इतिहास/ History
हमारा देश आध्यात्मिक
शक्तियों का देश हैं । हजारो साल पहले हमारे देश में स्पर्श चिकित्सा का चलन था
लेकिन ये धीरे धीरे लुप्त हो गयी ।गौतम
बुद्ध ये चिकित्सा करते थे उन्होंने इसका जिक्र कमल सूत्र नामक पुस्तक में किया है
।
बाद में Dr. Mikaoने इसकी खोज की । १८२२
में वो जापान में प्रोफेसर थे। तब एक शिष्य ने उनसे इस चिकित्सा के बारे में पूछा
लेकिन वो नहीं बता पाए तब ये रिवाज था की यदि अध्यापक उतर न दे पाए तो उसे इस्तीफा
देना पड़ता था। तब उन्होंने इस्तीफा दे दिया । तब उन्होंने इस की खोज चालू की पहले
अमेरिका फिर जापान में
खोज की लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली फिर कई साल मेहनत करने के बाद उन्हें कमल सूत्र ग्रन्थ मिला । उन्हें इसके बारे में पता तो चल गया पर इलाज करने की योग्यता नहीं मिल पाई तब वो
कुरियामा पहाड पे तपस्या की उन्होंने २१ दिन तपस्या की तब उन्होंने देखा की एक सफेद
प्रकाश उनकी तरफ आ रहा हैं उनकी चेतना खो
गयी । अध्चेतना में उन्हें कुछ निशान अपनी
ओर आते हुए दिखे फिर उनकी चेतना लोट आई फिर पर्वत से उतरते हुए उन्हें कई
रेकी के चमत्कार दिखे । तब वो भिखारियों
की बस्ती में रह कर उनका इलाज करने लगे तब कुछ महीनों बाद उन्होंने उन भिखरियो को
वापिस वहां देखा तो उन्होंने वापिस आने की
वजह पूछी तो उन्होंने बताया की वहाँ बाहर काम करना पड़ता हैं और यहाँ नहीं। तब डॉ. Mikao
को लगा की मुफ्त में इलाज
मिलने से इन्हे उसकी कद्र नहीं हैं न ही उन की भावनाएँ शुद्ध हुई । तब
उन्होंने वो बस्ती छोड़ दी । जापान जा कर
रेकी शिक्षा देने लगे तब उन्हें निशानों
का महत्व पता चला । उस के बाद उन्होंने कई
लोगो को शिक्षा दी । उन्होंने डॉ. हयाशी
को शिक्षा दी फिर पहले ट्रीटमेंट सेंटर खोला और फिर मैडम Tkata को शिक्षा दी १९८९ में reiki का आगम Bombay में हुआ ।