एक ऐसे भाई की कहानी जो अपने पिता को दिए हुए वचन को निभाते हुए अपने छोटे भाई को गलत रास्ते से हटाकर सही रास्ते पर ले आता है...
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बहुत अच्छी कहानी
लेखन बहुत अच्छा बन पड़ा है। कहानी प्रभावशाली और शिक्षाप्रद है। 😊 😊 😊
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<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">चंपानगर गाँव____</span><br></p><p dir="ltr">
<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">उधर शहर में प्रभाकर अपना सामान बाँधने में लगा था तभ
<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">प्रभाकर का मन बहुत ब्यथित था,वो गाड़ी में बैठा और लेट गया
<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">प्रभाकर को देखते ही कौशल्या बोली___</span><br></p><p dir=
<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">प्रभाकर ने कौशल्या से पूछा__</span><br></p><p dir="ltr">
<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">दिवाकर बहुत बड़ी उलझन में था,कमरें से बाहर निकलता तो उसे अ
<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">दिवाकर ने शिशिर से झगड़ा तो कर लिया था लेकिन उसके बह
<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">प्रभाकर का अब कहीं भी मन नहीं लग रहा था,ना ही दुकानदारी म
<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">दरवाज़े की घंटी बजते ही समशाद ने दरवाज़ा खोला तो सामने दिवा
<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">अनुसुइया जी,सारंगी को भीतर ले गईं,साथ में दिवाकर भी सब्जि
<p dir="ltr"></p> <p dir="ltr">रात हो चली थीं लेकिन अनुसुइया जी और दिवाकर की बातें खत्म ही नहीं हो र
<p dir="ltr"></p> <p dir="ltr">जुम्मन चाचा ऐसे ही अपने तजुर्बों को दिवाकर से बताते चले जा रहे थे और
<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">प्रभाकर को ये सुनकर बहुत खुशी हुई कि उससे मिलने देवा आया
<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">भीतर अनुसुइया जी,सुभद्रा और हीरालाल जी बातें कर रहे थें औ
<p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">हाँ,भइया मुझे पक्का यकीन है कि सारंगी दीदी आपको बचा लेंगी