आप👉
सभी लोगों को मेरा सादर प्रणांम🙏
क्योंकि मेरे सलाम का जबाब देने बाला कोई मुसलमान तो है नहीं ,
क्योंकि मेरी माँ मेरा फोन नहीं उठाती नहीं,😃
और रही बात मेरी बीबी की तो उसको मुझसे कोई मतलब नहीं है,
और जब मेरे पाँच बच्चों को मुझसे मतलब नहीं तो भला मैं,
क्यों न मैं अपनी दिनचर्या के हिसाब से अपनी जिंदगी की शुरुआत जब से डायरी लिखना शुरू की है,
मैं चाहता हूँ,
कि क्यों न आप 👉जैसे लोगों के साथ अपना सुख-दुख रोना-गाना सुना कर
खुद को पागल होने से बचा सकूँ,
🇮🇳🙏❤👍
अब रही बात आज की दिनचर्या
तो साहब आज मैं सुबह 05:20 AM
फ्रेश होने के बाद फज़र की नमाज़ अदा की,
उसके बाद मैं मोटरसाइकिल पर कपड़ा बांध कर मैं निकला,
और मैं 40 किलोमीटर दूर जाने के बाद मैंने वहाँ सबजी बाले को जमानत में मोटरसाइकिल देने के बाद मैंने उसका हाथ ठेला चार पहिया बाला ले लिया किराए पर,
लेकिन सब्जी वाले अंकल कहने लगे कि यह मोटरसाइकिल अगर चोरी की हुई तो
तुम्हारा क्या पता कौन हो कहाँ से आए और कहाँ से आए हो,
तो मैंने उंन अंकल को बड़े प्यार से समझाया,
कि अंकल आप लहसुन बेच रहे हो इस ठिलिया पर रखकर और आपको एक ही जगह खड़े होकर आप लहसुन बेचना है,
अंकल बोले,,,,
तो उससे तुम्हें क्या लेना-देना,
मैं खड़े होकर बेचूँ या लेट कर बेचूँ,
लेकिन मैं भी दुकानदार हूँ,
और मैं एक एैसा दुकानदार हूँ,
जो बगैर कुछ लगाए,
अपना एक रूपया भी नहीं,
यह बात बहुत लम्बी हो जायेगी फिर किसी दिन क्योंकि मेरी आज की दिनचर्या नहीं रात्रि चरिया हो जायेगी,
तो मैंने अंकल को समझाया कि,
मैं आपको 100 रूपये दूंगा,
शांम तक मुझे आपकी ठिलिया चाहिए,
खैर उस ठिलिया पर जो लहसुन था उसे वही नीचे जमीन बोरा-बोरी पर जहाँ पर बहुत सी सब्जियाँ रखीं हुई थी, ठिलिया बाले अंकल की,
और मैने उस ठिलिया पर अपनी दुकान का कपड़े रखकर,
शांम 06 बजे तक बेचने के बाद, मैं अपनी टीम के बांदा रह रहा हूँ आजकल,
वहाँ पहुचने के बाद
रूंम पर खाना तैयार था,
फिर खाने के बाद,
आधा किलो दूध गरम करके रख दिया,
रात को पीने के लिए क्योंकि मेरा दिमाग तो सब खाली कर दिया है, मेरे परिवार ने,
और कपड़े का हिसाब देने के बाद और कल के लिए कपड़े बांध कर रखकर सुबह जाने की तैयारी कर दी,
मेरी आज की इनकम मजदूरी (1000) मेरा खाता दुकानदार का रजिस्टर,
में जमा हो गए,
लेकिन इस कारोबार में मेरी सच्चाई और ईमानदरी तथा सच बोलने की लागत है,
जिसकी बजह मैं यह काम कर रहा हूँ,
मगर मुझे मेरे कई दोस्त एैसे हैं,
जिन्होंने न तो मेरा घर देखा है,
और न ही वह लोग यह जानने की कभी कोशिश करतें हैं कि मैं कहाँ का रहने बाला हूँ,
जो मुझे कारोबार करने के लिए लाखों रूपये देने को तैयार रहतेें हैं,
हमेशा,
लेकिन मेरे किसी,
बच्चे का भी फोन नहीं आता है,
यह जानने के लिए कि मेरा बाप मर गया या जिंदा है,
और न ही मेरी माँ मेरा फोन उठातीं हैं,
लेकिन मैं दूसरे लोगों से अपनी माँ के बारे में पूछता रहता हूँ,
जैसे मेरा एक भाई जैसा दोस्त है दूध बाला, जो यादव समाज का है,
नाम है देवेंद्र,
जो मेरे घर में कई सालों से दूध देने आता है,
और मेरी माँ से कहता है,
चच्ची आंटी,
आपको अगर कभी भी कितने ही पैसों की जरूरत हो या कोई और परेशानी हो तो मुझे बता देना,
क्योंकि मैंने उससे कह रखा है,
मेरी माँ जितना भी दूध लेना चाहें आप उनको देते रहना,
और जब भी उन्हें पैसों की जरूरत हो जितनें भी पैसों की आप दे देना और मुझे फोन करके बता देना मैं आपको पैसे भेज दूंगा,
लेकिन मेरी ही दुकान पर मेरे सतौला भाई कब्जा करके मेरी दुकान बस स्टैंड सखानूँ चौराहे पर उसमें 🔐 लगा रखा है,
और अपनी खोल कर बैठा है,
और यही बात मैंने कहता हूँ,
कि यह कौन सी इंसानियत है,
कौन सा बटबारा है,
सब कुछ होने के बाद मैं परदेश में रहकर सब लोगों से दूर रहकर रिक्शे में धक्का लगा रहा हूँ,
वस,,,,,
यह कहना मेरा जुर्म हो गया,
दिनांक 01:07:2021 समय सुबहा के नाड़े नौ बजे नगर पंचायत सखानूँ चौराहे पर मुझे मरा हुआ समझ कर छोड़कर भाग गये,
चार लोग,
मगर जान से मारने बाला कौन ,
आज के मुसलमान,
मेरा सौतेला भाई-इलियास अहमद
बड़ा बहिनोई-जाबेद रजा ़,
बड़ा भांजा-अहराज़ रजा़,
छोटा भांजा-अरबाब रजा़,
इन चारों लोगों ने मुझे इतना मारा कि देखने बाली भीड़ यह कह रही थी कि मेरा बचना मुश्किल है,
क्योंकि मुझे बहुत देर तक तो होश ही नहीं आया था,
लेकिन बच गया मैं अपनी कहानी, रचना, डायरी लिखने के लिए,
मगर मौत तो तब हुई जब मेरी सगी माँ मुझे एैसी हालत में यानी मौत हो चुकी थी,
मुझे बाद में कुछ लोगों ने बताया कि दूर से देखकर बापस घर चलीं गई😭
बाकी की बातें मैं प्रतिलिपी परिवार में लिख चुका हूँ,
लेकिन ,
मैं क्यों लिख रहा हूँ,
कोई तो है नहीं पूछने बाला मुझे,
अब साहब रात के साड़े वारह बज चुके हैं,
100℅सत्य मेरा लिखा हुआ 🙏
शुभ रात्रि
🇮🇳🙏❤👍