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"दोहा"

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"दोहा"हरिहर तुम बिन कौन अब हरे जगत की पीर मंशा मानस पातकी शीतल करो समीर।।-१प्रभु आया तुम्हरी शरण तुम हो तारणहारतन मन धन अर्पण करूँ हे जग पालनहार।।-२सुख संपति सुंदर भवन निर्मल हो व्यवहारघात हटे घट-घट घृणा घटना हटे कुठार।।-३मूरख मनवा हरि बिना भरे न भव्य विचारकामधेनु बिन बाछ

"दोहा"उड़े तिरंगा शान से लहराए जस फूलहरित केशरी चक्र बिच शुभ्र रंग अनुकूल।।-१झंडा डंडे से बँधा मानवता की डोरकाश्मीर जिसकी सिखा क न्याकुमारी छोर।।-२महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी

"दोहा" महिमा कर की जानिए, पहले लगा लगान राज प्रथा जबसे गई, तबसे शुल्क विधान।।-1 नए नए प्रतिरूप में, कर लेता अवतार आम जनों पर बोझ है, कर न सकें प्रतिकार।। महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

मूर्ख दिवस की जय हो........ "दोहा" समझदार भी जब कभी, बन जाते चालाक कर बैठते मूर्खता , हो जाते हालाक॥-1 यूँ तो करते मूर्ख मजा, होकर के अपवाद मस्ती में रहते सदा, सबको दें अवसाद।।-2 नाहक मूर्खा न बने, करें न भव बेकार मजा मस्करी जोर से, बोलो जी केदार।।-3 मूर्ख बना के स

भक्तिमय दोहे..... बाबा भोलेनाथ की, महिमा अपरम्पार भंग भष्म की आरती, शक्ति सत्य आपार।।-1 डम डम डमरू बज रहा, आदि कलश कैलाश अर्ध चन्द्रमा खिल गया, गंगा धवल प्रकाश।।-2 जय गणेश जय कार्तिके, जय नंदी महराज जय जय मातु पार्वती, मातु शीतला राज।।-3 डोला माँ का सज गया, जय चैत्

"दोहा" अपनापन मन का मिलन, दिल तिल रसना चाह मीठा गुड़ मीठे वचन, मीठी लगती वाह ।।-1 मकर खिचड़िया चित बसी, सादी दही मिलाय अमृत पावन संक्रांति, हर हर गंग नहाय।।-2 ख़ुशी ख़ुशी आशीष दें, शुभकामना अनेक यज्ञोपवीत पिताम्बरी, धारण करें विवेक।।-3 जय हो जय हो जायका, दान मान सम्मा

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