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खालिस्तान

23 जनवरी 2020

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featured imageयह मानचित्र 2004 तक का एक उदाहरणस्वरूप विवरण देता है कि सिक्ख संप्रदाय किन किन भौगोलिक हिस्सो में स्थानांतरण हुआ | अब वर्तमान में भारत को छोड़ सबसे अधिक सिक्ख अमेरिका , कनाडा फिर यूनाइटेड किंगडम में रहते है | खालिस्तान अर्थ खालशा की भूमि यह परिकल्पना कभी भी गुरु गोविंद साहब , गुरु तेग बहादुर , बंदा बैरागी , राजा रणजीत सिंह किसी के भी मन व कार्यो में नही थी कि इस मिट्टी को सिर्फ कुछ राज्य की सीमाओं तक सीमित कर स्वयं के लिए एक अलग देश की पहचान देने के मुद्दे पर सोचे , उनका जीवन इस राष्ट्र के लिए समर्पित रहा , इस्लामिक आक्रांताओ से इस समाज व सभ्यता को संरक्षण देना ही उनका मुख्य लक्ष्य व आधार था | आज सिक्ख एक अलग धर्म के रूप में स्वीकृत है परन्तु पूर्वरतः सिक्ख एक सनातन भारतीय सभ्यता व संस्कृति का ही एक नवीन पंथ था जो विदेशी शक्तियों के विरुद्ध ही तैयार हुआ व अकथनीय त्याग करके इस भारतभूमि को धन्य किया , अपितु जब 19 दशक में एक तरफ मुस्लिम गुट अलग मुस्लिम मुल्क व कुछ राजनैतिक सिक्ख प्रतिनिधि भी पंजाब प्रान्त को सिक्ख देश के रूप में विभाजित करना चाहते थे क्योकि सबको यही पता रहा भारत हिन्दू राष्ट्र ही बनेगा | खैर 1947 के उपरांत ही भारतीय पंजाब में हल-चल शुरू रही कुछ चुनिंदा लोग ही खालिस्तान के सपने को साकार करना चाहते थे | भीड़तंत्र के बिना भी खबरों के द्वारा अलग अलग माध्यमो द्वारा आप एक विशिष्ट मानसिकता व एजेंडा को सर्वदृष्टित कर सकते है , न्यूयॉर्क टाइम्स में छपा यह खालिस्तान का विज्ञापन | राज्य व केंद्र के मध्य अलग अलग प्रस्तावों पर अलग अलग चर्चाएं अलग अलग अंदेशों को जन्म दे रही थी , पंजाब को दो अलह राज्यों में विभाजन , चंडीगड़ के रूप में हरियाणा व पंजाब के एकत्व राजधानी इत्यादि ऐसी कई प्रक्रियाएँ उस समय के अकाली दल व अन्य सिक्ख संगठनों द्वारा पूर्ण की गयी जो सिक्ख समुदाय के लिए ही विशिष्टरूप से प्रायोजित थी , अलग गुरुवाणी या गुरुग्रंथ शाहिब के अनुसार अपना अलग शासन पर भारत के नियंत्रण में ही इत्यादि पर यह माँगे पूरी नही हुई पर अलग अलग रूप में अवश्य परिवर्तित होती रही जैसे सिक्ख समुदाये को हिन्दू समाज से अलग मान्यता देना | जब बाहुबल व अहंकार के साथ चर्चात्मक माँगे छोड़ कर अनुचित अधिकारों की प्राप्ति की योजना बनाई जाए व कोई एक लक्ष्य की प्राप्ति ही उस योजना का निष्कर्ष हो तब चिंगारी अग्नि प्रवाह के स्वरूप में बिना न्याय व अन्याय का सरोकार करते हुए उग्र व आतंकबाद का रूप ले लेती है , यही यहाँ हुआ , विदेशी धरती से तो पहले ही जैसे पहले लंदन फिर अमेरिका व कनाडा कुछ कुछ भारत से निर्वासित लोग खालिस्तान के एजेंडे पर कार्य कर रहे थे पर उनका अस्तित्व व उत्पादन ना के बराबर था , जैसे पाकिस्तान ने 1965 में ऐसे ही एक खालिस्तानी कार्यकर्ता को पेशावर को खालिस्तान की राजधानी बनाने का अबसर प्रदान किया था ; हमेशा ही देश विरोधी शक्तियों की समपर्क से ऐसे कुछ विदेशो में रह रहे खालिस्तानी समर्थक अपनी रणनीति बनाते रहे फिर एक दौर आया जब भिंडरबाला दमदम टकसल का अध्यक्ष बना पहले ही अकाली दल के विरुद्ध कांग्रेस ने भिंडरबाला के समर्थको को मदद की थी ; 1978-80 के मध्य एक चेहरा शसस्त्र क्रांति में मार्ग पर आ गया परन्तु यह कोई क्रांति नही थी अपितु जैसे आज इस्लामिक आतंकबाद दुनिया के लिए मुख्य समस्या है कुछ ऐसा ही सिक्खों के साथ भी हुआ ; इससे पूर्व ही निरंकारियों की निर्मम हत्या व हिंदुओं का भी कत्तलेआम शामिल रहा | खालिस्तान लिबरेशन आर्मी जो कि आज तक कनाडा व लंदन में रह रहे कुछ ℅ nri सिक्खों द्वारा हर प्रकार की सहायता प्राप्त कर रही है ; भूतकाल में 1990 के उपरांत इन्हें भारत से समाप्त कर दिया गया था ; चाहे मासूम लोगो की हत्याएं हो , चाहे पूर्व सेना अधिकारी की हत्या , चाहे एयर इंडिया के विमान को बम्ब से उड़ाना , 30 से अधिक जगहों पर अन्य भी हतीयरो से हमला भी शामिल है , हमे नही भूलना चाहिए कैसे खालिस्तानी आतंकबादियों के स्वर्णमंदिर पर कब्जा कर कैसे खुल की अनैतिक जंग शुरू की थी , हज़ारो भारतीयों की जान का गुनाह खुद पर लगाए आज भी ये विदेशी धरती से कुछ हद तक अपने पंजाब में रह रहे समर्थको को मदद देते भी है व अपना एजेंडा आज भी चालू रखे है | अंत में निष्कर्ष यही है कि भारतीय सिक्खों का इससे सीधा कोई लेना देना नही ना भूतकाल में रहा ना वर्तमान में है ना भविष्य में होगा ,भारतीय सेना में अग्रिम सिक्ख ही हमेशा से रहे ,इस माटी माँ के प्रति वे उतने ही कृतज्ञ है जितने हम है , बस धर्म व भावनाओ व राजनीति के आधार पर एक सम्मिलित भारत विरोधी षड्यंत्र व इससे जुड़े षड्यंत्रकारी आज भी विदेशी धरती से इसी मौके के इंतजार में है कब उनके इस अभियान को जन समर्थक प्राप्त हो और उनका यह लक्ष्य सदा ही काल्पनिक ही रहेगा |

