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ये जिंदगी

16 फरवरी 2022

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रचनाएँ
शब्दों की लड़ियां
5.0
शब्दों की लड़ियां पिरो उन्हें भावों से अलंकृत कर खुबसूरत भावाभिव्यक्ति के साथ ख्वाहिशों के मुताबिक सजाती हूं और अपने पाठकों व प्रशंसकों के दिलों में जज्बातों को जगा उनके दिल को छूना चाहतीं हूं। बोलिए, आप सब मेरा साथ देंगे।अपना प्यार और दुलार हम पर लुटायेगें ना 🙏🙏
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पुराने दिन,वो सुहाने दिन

10 दिसम्बर 2021
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<div>मां की गोद और पिता का दुलार।</div><div>दादी दादा का बेशकीमती प्यार।।</div><div>भाई बहनों संग खे

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मुझे साथ ले चलो

11 दिसम्बर 2021
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<div>जीवन तुम बिन जिया नहीं जाता।</div><div>अकेले अब चला नहीं जाता।।</div><div>यादों के इंद्रजाल से

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तुम बिन

11 दिसम्बर 2021
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<div>जिन्दगी की कहानी में।</div><div>अपनों की तलाश में।</div><div>गैरों के ऐतबार में।।</div><div>सुम

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कुछ खट्टी कुछ मीठी

11 दिसम्बर 2021
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<div>कुछ खट्टी कुछ मीठी सी है यादें।</div><div>यादों की याद में है खुबसूरत यादें।।</div><div>सपनों क

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प्रीत

12 दिसम्बर 2021
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<div>प्रीत की रीत सदा चली आई।</div><div>भला कैसे कोई बचें भाई।।</div><div>मैं भी प्रीत डगर पर चल पड़

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आओ चलें गांव की छांव में

12 दिसम्बर 2021
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<div>जहां कुदरत का सानिध्य हों।</div><div>अपने गैरों का खुबसूरत कारवां हों।।</div><div>गमों की महफ़ि

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किसे पता था कि एक दिन

12 दिसम्बर 2021
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<div>किसे पता था कि एक दिन</div><div>एक ऐसी महामारी आयेंगी।</div><div>पूरी दुनिया को झकझोर कर</div><

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मन

13 दिसम्बर 2021
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<div>मानव तन में मन ना होता।</div><div>कैसा कैसा जीवन होता।।</div><div>बिन मन के हम जीते कैसे।</div>

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महत्व है

13 दिसम्बर 2021
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<div>उड़ने में पंख का</div><div>जगाने में अलख का।</div><div>सौन्दर्य में नयन का</div><div>रंगों में

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हकीकत

13 दिसम्बर 2021
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<div>विषयों में विषय गणित</div><div>अंक व रेखाओं का सुन्दर संगीत।</div><div>खग, नभ, ज्योतिष, वैज्ञान

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समाप्त

9 जनवरी 2022
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समा

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जहां की हकीकत

16 फरवरी 2022
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रहबर मैंने तेरी आंखों से इस जहां की हर रीत को देख लिया। सुंदर सुनहरे सपनों को मैंने तेरे नाम किया।। अब मुझे जहां की झूठी झलक ना दिखलाओं। उजाले दिखा कर तुम तमस की गोद में ना लें

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दिवाकर

16 फरवरी 2022
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कुदरत का नायाब तोहफा जलवायु व संसाधन भी रश्मियों से पनपते हैं।। जीवन विज्ञान में भी रश्मियों से उजाला है। प्रत्येक निशा रश्मियां सिमट जाती है कल के सुखद भविष्य के लिए छुप जाती है।। हरेक जीव जंतु

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ये जिंदगी

16 फरवरी 2022
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ये जिंदगी, गले लगा लें। तेरे दिए हुए गम को हमने गले से लगाया है।। जिन्दगी के रंग में रंगे हुए सरगम सुर सजाया है।। गीत गजल संगीत में जीवन सुर ताल बजाया है।। होंठों की मुस्कान के पीछे अथाह गम छु

