एक-एक साँस लेते हुए आज तक न जाने कितनी ही बार हमारा सीना घटा और बढ़ा है। हम सभी असंख्य पल जी चुके हैं... लेकिन उनमें से कुछ चुनिंदा पल ही आज हमें याद हैं। यह पुस्तक वैसे ही पलों का एक व्यक्तिगत दस्तावेज़ है। एक बच्चा जिसके पैरों को 4 साल की उम्र में ही पोलियो मार गया, कैसे उससे जूझते हुए उसने समाज में अपना एक अहम मुकाम बनाया, यह किताब उसी की कहानी कहती है। ज़िंदगी में आने वाली तमाम चुनौतियों को लेखक ने किस तरह से अवसर में बदला, यह उसी सकारात्मकता की कहानी है। जिस तरह शरीर को विभिन्न विटामिन चाहिए, उसी तरह मन को भी आशा, विश्वास, साहस और प्रेरणा जैसे विटामिनों की ज़रूरत होती है। हमारा सामना समस्याओं, संघर्ष, चुनौतियों और निराशा से होता ही रहता है। इन सबसे जीतने के लिए हमारे पास ‘विटामिन ज़िन्दगी’ का होना बेहद आवश्यक है। ललित का सफ़र ‘असामान्य से असाधारण’ तक का सफ़र है। पोलियो जैसी बीमारी ने उन्हें सामान्य से असामान्य बना दिया, लेकिन अपनी मेहनत और जज़्बे के बल पर उन्होंने स्वयं को साधारण भीड़ से इतना अलग बना लिया कि वे असाधारण हो गए। इसी सफ़र की कहानी समेटे यह किताब ज़िन्दगी के विटामिन से भरपूर है। इस किताब में सभी के लिए कुछ-न-कुछ है जो हमें हर तरह की परिस्थितियों का सामना करना सिखाता है।
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