़ गई लड़की बनकर कितना</div><div>गम सहे गई भुली अपनी हर</div><di

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प्यार का रंग

24 नवम्बर 2021
2
3
1

<div>कुछ इस कदर छाया हम</div><div>पर उसके प्यार का रंग</div><div>बदल गए हमारे जीने के</div><div>ढंग

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कहीं धुप तो कहीं छाया

24 नवम्बर 2021
4
3
4

<div>कहीं धुप तो कहीं छाया</div><div>बस साथ रहता मेरे मेरा</div><div>साया मैंने अपने साथ</div><div>स

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मोहब्बत

24 नवम्बर 2021
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7
5

<div>मेरी मोहब्बत उसको रास</div><div>नही आती हर वक़्त मुझे</div><div>उसकी याद सताती उसकी</div><div>बे

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बांवरा मन

26 नवम्बर 2021
2
2
1

<div>बांवरा मन देखने चला</div><div>एक सपना सपने में मिला</div><div>उसे कोई अपना सपने में भिगोएं</div

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आत्मनिर्भर स्त्री

26 नवम्बर 2021
3
3
1

<div>आज तक घर बैठी</div><div>चूल्हा फुकती रही</div><div>किसी ने न समझी</div><div>मेरी बेबसी बनाया</d

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मोबाइल फ़ोन

27 नवम्बर 2021
1
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0

<div>मोबाइल ने छीन ली</div><div>लाखों लोगों की स्माइल</div><div>जब से आया मोबाइल फ़ोन</div><div>जिंदग

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पंख

27 नवम्बर 2021
0
2
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<div>पंख होते तो मैं</div><div>उड़ जाती दूर आसमां</div><div>को छु आती अपनी</div><div>तन्हाई को हमेशा

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सफऱ

29 नवम्बर 2021
1
2
0

<div>सफऱ बीच में रुक सा</div><div>जाता है जब कोई अपना</div><div>छोड़कर चला जाता है</div><div>याद आती

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ना आना इस देश लाडो

29 नवम्बर 2021
7
6
4

<div>जैसे जैसे शाम ढलती गई</div><div>चिड़िया अपने घोंसले में</div><div>जाती गई रात के अंधेरे में</div

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मन कि बात

30 नवम्बर 2021
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<div>मन कि बात कोई</div><div>जान नही पाता हर</div><div>कोई हम पर नया इल्जाम</div><div>लगा जाता हम नह

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भुल

2 दिसम्बर 2021
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<div>आज फिर एक भुल कर</div><div>बैठी मैं एक आम इंसान</div><div>को खुदा समझ बैठी मैं</div><div>जब हुआ

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एक थी दामिनी

6 दिसम्बर 2021
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<div>स्याही से लिखी मेरी</div><div>कहानी पानी कि तरह</div><div>बहे गई मैं लड़की बनने</div><div>का गम

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किसान

8 फरवरी 2022
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किसान का जीवन कितना साधामेहनत में निकलता है दिन आधामिलती नही इन्हें श्रमिक कि मजदूरीकितनी बेबस है इनकी मजबूरीअपना हक पाने को करते है यह आंदोलनइन पर अत्याचार करते है कानूनराजनीती में इनका कोई बोलबाला न

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मैंने जीना सीखा

28 फरवरी 2022
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मैंने जीना सीखा लोगों के तानो सेआगे बढ़ना सीखाखुद के तरीके से जीनासीखा अपने हौसलों को करमजबूत मैंने भी आगे बढ़ना सीखा कदम -कदम पर डगमगा गएमेरे कदम पर मैंने न

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तेरा मेरा अनमोल प्यार

2 मार्च 2022
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तेरा मेरा अनमोल प्यार तु है मेरा जिगरी यार दे गया मुझे वो अनमोल उप

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चमचमाती रातें

20 अप्रैल 2022
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इस चमचमाती रात में, उनकी हर बात में, मैं इस तरह ग़ुम हो जाती हूँ, कि रहता नहीं मुझे कुछ भी याद, बस में उनकी या

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भेदभाव

31 मई 2022
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भेदभाव ना कर बेटा बेटी मेंहमेशा बेटियां खड़ी है इसकसौटी जी जिंदगी में ना बनानवाब पटौती बेटों को बस बेटियां हीखड़ी है माँ बाबा कि सेवा में ना डाल उनकेपैरों में यह भेदभाव कि बेड़िया बेटी ने हीसंभाल र

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औरत ने क्या नहीं बनाया

3 जून 2022
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एक लड़की ने क्या नहीं बनाया नरक से स्वर्ग बनाया घर को एक मंदिर बनाया और तुम लड़को ने हम पर यह इल्जाम लगाया कि &

