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15 अक्टूबर 2021

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भाग 4 


  देवलोक, दानवलोक व मानवलोक में आजकल छंटनी चल रही है। फालतू घोषित लोग अपने - अपने लोकों से भगाए जा रहे हैं। ढेर सारे देव, दानव, मनुष्य अपने ही लोकों से निर्वासित किए जा रहे हैं। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं तक अपने - अपने लोकों के दरवाजों पर बैठे हैं। फालतू पालतू जानवर भी बाहर कर दिए गए हैं।


   इन 5 सालों में अप्सरा रूपा ने रणबीर को भी तंत्र, मंत्र व यंत्र में प्रवीण बना दिया है। साथ ही यह भेद भी उसके सामने खोल दिया है कि वो एक अप्सरा है।


  उसने रणवीर को बताया कि तीनों लोकों के फालतू घोषित प्राणी अपने लोकों से बाहर कर दिए गये हैं। भूखे - प्यासे लोग दम तोड़ रहे हैं। रणवीर ने पूछा तो वह क्या करे। रूपा ने कहा कि इन सब लोगों को अपने राज्य में बसाया जाए तो यह राज्य के काम आ सकते हैं। रणवीर सहमत हो गया। लेकिन इनके लिए संसाधन व धन कहां से आए। रूपा ने जवाब दिया समुद्र के बीच एक बहुत बड़ा द्वीप है। इस पर किसी भी देश का कब्जा नहीं है। यहां जंगल, मछलियां, जंगली जानवर आदि भी हैं। यहां हम इन बेसहारा लोगों को बसाएंगे।


    रणवीर सहमत हो गया। कुछ ही दिनों में उस द्वीप पर तीनों लोकों के निर्वासित जीवों व जानवरों को बसा दिया गया। उस द्वीप में करोड़ों परिवार भी छोटी-छोटी झोपडियां बनाकर बस गये। 


   इतने लोगों के लिए जमीन, पानी व खाना अपर्याप्त था। लेकिन फिर भी वे पहले से ज्यादा खुश थे। भयंकर बीमारियां व महामारियाँ फैल रही थी। कई प्राणी व जीव धड़ाधड़ मर रहे थे। भूख से लोग व जानवर एक दूसरे तक का मांस खाने लगे। 


   कुछ वर्षों तक यह सब चलता रहा। आखिर 90% जनसंख्या समाप्त हो गई। केवल 10% जनसंख्या ही वातावरण से अनुकूलन कर सकी। 


   अब रणवीर ने इस द्वीप के लोगों की तंगहाली दूर करने का बीड़ा उठाया। 


  एक परिवार शून्य या एक बच्चे की नीति अपनाई गई। शिक्षा- दीक्षा, अस्पताल आदि की व्यवस्था की गई। स्वच्छ पानी, वस्त्र, भोजन, रोजगार आदि की व्यवस्था की गई। नियमों का कठोरता से पालन किया जाने लगा। रणवीर ने धन की कमी महसूस की। रणवीर ने चाहा कि वह तहखाने के धन का प्रयोग करे। लेकिन रूपा ने उसे रोक दिया।


   रूपा बोली कई दुर्लभ रत्न, खजाने इस द्वीप के समुद्र के अंदर छिपे हुए हैं। इन्हें ही बाहर निकाला जाए। गोताखोरों को समुद्र के अंदर भेजा गया। धन के ढेर लगने शुरू हो गए। इस धन को एक बडे मकान में सुरक्षित रखा गया और इसमें से कुछ धन द्वीपवासियों के ऊपर खर्च होने लगा।


  धीरे-धीरे द्वीप विकसित होने लगा। द्वीप में एक ईश्वर की पूजा जोर पकड़ने लगी। लोग सात्विक, बुद्धिमान, मेहनती और ईश्वर भक्त होने लगे। जाति प्रथा आदि स्वयं ही खत्म होने लगी। 


   नई-नई विद्याओं व उद्यमों का विकास होने लगा। रणवीर व रूपा ने इस सब में बहुत मेहनत की। रणवीर ने कहा रूपा इस द्वीप का नाम हम जकारूलैंड रखते हैं। और तुम्हारी बहन रूमा को यहां की रानी बनाते हैं। हमें विश्वास है कि यह द्वीप एक दिन आर्थिक समृद्धि में अमेरिका के बराबर व आध्यात्मिक समृद्धि में भारत के बराबर हो जाएगा। रूपा ने मुस्कुरा कर अपनी सहमति जताई। 


   द्वीप में भूमि - चकबंदी, जनसंख्या नियंत्रण आदि नीतियां कठोरता से अपनाई जाने लगी। बाहर जाने या आने पर पाबंदी लगा दी गई। जनसंख्या स्थिर हो गई। कई व्यवसायों के उत्थान से धीरे-धीरे समृद्धि बढ़ने लगी। लोग ज्यादा सुंदर, स्वस्थ, ऊंचे, सबल धनवान व बुद्धिमान हो गये। 


   रूपा की बहन रूमा परी इस द्वीप की रानी है। जकारूलैंड के ध्वज पर शेर, जल, जमीन व भैंस का चित्र है। जो बहादुरी और संपन्नता को दर्शाते हैं। 


   यहां की गाय - भैंस की नस्ल दुनिया की श्रेष्ठतम नस्ल में गिनी जाने लगी। जमीन पैदावार के रूप में लगे सोना उगलने लगे। कारखाने धन के ढेर लगाने लगे। विदेश व्यापार अनुकूल होने से सोने-चांदी, रूपये, डालर के ढेर के ढेर लगने लगे।


   देव, दानव, मनुष्यों की अलग - अलग बस्तियां हैं लेकिन कानून सबके लिए बराबर है।


  एक सेना द्वीप की चौबीसों घंटे रक्षा करने लगी।


   लोग सुबह-2 भगवान का नाम लेकर अपने-अपने कामों में जुट जाते हैं और शाम को भगवान को धन्यवाद देकर अपना - अपना कार्य खत्म करते हैं।


   धन व भक्ति के अद्भुत समन्वय ने द्वीप को श्रेष्ठ सभ्यताओं में स्थान दिला दिया। लोगों की उम्र 100 वर्ष तक बढ गई।


   जानवरों की संख्या भी सीमित कर दी गई। दुधारू गाय -भैंसों से दूध की नदियां बहने लगी।


  जकारूलैंड में हर युवक - युवती को स्नातक के बाद 5 साल वहां की आर्मी में सेवा देनी होती है। इसके बाद वे स्वेच्छा से आर्मी में रह सकते हैं या स्वतंत्र रूप से कोई कार्य कर सकते हैं।


   रणवीर को जकारूलैंड का राष्ट्रपिता घोषित कर दिया गया है।
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रचनाएँ
अप्सरा की शादी
5.0
यह किताब बहुत ही सुंदर और मनोरंजक है.

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