जिंदगी जन्म और मृत्यु के बिच का खेल है । कई बार जब हमारा कोई अपना हमें छोड़ के चला जाता है तो हम बेबस हो जाते हैं और ऐसा सोचते है की आखिर भगवान् ने ऐसा क्यों किया लेकिन जिंदगी में वही लोग आगे बढ़ते है जो मृत्यु के सत्य को स्वीकार कर लेते है । ये कहानी भी उसी के बारे में है ।
अनवर नाम का एक युवक था । वो स्वभाव का अच्छा और शांत व्यक्ति था । उसका अच्छा सा परिवार था जिसमे उसके माता – पिता, पत्नी और दो बच्चे थे । सभी से वो बेहद प्यार करता था ।
अनवर सभी पर दया भाव रखता था और जरूरतमंद लोगो की सेवा भी करता था । वो किसी को दुःख नहीं पोहचाता था । वो प्रभू परमेश्वर सेनाओं का यहोवा, आकाश और धरती को बनाने वाला जीवित खुदा का इबादत करने वाला था।
अनवर के पास सब कुछ था।
और अनवर का पूरा परिवार खुश थे।
एक बार किया होता है कि अनवर के पिताजी का तबीयत अचानक एक दिन खराब हो जाता हैं।
केयोकि अनवर के पिताजी का उम्र बहुत अधिक हों गया था।
अनवर को अपने पिताजी का तबीयत बिगड़ जाने से बहुत ही जायदा दुख होने लगा।
तभी उनको याद आया की मेने तो यहोवा की सेवा की हैं, और साथ ही मेरा पिताजी भी प्रभु येशु की सेवा अपने जीवन भर बड़ी लगन से सेवा की है ,वो जरूर मेरा सुनेगे । वो तुरंत चर्च में जाता है ।
और वहा जाके प्रभु से कहता है ,
की आप मेरे पिता को बचा लो कर के रोने लगता है। तभी चर्च के फादर उसकी बात को सुन रहे थे ।
फादर उसे कहते है, की बेटा ये तुम्हारे पिता की मृत्यु का होना ना होना प्रभु के हाथ में नहीं है ,अगर मृत्यु का समय होगा तो होना तय हैं ।
अनवर ये सुनते ही फादर से लड़ना शुरू कर देता है ,और वो गुस्से में उन्हें कौसने लगता है ।
वो फादर से कहता है, की आप मेरी मदद करने के बजाय मुझे उल्टा सीधा बोल रहे हो । तभी फादर को लगता है ,की अब मुझे उसे मेरे तरीके से समझाने का समय आ गया है । चर्च के फादर अनवर से कहता है ,की में तुम्हारी एक मदद कर सकता हु ।
लेकिन तुम्हे उसके लिए एक काम करना पड़ेगा । क्या तुम एक कार्य करने के लिए तैयार हो ?
अनवर को किसी भी हालत में उसके पिता को बचाना था।
इसलिए वो चर्च के फादर से कहता है की में कुछ भी करने के लिए तैयार हु ।
फादर उसे कहते है ,की तुम्हे ये कार्य करना है – किसी एक घर से मुट्ठी भर राई के दाने लानी है , और ध्यान रखना होगा कि उस परिवार में कभी किसी की मृत्यु न हुई हो ।
किया तुम कर पाओगे। अनवर ने कहा हा,
फादर ने कहा,
अगर तुमने ये कार्य पूर्ण कर दिया तो समजो तुम्हारे पिताजी बच गए ।
अनवर बिना कुछसोचे देखे – समजे तलाश में निकल पड़ा ।
उसने कई दरवाजे खटखटायें ।
लोगो के घर में राई के दाने तो थी लेकिन ऐसा कोई घर नहीं था जिनके परिवार में किसी की मृत्यु ना हुई हो ।
किसी के दादा ,
किसी के पिता ,
किसा का भाई तो किसी भी बहन तो किसी की माँ का मृत्यु हो गया था
पूरा दिन भटकने के बाद भी अनवर को ऐसा एक भी घर नहीं मिला जिसके घर में किसी की मृत्यु ना हुई हो ।
आखिर वो थकते चर्च के फादर के पास आया, और कहा फादर मुझे किसी के घर में शुद्ध राई के दाने नही मिला जीतने लोगों से मिला सबके घर में कोई न कोई कब्र में सो गया था। अब मुझे इस बात का अहसास हुआ कि मृत्यु एक अटल सत्य हैं।
और इसका सामना सभी को करना होता हैं । मृत्यु से कोई भाग नहीं सकता है ।
वो अपने व्यवहार के लिए चर्च के फादर से क्षमा मांगता हैं ।
और निर्णय लेता हैं ,जब तक उसके पिता जीवित हैं वो उनकी सेवा करेगा ।
कुछ दिनों के बाद अनवर के पिताजी की मृत्यु हो जाती है , वो कब्र में सो जाता हैं।और वो स्वर्ग की लंबी यात्रा में चले जाते है ।
अनवर को इस बात का दुःख होता हैं, लेकिन चर्च के फादर की उस दिन की सीख के कारण उसका मन शांत रहता हैं ।
और प्रभू परमेश्वर का धन्यवाद करता है।।
प्रभू परमेश्वर आप सबको आशीष दे।।