जब एक लड़की के रूप
में जन्मी वृंदा तब उनका
विवाह हुआ दानव के राजा
जालंधर से जो एक राक्षस थे
गाँव के लोग उनसे भयभीत थे
इसे बचके के लिए वह सब
भगवान विष्णु के पास जाया
करते थे जलधर की पत्नी वृदा
उनकी बहुत सेवा पूजा करती थी
जब एक दिन वह युद्ध के लिए गये
तो भगवान विष्णु ने उनका सर काट
दिया और विष्णु उनके पति के रूप
में वृदा के पास जा पहुंचे अपने पति
का कटा सर देखकर वृदा घबराई
तब भगवान विष्णु ने अपने रूप
में उन्हें दिखाई दिये उन्होंने भगवान
विष्णु को श्राप दिया तब माँ लक्ष्मी
जी ने उनसे विनती की वृंदा ने
भगवान विष्णु को श्राप से मुक्त
किया और सती बन गई उस राख
से जो एक पौधा जन्मा जिसे तुसली
नाम से जाना गया और पूजा जाने
लगा तब से एकादशी व्रत रखा
जाता है तुलसी की शादी शालीग्राम
से की जाती है और साथ विष्णु
भगवान जी को भी पूजा जाता है