मुक्त काव्य " लटकी तस्वीर" विश्वविद्यालय के परिसर की हँसती खिलखिलाती भीड़ की और मेरा वहाँ से निकलना हुआ मेरे साथ थी उत्कंठा अनुज की किताबों की जिल्द नेताओं से अमीर थी वहाँ लटकी हुई तस्वीर थी। चुनावी परिणाम खुशी की लहर मेरा अनुज भी तो है अति बहर फूलों की माला