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इस्लामिक सेकुलरिज्म

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हजारों वर्षों से भारत की धरती विदेशी आक्रमणकारिओ व उनके द्वारा किए हुए अमानवीय व अप्रत्याशित,अकल्पनीय वहाबी कृतियों को स्वतंत्रता के उपरांत भी मधु भाषणीय कवियों की पंक्तियों की तरह भारत के शिक्षा क्रम में पारितोषिक किया जा चुका है.जीसस के जन्म से भी पूर्व महान राष्ट्रप्रेमी विद्वान पंडित चाणक्य द्वा

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क्या यह मॉब लिंचिंग नहीं है ? क्या यही सेकुलर इंडिया है ?

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हरियाणा के उदाका गाँव में एक सप्ताह पहले एक पक्ष द्वारा बेरहमी से पीटकर घायल किए गए वकील नवीन यादव की बुधवार (जुलाई 24, 2019) देर रात गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में मौत हो गई। नवीन यादव की मौत से लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। नवीन की मौत से बौखलाए गुरुग्राम कोर्ट के वकीलों ने गुरुवार (जुलाई 25, 2019)

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कीर्ति के लिए क्या secular लोग माँगेंगे इंसाफ़? क्या bjp साफ़ करेगी अपना द्रष्टिकोंण?

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दो प्रशन सिर्फ़ मेरे पहला क्या हिंदू-मुस्लिम का भेद ख़ुद social-media व news-media द्वारा किया जाता है? कोई क्यों न्याय की भावना से नहीं कहता लड़का मुनासिर है लड़की कीर्ति ? यहीं अगर इसका विरूद्ध प्रकरण होता तो हर जगह बात सुनी जाती ,मुस्लिम समाज व secular-बुध्ह्जीवी c

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" शर्मसार करें और कब तक हम खुद को " - हिंदुत्व भावनाओं का स्वयं पतन

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प्रस्तावना- हज़ारो वर्षो से सनातन भारतीय सभ्यता विदेशी व देशी अब्रहंनताओ से प्रताड़ित व कुंठित रही है | कालांतर के पश्यात कोई तथाकथित आज़ादी के उपरांत ऐसी सरकार आयी जिसने हिंदुत्व पर चर्चा करना स्वीकार किया और पिछले बीते एक माह से #moblyn

