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17 दिसम्बर 2021

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आजकल हम सबकी जिंदगी में सोशल मीडिया का अहम भाग हैं। इसके बिना हमारी सुबह, हमारी शाम, हमारी खुशी, हमारी परेशानी सब अधुरी सी लगती हैं.। मैं भी इसी सोशल मीडिया के एक ऐसे पहलू से गुजरी हूँ जिससे शायद हर लड़की एक ना एक बार जरूर गुजरी होगी.। 

मैं निशा.... शहर कर्नाटक..। 

परिवार में एक ही बेटी.. ना कोई छोटा ना कोई बड़ा। 
अच्छी परवरिश और अच्छी शिक्षा के बाद जैसा की सब माता पिता करते हैं.. अच्छा घर मिलने पर बाईस की उम्र में शादी करवा दी गई..। 
पढ़ाई लिखाई सिर्फ एक दिखावे के लिए ही थी.। खैर मैं बचपन से बहुत मिलनसार मिज़ाज की थी..। मुझे लोगों से बातें करना.. उनके बारे में जानना बहुत अच्छा लगता था..। शादी से पहले तक तो सब ठीक ही था पर शादी के बाद मैने महसूस किया की मेरा ये स्वभाव मेरे लिए बहुत मुश्किलें पैदा कर गया। 
मेरे पति मेरे स्वभाव के बिल्कुल विपरीत थे.. एकदम शर्मिले और ना के बराबर बोलने वाले..। वो घर में किसी से भी बात नहीं करते थे।घर से आफिस और आफिस से घर..। हफ्ते में एक बार मुश्किल से उनकी जुबान से मेरा नाम सुनने को मिले तो भी ज्यादा था..। घर में सास भी ज्यादातर सत्संग में ही रहतीं थी.। बात करने वाला कोई नहीं था। हम जहाँ रहते थे वो जगह भी बहुत सुनसान इलाके में थी.। वहाँ पड़ोसी भी ना के बराबर ही थे और जो थे वो सब कुछ खास रुचि नहीं रखते थे बात करने में.। आखिर कार मैनें भी सोशल मीडिया का सहारा लिया.। लेकिन मैं अपनी मर्यादा और जिम्मेदारी जानती थी.. इसलिए वहाँ भी सभी लड़कियों और महिलाओं से ही बात करतीं थीं..। क्योंकि सोशलमीडिया पर क्या क्या होता हैं वो सब मैं जानती थी..। इसलिए बहुत ही सावधानी रखतीं थी। ऐसे भी बहुत लोग आए जो पहले लड़की बनकर बात करते हैं फिर अपना असली रंग दिखाते हैं..। मुझे जैसे ही थोड़ा अंदेशा होता मैं तुरंत ऐसे लोगों को साईड कर लेती थी..। बहुत बार अपने स्वभाव को बदलना चाहा ऐसी हरकतों की वजह से पर कर नहीं पाई..। फिर एक शख्स ऐसा आया जिसने ना सिर्फ मेरा स्वभाव बदला बल्कि मुझे एक सबक भी सिखाया..। 
मैं सिर्फ बातें करने के लिए नहीं बल्कि एक आनलाइन मार्केटिंग काम भी करतीं थीं.. उस काम की वजह एक शख्स से मेरी पहचान हुई..। शुरुआत सामान के दाम पुछने से हुई फिर सामान भेजने और काम को लेकर हुई.। कुछ दिनों बाद उसके रोज सुप्रभात और शुभरात्रि जैसे मैसेज आने लगे..। फिर बात थोड़ी और हुई.. क्या करते हो, परिवार में कौन कौन हैं। जैसे साधारण सी बातें। फिर ऐसे ही बातों का सिलसिला बढ़ता गया..। मुझे कुछ भी अब तक ऐसा नहीं लगा था की मैं विरोध करुं.। इसलिए चलता रहा कुछ दिनों तक..। फिर अचानक से एक दिन उस शख्स ने अपने प्यार का इज़हार किया..। हमने बहुत समझाया की हम सिर्फ एक दोस्त रह सकते हैं इससे ज्यादा कुछ नहीं..। वो मान गए और कहा की आप दोस्ती निभाईये हम प्यार..। मैने उनसे बात करनी इसलिए बंद नहीं की क्योंकि उसने अपना बिता हुआ कल जो मुझे बताया था उसको लेकर थोड़ा चिंतित थी की कोई लड़की प्यार करके उनको छोड़ कर चलीं गई थी और वो बहुत ज्यादा मानसिक तनाव में आ गए थे..। उनका ऐसा कहना था की मैने उनको तनाव से बाहर आने में मदद की हैं.। मैने उनसे अपनी बात भी साफ साफ कह दी की जो वो चाहते हैं वो तो कभी मुमकिन नहीं होगा..। क्योंकि कैसे भी थे मैं मेरे पति से प्यार बहुत करतीं थीं.. अपनी मर्यादा समझतीं थीं..। कुछ रोज तक सब कुछ अच्छे से चलता रहा..। खाना खाया.. क्या बनाया खाने में.. दवाई ले लो.. जैसे साधारण मैसेज..। 
एक रोज अपने एक दोस्त की बातें बताते बताते वो अपनी मर्यादा भूल गए की मैं किससे और कैसे बात कर रहा हूँ... शायद उनका मकसद ये ही था.. जो बहुत देर से सामने आया..। उन्होंने इतनी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जो शायद उनकी अब तक हुई सारी बातों के विपरीत था..। कोई शर्म नहीं.. कोई अदब़ नहीं..। इतनी घटिया भाषा में मजे लेकर आपबीती बता रहे थे जो सच में बहुत शर्मनाक थी..। मैने बीच में बहुत बार उनको टोका भी.. समझाया भी.. पर उस दिन शायद वो किसी अलग ही मकसद से बात कर रहे थे..। मजबूर होकर मैने ही बात वही रोकने के लिए अपना फोन ही बंद कर दिया..। 
कोई शख्स प्यार और दोस्ती का ऐसा भी मजाक बना सकता है...! ये मेरी समझ से परे था..। नाम अपने दोस्त का.... लेकिन बातें इतनी अभद्र..। मैं अब अच्छे से समझ गई थी उनके असली इरादे क्या थे..। मैनें उस दिन से सोशल मीडिया ही छोड़ दिया... अपना ओनलाइन मार्केटिंग का काम भी छोड़ दिया..। अपना स्वभाव पूरी तरह से बदल दिया.. अब मैं मेरे पति से भी ज्यादा चुप रहतीं थी..। 
उस शख्स ने मुझे ये सिखाया की सोशल मीडिया का प्यार और सोशल मीडिया की दोस्ती कैसी होतीं हैं..। ना वो अपना प्यार निभा सका... ना मेरी दोस्ती की अहमियत समझ सका....। ऐसे लोग सोशल मीडिया पर सिर्फ अपनी दकियानूसी बातें करने के लिए लोग ढुंढंते हैं..। मेरी नज़र में आज वो इंसान गिर चुका हैं। 

