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विरह

7 फरवरी 2022

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जाने क्यों बिखरा मैं
बिखरे मेरे अल्फाज हैं

खंडित मेरा दिल,
खंडित मेरे जज़्बात हैं

शून्य को निहारता मन
निःशब्द मेरे एहसास हैं

मौन हूं मैं आज 
व्यथीत मेरा जीवन सार है

तलाश रहा खुद का वजूद 
साथ मेरे उम्मीदों का आसमान है

नीरवता के इस पहर में भी
साथ ख्वाहिशों की उड़ान है
              
                                                      "मुकाम"

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