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विषाद

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मन सहज होता नहीं है l प्रेम बंधन अब नहीं है, प्रेम व्याकुल हो रहा है l रेत के पथ चल रहे हैं, प्रेम आकुल हो रहा है ll तुम समय के पार जाकर, ह्रदय के उपहार दे दो l कह चलूँ दे कर तुम्हें मैं, अब मिलन के ह

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