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चांद

16 फरवरी 2022
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माथे की बिंदिया है चांद। जवानी में सबको चाहिए चांद। बुढ़ापे में चाहिए चंदा। बचपन का खिलौना है चांद।। चतुर्थी के व्रत का महत्व है चांद। करवा चौथ स्पेशल है चांद।। हर सुहागिन का प्रतीक है चांद। ईद

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इश्क

16 फरवरी 2022
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दिल का रिश्ता है इश्क। आंखों का सुकून है इश्क।। जहां का बंधन है इश्क। आसमां की ऊंचाई है इश्क।। अपने गैरों में फर्क नहीं देखता है इश्क। ख्वाबों में ख्वाब संजोए है इश्क।। फूलों की सेज है इश्क। ईश

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माटी की खुशबू

16 फरवरी 2022
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गांव गांव शहर शहर घूम रहे हैं। शहर से देश विदेश सारा जहां ढूंढ़ रहे हैं।। रिश्तों की बुनियाद में अपने खोज रहे हैं। भावनाओं की कद्र में बनावट पन देख रहे हैं।। संस्कारों की सीख में तहज़ीब तलाश रहे ह

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सफर

16 फरवरी 2022
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फकत मैं उजालों की तलाश में अंधेरों को गले लगातीं रहीं। चौधियाई आंखों को चांदनी में खोल खुद को समझाती रही।। गैरों का मुझे गिला नहीं है अपनों के दिए जख्मों को  मरहम लगाती रही।। गम की आंधी में उजा

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गुलाब

16 फरवरी 2022
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मैंने पूछा गुलाब से कि तुम इतना खूबसूरत क्यों हों। पुष्पों के किस कारण तुम राजा बने हुए हों।। तुम्हारी सुंदरता से सभी प्यार करतें हैं। बड़े, बूढ़े और जवान प्रेमी तुमसे ही इस्तकबाल करते हैं।। प

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वक्त

16 फरवरी 2022
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वक्त ने मुझसे कहा कि तुम मेरे साथ साथ चल। मैं चला गया तो लौट कर कभी नहीं आऊंगा।। मैंने वक्त का मजाक उड़ाया थोड़ा अपना जलवा दिखलाया। बचपन जवानी के मिश्रित खेल में हर पल अपना ही अंदाज दिखाया।। व

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मेज

16 फरवरी 2022
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कमरे में पड़ी मेरी मेज ने मुझसे पूछा आजकल कहां खोई रहती हो मोबाइल में। कुछ बोले बिन गुनती हो अपनी धुन में।। किताबें कहां हैं जिन्हें तुम पढ़ती थी। मेरी गोद में बैठ तुम नया कुछ करतीं थीं।। शिकवे श

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जूगनू

16 फरवरी 2022
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चपन में हम गांवों में गर्मी की छुट्टियों की शामों में। बाग बगीचे और खेतों में पनघट और रहट के पानी में।। उछल कूद मचाते थे।। झूमते लहलहाते खेतों में बेसाख्ता दौड़ लगाते थे।। हमारी शैतान मंडली इकट

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समप्त

16 फरवरी 2022
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समप्त 

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मातृभूमि

16 फरवरी 2022
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कितना भी करो इंकार भाषा कोई भी करो स्वीकार।। पहनावा बदल कर बन गए आधुनिक अंग्रेजी बोल सीख कर हो गए अत्याधुनिक।। रहन सहन बदला, जीवन शैली बदला चिट्ठी पत्री की जगह नेट ,गूगल ने बदला।। सब कुछ बदल के

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सखियां मुस्कराने लगी

16 फरवरी 2022
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गौरा की आई बारात नगर वासी झांक झांक करे बात।। मैना, हिमालय हुए बदहवास गण भूत पिसाच करें अट्टहास।। अविनाशी शिव भस्म रमाए जटा जूट औघड़ दानी बन आए।। गौरा पति देख मैना हुईं मुर्क्षित गौरा पिता हुए

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रजाई

16 फरवरी 2022
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चला दिसंबर हाड़ कपाय ठिठुरन बढ़ी पारा गिर जाय। बुड्ढे बच्चे सिकुड़त जाय सुढक सुढक कर पिये सब चाय।। युवा बदन भी रह ना पाए अलाव, अंगीठी, ब्लोअर रहें जलाय।। पानी देख सब डर जाते पोछ पाछ कर काम चलात

