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मंद एवं उबाऊ

11 सितम्बर 2015

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आज की तेज भागती दुनिया में शब्दनगरी जिस धीमी गति से काम कर रही है उस से कही ज्यादा मुझे हिंदी की रफ्तार तेज प्रतीत होती है।लोग एक 'ग' ,दो 'ग',नहीं बल्कि चार 'ग' के यंत्रों का प्रयोग कर पाँच 'ग' की फिराक में हैं,परंतु शब्दनगरी पुन:तार वाली कहानी कह रही है।कुछ तो करिए भाईसाहब।।।

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ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

निशांत जी, यह तो हम सभी चाहते हैं कि हमारी मातृभाषा हिन्दी की रफ़्तार हमेशा तेज़ रहे; जहाँ तक 'वेबसाइट' के धीमे होने का प्रश्न है, इसके लिए तो हम यही कह सकते हैं कि 'नेट' का धीमा कार्य करना भी एक बड़ा कारण होता है । आपसे यही कहूँगा कि जुड़े रहिए और कुछ अपनी रचनाएँ भी करते रहिए, धीमी गति से चलते हुए भी 'शब्दनगरी' के ज़रिये यदि अच्छे रचनाकारों से दोस्ती हो जाए, तो यह एक बड़ी बात होगी । धन्यवाद !

12 सितम्बर 2015

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rozana
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