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मनुष्य योनि में मानव जीवन का सद्पयोग - सिलिकॉन वैली छोड़ कर रहे आर्गेनिक खेती |

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वर्तमान भारतीय शिक्षा व्यबस्था जो की ब्रिटिश हुक़ूमत के समयानुसार भारतीय मूल्यों व् सभ्यता-संस्कृति को सामान्य भारतीय जन-मानस के मन-मष्तिस्क में स्वयं का ही परिहास कराकर पच्छिमी भौतिक वैज्ञानिक शिक्षा को ही सर्वमान्य परपेछित कर आज के भारतीय युवा-वर्ग को सीमित बौद्धिक छमताओ में किसी श्रापबंध से बांध

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उधम सिंह - इतिहास के शब्दों तक ही क्यों जीवित ?

31 जुलाई 2019
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प्रस्तावना - भारतीय क्रांतिकारी इतिहास प्रायः अनैतिक रूप से दो भागों में बाँट दिया गया जो कि उन सभी बलिदानियों के ऊपर आज़ाद भारतियों का कलंक है, जिसका हमें स्वयं ही अभाश नहीं हैं | तथाकथित स्वतंत्रता का राजनीतिकरण कर विद्यार्थियों व् देशवासिओं को त्याग,

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गौरक्षक गोपाल - हत्या या बलिदान ? और कितने गोपालों की आहुतिओं के उपरांत जागोगे ! १३५० वर्षों से वेदिकाएँ ज्वलित हैं !

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बीतें कुछ महीनों में देश की समरसिता व गंगा-जमुना तहज़ीव में कुछ चक्रवात उपस्तिथ हुए हैं । ये चक्रवात भिन्न-भिन्न छेत्र के महान धर्मनिर्पेक्ष-सेक्युलर-संविधानिक ब्रिटिश-इंडो इण्डियन द्वारा संचालित व प्रसारित कियें गये हैं। वर्तमान मीडिया संस्थानो ने इन चक्रवातों का नाम

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सुषमा जी भारत माता की वीर कर्तव्यमयी निष्कामभाव पूर्ण देश पर समर्पित एक महान देवी

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शब्दों की कमी भाव को समझ जाइए । जय हिंद आत्मन: शांति भवति: भारत माँ की गोद में ॐ शांति शांति शांति !

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आप सभी भारतवासिओँ को तुलसी दिवस व जयंती के हार्दिक अवसर पर बधाई , हो सके तो कभी रामचरितमानस का पाठ भी करके देख ले क्योंकि चाहे राम हो चाहे तुलसीदास हम हिंदुओ के पास हर विषय के लिए वक़्त है पर अध्यायन के लिए नहीं ,मृत्यु के बाद पछताने से बेहतर जीवित रह कर समझदारी दिखान

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मनुष्य के जीवन में देशी गाय माता का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान रहा है । गाय माता के दूध-दही-घी-मूत्र-गोबर से बने पंचगव्य से भयंकर बीमारियां भी ठीक हो जाती है, गाय के अंदर 33 करोड़ देवता का वास होता है, तभी तो भगवान श्री कृष्ण भी स्वयं गाय चराते थे, यहाँ तक बताया गया है कि गाय

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मुग़ल से ब्रिटिशर्स तक जीवित भारत

8 अगस्त 2019
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धारा 370 हटने की ख़ुशी चली गोलियाँ एक शहीद कुछ घायल कहाँ गया सेक्युलर इंडिया ? ये पूरे देश की लिंचिंग है |

10 अगस्त 2019
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26 वर्षीय ऋषिराज जिंदल की सोमवार 6 अगस्त रात राजस्थान में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जबकि वह और उनके दोस्त जन्मदिन मना रहे थे और धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था, जिसकी घोषणा उस दिन पहले ही सरकार ने कर दी थी।इस मामले के प्रमुख आरोपी इमरान और उसके साथी मंसूर (उर्फ

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पर्यावरण संरक्षण गौ वंश का सही प्रोयग

11 अगस्त 2019
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मृत्यु अंतिम सत्य तो अन्त्येष्टि जीवन का आखिरी संस्कार है। इसके लिए लकड़ी की चिता पर अंतिम संस्कार की मान्यता अब पर्यावरण के लिए नुकसानदेह साबित होने लगी है और हजारों की संख्या में पेड़ कटने से जीवन के लिए खतरा दिन-ओ-दिन बढ़ता जा रहा है। हालांकि विद्युत शव दाह गृह का विकल्प दिया गया लेकिन यह विकल्प

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" खुदीराम बोस - 18 वर्ष ८ महिने 8 दिन और फ़ासी " क्या देश भूल गया इस वलिदान को ?

