यह पुस्तक श्री कृष्ण जी द्वारा गोकुल छोड़कर मथुरा चले जाने पर गोपिकाएँ जो करती हैं , जो सोचती हैं और जो कहती हैं उन सब बातों का मेरे शब्दों में संकलन है।
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<div><b><i>साथ-साथ घूमते थे , साथ-साथ झूमते थे ,</i></b></div><div><b><i>साथ-साथ कुंज-कुंज , म
<p>आंसू भी बहते रहे , लिपटी तन से रात।</p> <p>एक बार तुमने नहीं , सोचा करते बात।।</p>
<p>निंदिया उस दिन से नहीं , आयी मुझको हाय।</p> <p>छोड़ हाथ से हाथ जब , तुमने
जानम तुमसे बिछड़ के, कटी न लम्बी रात। आंसू मेरे हैं गिरे , तुम्हें लगी बरसात।। ---प्रतीक तिवारी