इस्लामिक कट्टरपंथियों की पहचान है , शाहीन बाग
बामपंथियों की राष्ट्रबाद को ललकार है , शाहीन बाग
ना विरोध है , तर्कों का
ना विज्ञान है , लफ्ज़ो का
आडम्बर है , अंधकार है
पाक के नापाक भक्तों का !
सीऐऐ संग nrc जोड़ कर
प्रपंज था हिंदुत्व के अपमान का
सम्मानित भी हम कहाँ थे ?
परतन्त्रता के भावाभेष में
वर्तमान को टाल-टाल कर
कैसा , क्या भविष्य बनाओगे
अपमान , सम्मान के द्वंदों में
जिहाद से पिछड़ तो ना जाओगे ?
1200 वर्षो के इतिहास को छोड़ो
47 को ही तुम बस याद रखना
फिर मत कहना बंटबारा किसी
जिन्नाह की फरमाइश थी
अपितु
सच तो यही है हर कोई
काफिरों की पैदाइश थी !
आज हज़ारो कश्मीर
आज़ादी को बेहिसाब है
हिजाब में लोकतंत्र , संविधान का अब तो
यही मिज़ाज़ है
अन्यथा तो सब कुछ यहाँ बंटाधार है
यह शब्द भी सब निष्क्रिय ही तो अल्फाज़ है
कोई सुनकर ले समझ
अब बस यही प्रयास हैं |