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"यूँ तो लिखने को मैं दरिया लिख दूँ, पर वेग उसमे कितना भरूँ । की पढ़ने वाला भीग भी जाये, और बहकर भी ना जाये ।।"

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बाअदब मोहब्बत

बाअदब मोहब्बत

सुरैया के पिता का निधन हो जाने के बाद उसका इस दुनिया मे कोई नही रह गया , उसके पास इतने पैसे तक नही थे कि अपने पिता के शव को कफ़न से ढक सके, इकलौता घर होने के कारण किसी से मदद मिलने की संभावना भी नही थी अगर वह मदद बुलाने जाती है तो पीछे पिता के शव के

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ईबुक:

₹ 63/-

बाअदब मोहब्बत

बाअदब मोहब्बत

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बहते आंसू 😭

बहते आंसू 😭

कुछ अल्फ़ाज़ जो बयां ना किए जा सके ...

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बहते आंसू 😭

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कुछ अल्फ़ाज़ जो बयां ना किए जा सके ...

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मैं पुरुष हूं (पीड़ा में व्यंग्य)

मैं पुरुष हूं (पीड़ा में व्यंग्य)

कविता.... व्यंग्य आदमी तो कुता होता है यह कभी सुधर नहीं सकता धोखा तो फितरत में है, मासूम लड़कियों की भावनाओ से खेलता है उनका फायदा उठाता है, दहेज के लिए पत्नी से मारपीट करता है औरत को अपने पैर की जूती समझता है दुष्ट, नीच, हरामी पापी.... बस बस बस... ह

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मैं पुरुष हूं (पीड़ा में व्यंग्य)

मैं पुरुष हूं (पीड़ा में व्यंग्य)

कविता.... व्यंग्य आदमी तो कुता होता है यह कभी सुधर नहीं सकता धोखा तो फितरत में है, मासूम लड़कियों की भावनाओ से खेलता है उनका फायदा उठाता है, दहेज के लिए पत्नी से मारपीट करता है औरत को अपने पैर की जूती समझता है दुष्ट, नीच, हरामी पापी.... बस बस बस... ह

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