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नववर्ष

16 फरवरी 2022
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यह साल भी गुजर गया है खट्टी मीठी यादें दें गया है।। विगत वर्षों से यह जहां कोरोना से जुझे है सब कोई यहां।। रुप बदल कर वायरस आए पूरी सृष्टि रहें डराएं।। कितने अपने प्यारे हो गए यादों में उनको रह

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रंग

16 फरवरी 2022
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रंगों के बिना जहां बेनूर है। रंगों का संगम सृष्टि का श्रृंगार है।। रंग बिरंगी विविधता एकता का प्रतीक है। भिन्न भिन्न जीव जंतु मनुष्य सब एक हैं।। काला गोरा नीला पीला सफेद सब वर्ण हैं। इन्द्रधनुष क

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सब कुछ बदल गया

16 फरवरी 2022
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मैं मस्त खुशमिजाज हवा का झोंका थी। सुमन सुगंधित बन मैं चहुंओर छा जाती थी।। तितली रानी के जैसे उड़ उड़ कर इठलाती थी।। कोयल की मीठी बोली से सबका मन हर्षाती थी।। जवां बरगदी छांव खो गई मैं जननी स

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मेरी सफलता

16 फरवरी 2022
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मेरी सफलता के कुछ उसूल है। माता पिता गुरु का हृदय से नमन है।। जिस जहां में हम है आए उस सृष्टि को बंदन है। अच्छे मित्र बंधु की जीवन में तलाश है।। सखा व सखी बनके प्यार दें स्वीकार है। वक्त वक्त पर

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समय का पहिया

16 फरवरी 2022
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जेठ की तपती धूप में अचानक बादल घिर आए। मिट्टी और बूंदों का शबनमी अहसास बन मन को  महकाए।। सोंधी-सोंधी खुशबू से तन मन आच्छादित हुआ। समय का पहिया घूमा और बारिश बीच  इक सुंदरी से आंखें चार हुई।। म

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मां

16 फरवरी 2022
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मां मेरी मंदिर, मां मेरी पूजा मां जैसा जग में नहीं कोई दूजा। मां आंखें हैं,मां ही ज्योति मां जप तप, मां ही आरती।। मां लक्ष्मी है, मां अन्नपूर्णा मां सरस्वती है, मां शक्ति स्वरूपा।। मां सृष्टि है

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किराए का घर

16 फरवरी 2022
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ये जिंदगी एक किराए का घर है। उफ़, इंसान तू कैसे बेखबर है।। ना कुछ लेकर आया है ना कुछ लेकर जाएगा। तन से निकल आत्मा चली जाएगी बस संग तेरे कर्मों का हिसाब जाएगा।। ऊफ, इंसान तू कैसे बेखबर है।।। युग

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लहरें

16 फरवरी 2022
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आती जाती लहरें हमें कुछ सिखाती है। जीवन डगर कठिन है, ये हमें बतातीं है।।  बसंत बहार जीवन में आए परिश्रम ज़रुरी है।। सुखद नींद के लिए थकान ज़रुरी है।। मचलती लहरें किनारों पर आ रेत को गले लगातीं

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आखिरी रात

16 फरवरी 2022
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पिछली कई रातें भयावह गुजरी है। तमाम सांसों की आखिरी रात देखी है।। आना जाना तो जिन्दगी का हिस्सा है। सुख दुख जीवन का सच्चा रिश्ता है।। वक्त वक्त का सगा नहीं होता है। जी भर जियो, ना जाने कौन सा पल

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एक नई शुरुआत

16 फरवरी 2022
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चलों, कुछ नया करते हैं। नयी मंजिल की तलाश करते हैं।। मन से हार जाना निराशा हैं। स्वयं से टूट जाना गमों का खेला है।। मन को मजबूत बनाना होगा। स्वयं को थाम पैरों से खड़े होना होगा।। सांसों की पतंग