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वह केवल 18 वर्ष का था, जब उसे 1908 में बिहार के मुजफ्फरपुर में एक हमले और तीन अंग्रेजों की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। एक सदी बीत चुकी है, फिर भी खुदीराम बोस का नाम परछाइयों में है।भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे युवा क्रांत

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राम मंदिर - राम के वंशज कहाँ है ?!

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समस्या ये है supreme court रामचरितमानस या अनन्य रामायणों के साक्ष्यों को प्रमाण नहीं मानती वही supreme कोर्ट २०१५ में जब बकरा-ईद की सुनवायी में कहती है कि ये रीति है जो हज़ार साल से चली आ रही है !जहाँ रामसेतु को congress सरकार ने ख़ुद court में कहा ऐसी कोई चीज़ है ही नहीं सेक्युलर लिबरल गैंग ने भी क

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स्वतंत्रता -क्या आज़ादी ब्रिटिश हुकूमत से मिली या मुग़ल शासन से भी !

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कविता पढ़े राष्ट्रभक्ति पर यथार्थ विवेचनाभारत की स्वतंत्रता का अर्थ आज भारत से ही पूँछों ? फिर सोचो कौन हुआ स्वतंत्र !व कौन कितना महान है ।लाखों बलिदानियों ने बीते १४०० वर्ष

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नेत्रहीन पिता ने की आत्महत्या -सरकार का धार्मिक मुखौटा !

16 अगस्त 2019
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राजस्थान के हरीश जाटव मॉब लिचिंग मामले में हरीश के पिता रत्तीराम जाटव ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली है. परिजनों का आरोप है कि मामले में न्याय नहीं मिलने के कारण रत्तीराम जाटव ने ये कदम उठाया. दरअसल राजस्थान के अलवर के भिवाड़ी के झिवाना गांव निवासी हरीश जाटव की मॉब लीचिंग में मौत हो गई थी. घटना 17 जुला

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हमेशा मुस्लिम ने किया प्रताड़ित नहीं बदल सकते स्वयं को संस्कार dna में है विचार ख़ून में -direct action plan १९४६ paksitan की नीव !

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15 अगस्त 1946 में मुस्लिम लीग के द्वारा ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ की घोषणा कर दी गई. मुस्लिम लीग के इस एलान ने 16 अगस्त 1946 को कलकत्ता में भीषण दंगे का रूप ले लिया. हर तरफ खून की होली खेली जाने लगी. देखते ही देखते कलकत्ता का सांप्रदायिक दंगा बंगाल और बिहार की सीमा पर भी शुरू हो गया.इस सांप्रदायिक दंगे को

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सत्यनारायण की कथा तो होती है पर चापेकर बंधुओं को क्यों भूल गए ? हरि कुमार को भी याद रखिए स्कन्द पुराण का हिंदी अनुवाद !

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आज अगर कोई कहे कि घर में पूजा है, तो ये माना जा सकता है कि “सत्यनारायण कथा” होने वाली है। ऐसा हमेशा से नहीं था। दो सौ साल पहले के दौर में घरों में होने वाली पूजा में सत्यनारायण कथा सुनाया जाना उतना आम नहीं था। हरि विनायक ने कभी 1890 के आस-पास स्कन्द पुराण में मौजूद इस संस्कृत कहानी का जिस रूप में अन

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हॉकी का जादूगर राष्ट्रप्रेम से राष्ट्रीयखेल तक ! भारत रत्न एक विश्लेषण एक खोज ?

29 अगस्त 2019
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कोई विशिष्ट स्थान अथवा व्यक्ति से संबंध नहीं आप कई प्रकार की लाभान्वित व्यक्तित्व की श्रेणियों से इसे प्रायोजित कर सकते हैं,उदाहरण के लिए कोई राजनीतिक संगठन के श्रीमान जो हर आयोजन को निज-स्वार्थ प्रयोजन में परिवर्तित कर कुछ जड़शब्दों को चेतन भाव के अभाव में प्राकृतिक पुष्पांजलि अर्पित कर जनता समूह क

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कश्मीर धर्मांधता व सेकूलर इंडिया !

