यह कैसा नियम है ?(ईद मुबारक के अवसर पर संसमरण)डॉ शोभा भारद्वाज विदेश में रहने वाले भारतीयों एवं पाकिस्तानियों के बीच अच्छे सम्बन्ध बन जाते है कारण भाषा एक से सुख दुःख | ईरान के प्रांत खुर्दिस्तान की राजधानी सनंदाज में पठान डाक्टर हुनरगुल उनकी पत्नी सूफिया के साथ
गुरु पूर्णिमा डॉ शोभा भारद्वाज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर बचपन की स्मृतियाँ मन पर छाने लगती हैं | जिन्हें भूलना आसान नहीं हैं हमारा बचपन प्रयागराज में बीता हमारे घर के साथ एक गली थी उसके साथ चार मंजिल का मकान था उस समय के हिसाब से बहुत आलिशान घर यहाँ महाजन परिवार रहता था वह आढ़ती थे घर का मालिक गं
‘स्वर्गीय आशारानी व्होरा, जी की स्मृति को नमन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर परमेरे द्वारा लिखित लेख पाँचवाँ स्तम्भ की सम्पादकमहामहिम गोवा की राज्य पाल रहीं मृदुला जी की पत्रिका में छपा था|आशारानी व्होरा एक ऐसा नाम है जिनके स्मरण मात्र से मन सम्मान से भर जाता है | सूर्य संस्थान आशा रानी जी की कर
आज की जिंदगी काफी दौडती-भागती हुई हो गई है ।अधिकतर व्यक्ति अपने काम से खुश नही होता मगर दूसरो के काम को देखकर कहता है कि सामने वाले का काम अच्छा है हमे तो बहुत मेहनत करनी पडती है।लोगो का दिनचरिया ठीक नही होता है, उन्हे समय सही प्रयोग नही आता है। मगर जीवन है तो संघर्ष करना पडेगा