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वृक्षारोपण

16 फरवरी 2022
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धरा बचाओ। मृदा बचाओ।। शुद्ध वायु और आक्सीजन। वृक्षों से ही मिलता है।। संतति को वृक्षों की धरोहर दे जाओं। शादी की सालगिरह हों या जन्मदिन का तोहफा।। हरेक वर्ष एक पेड़ लगाओं। संतान की तरह देखभा

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राधे रानी

16 फरवरी 2022
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वृषभानु दुलारी है राधे रानी। वृज की गलियों की चंदा चकोरी।। मुखड़ा निरख चंदा भी रीझे। तेज देख सूरज रंग है फीके।। सितारों की झिलमिल रोशनी। सौन्दर्य में है हर पल उतरी।। दुग्ध वर्ण कजरारे नैना। चंच

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थाती

16 फरवरी 2022
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जीवन है यादों की गठरी। तन है ख्वाहिशों की चादर।। मन मस्तिष्क में सपने हैं अनंत। कल्पनाओं में जीना है जीवन।। जब तक जीवन है तब तक उधेड़बुन है। माया, मोह ,काम ,क्रोध ,अहंकार का तंत्र है।। जीते जी ग

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मन मयूर

16 फरवरी 2022
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रवि रश्मियां देख कर  मन मयूर विहार करता है। चांद की चांदनी रात अवलोकित कर मन मयूर नृत्य कर उठता है।। अरुणाभ में छाई बदली देख मयूर झूम झूम उठता है। सावन में बरसात की मस्ती में मयूर सुंदर पंखों स

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चाहत

16 फरवरी 2022
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मेरी चाहत मेरा ईमान। मेरी बंदगी मेरा अरमान।। मेरा प्रेम सुबह की अजान। मेरी मुहब्बत रात की दुआ।। मेरा प्यार जीवन की भोर। मन्नत में सांसों की डोर।। चाहत शेरों शायरी व कविता है। हृदय दर्पण की बहती

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बाबुल

16 फरवरी 2022
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जिस माथे को चूम कर तुमने। हर दिन दुलारा मुझे बाबुल।। आंखों में जुगनू से चमकते सपनों को। खुद की ख्वाहिश मान संवारा बाबुल।। सुबह-शाम की नेमत में हमेशा तुमने। प्यारी सी गुड़िया को मांगा बाबुल।। जहा

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घाटियां

16 फरवरी 2022
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हिमालय की सुरम्य वादियों में देवदार झूमते हुए बुलाते हैं। धवल बर्फ की चादर ओढ़ चोटियां पुकारती है।। जगह जगह झरनों के श्रोत हृदय दर्पण को छू जातें हैं।। फूलों से आच्छादित वादियां खुशबू से तन मन

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तुम्हारी चाहत

16 फरवरी 2022
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हृदय की सुरम्य वादियों में तुम्हारा नाम लिखा है। ऊंची-ऊंची चोटियों पर सपनों का महल बना रखा है।। फूलों की घाटी में अनेकानेक खुशबू में तुम्हारी चाहत महकती रहतीं हैं। शबनमी अहसास से छूती हुई मखमली

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विरह की बेला

16 फरवरी 2022
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मेरी तन्हाईयों में तुम्हारा अक्स उभरता है। यादों में खोए यादों से तन्हा सफर करते हैं।। मिलन की बेला हर पल हृदय को स्पर्श करता है। तुम्हारे बदन की खुशबू से मन मस्तिष्क महकता है।। जल्दी आऊंगा,कह

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खलिश

16 फरवरी 2022
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नजरों से नजरें मिली। थोड़ी सी खलिश हुईं।। मिलते मिलते एक दूजे से मिलन की आस जगी। आंखों की खुबसूरत सजा हृदय दर्पण को मिली।। मिलन में दिल बेकरार होता है जुदाई में दिल विरह वेदना से भर मिलन की का

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पुराने मकान

16 फरवरी 2022
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पुराना मकान आज भी बुलाता है। यादों का खुबसूरत कारवां चलता है।। नीम, पीपल झूम झूम कर मधुर संगीत गाते हैं। गांवों की पगडंडियां ख्वाबों में दिखती है।। खेतों खलिहानों की खुशबू जेहन में तैर जाती है। ब

