jogeshwari sadhir
मै उपन्यासकार एवं स्क्रिप्ट लेखिका हूँ मेरी 14किताबें पब्लिश हुईं है प्रतिलिपि पर आपका मैसेज मुझे मिला था. जुड़ना चाहती हूँ.और सिनेमा के बारे में लिखूँगी वंहा के स्ट्रगल की कहानी लिखूँगी. मै ज्यादातर व्यवहारिक बातें लिखती हूँ और मूवी की स्क्रिप्ट तथा डायरेक्शन पर लिखूँगी.
मेट्रो सिटी मुंबई जोगेश्वरी सधीर
मुंबई एक ऐसा शहर है जो सभी को अपने आगोश में समेट लेता है लेकिन ज़ब आप मुंबई के होना चाहते है तो आपको अपनी पहचान छोड़नी पड़ती है तभी आप मुंबई के हो सकते है. ये एक सचित्र पुस्तक है.
मेट्रो सिटी मुंबई जोगेश्वरी सधीर
मुंबई एक ऐसा शहर है जो सभी को अपने आगोश में समेट लेता है लेकिन ज़ब आप मुंबई के होना चाहते है तो आपको अपनी पहचान छोड़नी पड़ती है तभी आप मुंबई के हो सकते है. ये एक सचित्र पुस्तक है.
बुआ जी के घर :जोगेश्वरी सधीर
बुआ जी के घर रहते हुए जीवन के विभिन्न रूप दिखे. गांव के लोगों का निश्छल जीवन था तब और आज की तरह वो राजनीती के शिकार नहीं हुए थे.
बुआ जी के घर :जोगेश्वरी सधीर
बुआ जी के घर रहते हुए जीवन के विभिन्न रूप दिखे. गांव के लोगों का निश्छल जीवन था तब और आज की तरह वो राजनीती के शिकार नहीं हुए थे.
jogeshwari sadhir's movie script &struggle
मेरी यह नई किताब मेरे स्क्रिप्ट और फिल्मों में मेरे स्ट्रगल के बारे में है. मैंने लगातार संघर्ष किया लेकिन मुझे सफलता नहीं मिली है और अब मै फिर से किताबों की दुनिया की ओर लौटी हूँ क्योंकि कुछ न कुछ तो करना है तो क्यों न लेखकों के मार्गदर्शन हेतु कुछ
jogeshwari sadhir's movie script &struggle
मेरी यह नई किताब मेरे स्क्रिप्ट और फिल्मों में मेरे स्ट्रगल के बारे में है. मैंने लगातार संघर्ष किया लेकिन मुझे सफलता नहीं मिली है और अब मै फिर से किताबों की दुनिया की ओर लौटी हूँ क्योंकि कुछ न कुछ तो करना है तो क्यों न लेखकों के मार्गदर्शन हेतु कुछ
Jogeshwari Sadhir's movie script & struggle
फ़िल्म स्क्रिप्ट पर आज इंटरनेट पर अनेक उदवरण मिलते है इससे अलग मैंने अनेक व्यवहारिक पहलू समझाने का प्रयास किया है. ताकि सिर्फ लिखना ही नहीं सीखेंगे वरन स्क्रिप्ट क्या और कैसी हो इसे भी जानेंगे.
Jogeshwari Sadhir's movie script & struggle
फ़िल्म स्क्रिप्ट पर आज इंटरनेट पर अनेक उदवरण मिलते है इससे अलग मैंने अनेक व्यवहारिक पहलू समझाने का प्रयास किया है. ताकि सिर्फ लिखना ही नहीं सीखेंगे वरन स्क्रिप्ट क्या और कैसी हो इसे भी जानेंगे.
बचपन की यादें :जोगेश्वरी सधीर
मेरे बचपन का दौर अलग था उनका रहन -सहन अलग था उनके जीवन का उद्देश्य सहकार जीवन था सब मिलकर जीते थे दुख -सुख को भोगते थे... उन्हीं की यादों में.
बचपन की यादें :जोगेश्वरी सधीर
मेरे बचपन का दौर अलग था उनका रहन -सहन अलग था उनके जीवन का उद्देश्य सहकार जीवन था सब मिलकर जीते थे दुख -सुख को भोगते थे... उन्हीं की यादों में.
बचपन का जमाना :जोगेश्वरी सधीर
बचपन का जमाना बहुत अलग था वो लोग कुछ और ही अलग दुनिया के थे. उन्हें याद करती हूँ तो जैसे उन सबको एक बार पा जाती हूँ.
बचपन का जमाना :जोगेश्वरी सधीर
बचपन का जमाना बहुत अलग था वो लोग कुछ और ही अलग दुनिया के थे. उन्हें याद करती हूँ तो जैसे उन सबको एक बार पा जाती हूँ.
सुनहरे जाल :जोगेश्वरी सधीर
मै कई बार मुंबई गईं और हर बार मुझसे नए सिरे से ठगी की गईं चीटिंग हुईं इसी हादसों पर लिखी है ये किताब..
सुनहरे जाल :जोगेश्वरी सधीर
मै कई बार मुंबई गईं और हर बार मुझसे नए सिरे से ठगी की गईं चीटिंग हुईं इसी हादसों पर लिखी है ये किताब..
डांस, ड्रग्स और पार्टी
आज डांस और पार्टी का फैशन है जंहा की ड्रग्स या शराब पी जाती है इन सबमें अधिकतर लड़कियों का शोषण होता है. जिसका उन्हें पता भी नहीं चलता. मेरे द्वारा लिखी किताब या लेखों का कॉपी राइट मेरा है क्योंकि ये मैंने खुद लिखे है कंही से कॉपी पेस्ट नहीं किये है.
डांस, ड्रग्स और पार्टी
आज डांस और पार्टी का फैशन है जंहा की ड्रग्स या शराब पी जाती है इन सबमें अधिकतर लड़कियों का शोषण होता है. जिसका उन्हें पता भी नहीं चलता. मेरे द्वारा लिखी किताब या लेखों का कॉपी राइट मेरा है क्योंकि ये मैंने खुद लिखे है कंही से कॉपी पेस्ट नहीं किये है.
पराक्रम के चुटकुले :जोगेश्वरी सधीर
मेरा बेटा पराक्रम रोज ही ऐसी बात कह देता है कि सुनकर हँसी आती है उन्हीं बातों को संकलित कर रही हूँ
पराक्रम के चुटकुले :जोगेश्वरी सधीर
मेरा बेटा पराक्रम रोज ही ऐसी बात कह देता है कि सुनकर हँसी आती है उन्हीं बातों को संकलित कर रही हूँ
बुआ के गांव के किरदार :जोगेश्वरी सधीर
बुआ जी के घर रहते हुए जीवन के विभिन्न रूप दिखे. गांव के लोगों का निश्छल जीवन था तब और आज की तरह वो राजनीती के शिकार नहीं हुए थे.
बुआ के गांव के किरदार :जोगेश्वरी सधीर
बुआ जी के घर रहते हुए जीवन के विभिन्न रूप दिखे. गांव के लोगों का निश्छल जीवन था तब और आज की तरह वो राजनीती के शिकार नहीं हुए थे.