11 सितम्बर 2015
निशांत जी, यह तो हम सभी चाहते हैं कि हमारी मातृभाषा हिन्दी की रफ़्तार हमेशा तेज़ रहे; जहाँ तक 'वेबसाइट' के धीमे होने का प्रश्न है, इसके लिए तो हम यही कह सकते हैं कि 'नेट' का धीमा कार्य करना भी एक बड़ा कारण होता है । आपसे यही कहूँगा कि जुड़े रहिए और कुछ अपनी रचनाएँ भी करते रहिए, धीमी गति से चलते हुए भी 'शब्दनगरी' के ज़रिये यदि अच्छे रचनाकारों से दोस्ती हो जाए, तो यह एक बड़ी बात होगी । धन्यवाद !
12 सितम्बर 2015