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उनकी याद

16 फरवरी 2022
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जन्म जिसने दिया। जिसका अंश मुझमें आया।। नाम जीवन शिक्षा दीक्षा। कभी ना मांगना किसी से भिक्षा।। सभ्यता संस्कृति अनुशासन मान मर्यादा। उम्र भर जिसने कदम कदम पर सिखाया।।  जिनकी छांव तले जीना सीखा।

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उनकी आखिरी मुलाकात

16 फरवरी 2022
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सोलह वर्ष की कमसिन नाज़ुक सी बचपन से जवानी की दहलीज पर पहला कदम आहिस्ता आहिस्ता मैंने रखा।। स्कूल से कालेज का सुन्दर सफर   तय करने में उम्र कहीं ना रोड़ा बना। सहेलियों की शान और टीचर की जान पढ़न

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हृदय का मकान

16 फरवरी 2022
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हृदय मध्य अनेक अभिलाषा पलती है। तन मन मस्तिष्क से जूस्तजू होती है।। खुबसूरत तन कुछ दिनों की पूजा है। सुंदर हृदय आजीवन प्रेम की अधिकारिणी है।। हृदय के मकान में तमाम उद्गारों का बसेरा है। रिश्ते ना

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कालेज का दिन

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स्कूल से निकल कर कालेज में आना। नया माहौल व नये रिश्तों का बंधन।। स्कूल की यादों से गुजर कालेज की  गलियों का सहमा सा जीवन। नये टीचर्स संग क्लास का पहला कदम।। आहिस्ता आहिस्ता माहौल में ढलना। क्ला

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भगवान

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भ-भूमिग-गगन व-वायु अ-अग्नि न-नीर  पंचतत्वों से मिलकर सृष्टि का सृजन हुआ है। कुदरत में क्षिति जल पावक  गगन समीरा ही सब है। अलौकिक शक्ति ही भगवान स्वरूप है। साकार निराकार ब्रह्म संसार का प्रतिम

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आखिरी मुलाकात

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उनकी आखिरी मुलाकात मेरे लिए मौत का सबब लेकर आयी।। अपने वजूद से ज्यादा चाहा था जिसे मुहब्बत को रुह से जोड़ हर पल जिएं।। उस दिलबर की सूरत ईश्वर से बढ़ कर थी। प्रेम विश्वास और समर्पण की भावना थी।।

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आध्यात्मिक जीवन

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जिन्दगी भागम भाग का नाम। लोभ मोह अंहकार क्रोध व मिथ्या माया की छाया में भूल गया सुकाम।। धोखा,छल कपट की महिमा। धर्म-कर्म से ऊपर खुद मा।। पंचतत्व से बना शरीरा। चौरासी लाख योनियों में भटके अशरीरा।।

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तुम ही हो

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तुमसे ही है जीवन मेरा। प्यार का समंदर मेरा।। भावनाओं का अहसास हो। ऐतबार की महकती खुशबू हों।। सरिता की सुनहरी धार हों। हिमालय की ऊंचाई से ऊंचा मुहब्बत का पैगाम हों।। फूलों की खुशबू तुम्हीं से है

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जीवन यात्रा

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मनुष्य जीवन भर जीवन की खोज में आजीवन घूमता रहता है।। जीवन खोने पाने का नाम है। सुख दुख भी साथ साथ रहता है।। फिर भी अनवरत यात्रा जारी रहता है।। रोटी कपड़ा और मकान। इच्छाओं का अनन्त आकाश।। लक्ष्

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हम तुम

16 फरवरी 2022
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तुम से हृदय मिला। तुमसे प्यार का अहसास हुआ। तुमसे बात की बात हुई। तुमसे मेरा नाम जुड़ा।। कब तुम से हम,हम हो गए। हम तुम मिलकर एक प्यार का सागर बनें। तुम हम दोनों दो गात लेकिन एक जान बनें।। तुम

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समाप्त

16 फरवरी 2022
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समाप्त 

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