मेरी ये बात सबके सामने रखने का सिर्फ एक ही मकसद हैं की हर चीज के दो पहलू होते हैं... अच्छा और बुरा...। सोशल मीडिया के साथ भी ऐसा ही हैं... लेकिन कुछ छोटी सोच के लोग इसके दूसरे पहलू बुरे का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं..।बिना ये समझे की इन सबसे सामने वाले पर कितना बुरा असर पड़ता हैं..। 

लेकिन हां शायद इन सब में कुछ गलती मेरी भी थीं.. मेरे स्वभाव की भी थी... जो सबसे जल्दी घुल मिल जाता था..। पर आज एक अलग ही निशा हूँ..। बिल्कुल बदल दिया हैं मैनें अपने आपको..। हमेशा के लिए एक खामोशी ओढ़ा दी हैं खुद को..। ना जाने मेरे जैसी कितनी ही और निशाएं होंगी जिनके साथ ऐसा हुआ होगा..। या हो रहा होगा..। खुद को बदलिये.. खुद ही संभल जाइए... क्योंकि सभी को बदलना हमारे हाथ में नहीं..। 


मेरे इस लेख को लिखने का असली मकसद खुद पर बिती बताना हैं... किसी व्यक्ति विशेष... या किसी सोशलमीडिया से जुड़े शख्स को कुछ भी कहना नहीं..। कृपया विवेक से काम ले..। 

जय श्री राम... 



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मज़ाक जज्बातों का..
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एक ऐसा हादसा जिसने मेरे स्वभाव और मेरी सोच को बदल दिया..।

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