6 सितम्बर 2019
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वर्तमान समय में संसार में कहीं भारत या इंडिया के संबंध में चर्चा होती होगी तो कश्मीर उसका अभिन्न विषय बनकर जनसामान्य के मस्तिष्क की रेखाओं पर उभरता होगा ! आखिर है क्या कश्मीर ? हम इस बात पर तर्क व चर्चा कुछ सामान्य प्रश्नों से करेंगे “कहा जाता है जो प्रश्नों की अभिलाषा व प्रश्नों की गंभीरता को नहीं

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भारतीय कौन ?

19 नवम्बर 2019
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भारतीय शब्द का आधार भारत है व भारत का आधार हमारी सनातन पुरातन वैदिक सभ्यता व संस्कृति.हिंदू शब्द का प्रचलन यहाँ के मूल निवासियों के लिए प्रोयोगित किया जाता है जो यहाँ हज़ारों वर्षों से अलग अलग अलग पंथो को स्वीकारकर अंगिगत करते चले आ रहे है।अंतर दोनो में कुछ नहीं है बस कोई इतिहास में इस्लामिक आक्रांत

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बामपंथी

10 जनवरी 2020
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प्रायः यह शब्द सुनकर अधिकतर रूस या चीन या कोरिया की छवि हमारे मन-मस्तिष्कीय रेखाओं पर अंकित होती है वस्तुतः भारत भूमि से इस शब्द का जुड़ाव एक अलग प्रसार-प्रचार को परिभाषित करता है |{ हिंन्दु विरोध } { पंथ निर्पेक्ष छवि } { इस्लामिक ईसाई शक्तियाँ } = राष्ट्रदोही अस्

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स्वामी श्रद्धानंद व शुद्धि आंदोलन एक विशलेषण

15 जनवरी 2020
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कृण्वन्तो विश्वमार्यम्,नमस्कार आपने स्वामी दयानंद जी द्वारा प्रारंभित शुद्धि आंदोलन का जिक्र तो सुना व पढ़ा होगा परन्तु उस आंदोलन में अहम भूमिका स्वामी श्रद्धानंद जी ने आगामी समय मे निभाई |आधुनिक भारत में “शुद्धि” के सर्वप्रथम प्रचारक स्वामी दयानंद थे तो उसे आंदोलन के रूप में स्थापित कर सम्पूर्ण हिन्

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हिन्दू धर्म क्यो इस्लामिक आक्रांताओ के उपरांत भी जीवांत रहा ?

17 जनवरी 2020
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स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो धर्म-सम्मेलन में एक अत्यंत मुख्य बात इसी प्रश्न के संधर्भ में कही थी जो आज भी सजीव है | धर्म दो प्रकार से कार्यान्वित है एक स्थूल जो उसके अनुयायिओं द्वारा दृश्य होता है दूसरा जो सूक्ष्म रूप से उस स्थूल को दर्शन करवाकर दर्शित कर दृश्य बनाता है ; अब यहाँ दृश्य क्या है ? आ

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गृहयुद्ध

21 जनवरी 2020
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गृहयुद्ध का अर्थ हर देश की अपनी भिन्न भिन्न संरचनाओं के आधार पर होता है जैसे सीरिया में गृहयुद्ध वहाँ के राष्ट्रपति व isisi के विरुद्ध था व अभी भी कार्यगत है कभी अमेरिका में गृहयुद्ध हुआ तो वह आर्थिक मुद्दे पर होगा या हांगकांग में हो रहा गृहयुद्ध चीनी कम्युनिस्ट सरकार के विरुद्ध है |अब बात इंडिया की

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खालिस्तान

23 जनवरी 2020
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यह मानचित्र 2004 तक का एक उदाहरणस्वरूप विवरण देता है कि सिक्ख संप्रदाय किन किन भौगोलिक हिस्सो में स्थानांतरण हुआ | अब वर्तमान में भारत को छोड़ सबसे अधिक सिक्ख अमेरिका , कनाडा फिर यूनाइटेड किंगडम में रहते है | खालिस्तान अर्थ खालशा की भूमि यह परिकल्पना कभी भी गुरु गोविंद साहब , गुरु तेग बहादुर , बंदा ब

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शाहीन बाग़ एक ढोंग

1 फरवरी 2020
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इस्लामिक कट्टरपंथियों की पहचान है , शाहीन बाग बामपंथियों की राष्ट्रबाद को ललकार है , शाहीन बाग ना विरोध है , तर्कों का ना विज्ञान है , लफ्ज़ो का आडम्बर है , अंधकार है पाक के नापाक भक्तों का !सीऐऐ संग nrc जोड़ कर प्रपंज था हिंदुत्व के अपमान का सम्मानित भी हम कहाँ थे ?परतन्त्रता के भावाभेष में वर्तमान क

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