शारदे वन्दना
शारदे माँ सार दे हज़ार बार प्यार दे,
अपार दे दुलार छन्द लेख नी सँवार दे .[१]
नाम का प्रकाश दे,के पूरी कर आस दे माँ कंठ में निवास कर, बार-बार प्यार दे..[२]
टूटे-फूटे शब्द मातु निकले मुखार से जो,बाँध के कतार,एक तार शब्द हार दे[३]
दीन हूँ, मलीन हूँ,अधीन हूँ, तुम्हारे,'नीर' नीरज'' की नैय्या की खेवइया पतवार दे.. [४]
आप सब का अपना ही--
नीरज अवस्थी | 9919256950
मेरी लेखनी का जादू संसार पर चला दो
अनुपम अमित अलौकिक साहित्य से मिला दो
छन्दों के दोष सारे माँ छार छार कर दो,
सब लोग गुनगुनाये हमको निहाल कर दो
वीणा वादिनि शारदे ,हंस वाहिनी अम्ब।
माल स्फटिक हाथ में ,माँ तुम्हरो आलम्ब।
कर में पुस्तक धारिणी, शुभ्र् स्वरूप तुम्हार
नीरज कविता कार कार को ,देना अविरल प्यार।
नाम बढे संसार में ,यश भी मिले अपार।
शब्द शब्द ऐसे गढ़े शब्द शब्द में सार।।
उपवन में अगणित सुमन ,जैसे कविताकार
माँ नीरज की वन्दना कर लीजै स्वीकार।।