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मेरे दोस्त मेरे हमदम

15 जून 2022
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मेरे दोस्त मेरे हमदम तुझको है मेरे प्यार कि कसम ना कर मुझ पर इतना सितम घुटता है हर पल मेरा दम चलते -

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दिल कि बात

15 जून 2022
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दिल कि बात उनसेकही नहीं जाती जागते -जागतेसारी रात कट जाती उनका मासूमचेहरा हर पल उनकी याद दिलातीछाता लेकर बारिश में "मैं "उनसे मिलनेजाती दुर खड़ी आँखे उनसे टकरा जातीदिल कि बात बताने मैं मुझे उनसे बहुतला

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कब तक

9 अगस्त 2022
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कब तक लिखती रही में अपने बारे में सबको बतलाती रहीना की किसी ने कभी मेरी कदरजबकि सबकी कदर करती रही मेंना देखा कभी मैंने खुद को किसीआईने अपनी जगह सबको सवारतीरही में रखा हमेशा खुद को इतनापीछे की हमे

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रक्षाबंधन

10 अगस्त 2022
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भाई की कलाई परअपना प्यार बांधुअपने जैसा भाई औरहर जगह ढूंढो सब रक्षाकरे अपनी और हम सबबहनों की इस रक्षाबंधनऐसा भाई रब से हर किसीके लिए मांगु.......

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हर घर तिरंगा

14 अगस्त 2022
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🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 हर घर तिरंगा लहराया आजादी का दौर फिर से आया इस जश्न ने सबको फिर एक साथ मिलवाया आजादी का दौ

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हर घर तिरंगा

14 अगस्त 2022
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हर घर तिरंगा लहराया आजादी का दौर फिर से आया इस जश्न ने सबको फिर एक साथ मिलवाया आजादी का दौर फिर से आया हर वीर ने अपने खून&

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गणेश चतुर्थी

31 अगस्त 2022
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इस गणेश चतुर्थी करेगे हम सब साथ खूब मस्ती बनाएंगे आलू की सब्जी और कचौड़ी खस्ती नाचेंगे सब एक साथ

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सोशल मिडिया की ताकत

6 सितम्बर 2022
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जब से आया सोशल मिडियाकाम हो गया सबका और बढ़ियादेखते ही देखते घर बैठे हो गये सारेकाम सोशल मिडिया पर बैठ कर करतेलोग अब आराम सुबह से हो जातीशाम कभी फ़ोन तो कभी कम्प्यूटर परलोग करते दिनभर बात आज इसकी संख्या

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ध्यान योग

11 सितम्बर 2022
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करते हम सब ध्यान योग दुर हो जाते हर रोग बात है यह सौ प्रतिशत सच कहते सब लोग आओ मिलकर करे हम यह योग आओ मिलकर दुर करे अपने सब रोग प्रण ले हम

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नारिवाद

17 सितम्बर 2022
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हर जगह नारीवाद का नारा है यह देश हमारा है यहां होती है हर नारी की पूजा उसके बिना ना हमारा कोई और दूजा सब जगह इन्ही का बोलबोला है यहां हर मर्द इन्ही का रखवाला है जातिवाद ने जब किया इन पर अपना प्रहार तो

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डॉक्टर. ए. पी जे अब्दुल कलाम

15 अक्टूबर 2022
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डॉक्टर.ए. पी. जे अब्दुल कलामको मेरा बहुत बहुत नमन सलामकिया हम सब के लिए उसने इतनाअनेक काम हर बड़े और बच्चों केमन में बसे उनके जैसा कर दिखानेका हो हुनर हम सब बच्चे के हर सपनेपुरे हुये एक ख्वाब बनकर किया

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डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

15 अक्टूबर 2022
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डॉक्टर ए. पी. जे अब्दुल कलामको मेरा बहुत बहुत नमन सलामकिया हम सब के लिए उसने इतनाअनेक काम हर बड़े और बच्चों केमन में बसे उनके जैसा कर दिखानेका हो हुनर हम सब बच्चे के हर सपनेपुरे हुये एक ख्वाब बनकर किया

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देवउठनी एकादशी तुलसी / विवाह

4 नवम्बर 2022
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जब एक लड़की के रूपमें जन्मी वृंदा तब उनकाविवाह हुआ दानव के राजाजालंधर से जो एक राक्षस थे गाँव के लोग उनसे भयभीत थेइसे बचके के लिए वह सबभगवान विष्णु के पास जायाकरते थे जलधर की पत्नी वृदाउनकी बहुत स

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