23 जुलाई 2022
वक़्त की शाख़ों सेफूल झरते ही रहे,हालातो के रंगमेरे लिए बदलते रहे,जब भी कोशिश की हमनें तोरास्ते मे अपने ही छलते रहेकिस-किस से गिला करेंअपने रंजो गम का ये दोस्तज़िंदगी ही मोम थीहर वक़्त बस पिघलते रहे।अजय न