गृहयुद्ध का अर्थ हर देश की अपनी भिन्न भिन्न संरचनाओं के आधार पर होता है जैसे सीरिया में गृहयुद्ध वहाँ के राष्ट्रपति व isisi के विरुद्ध था व अभी भी कार्यगत है कभी अमेरिका में गृहयुद्ध हुआ तो वह आर्थिक मुद्दे पर होगा या हांगकांग में हो रहा गृहयुद्ध चीनी कम्युनिस्ट सरकार के विरुद्ध है |
अब बात इंडिया की तो विगत 1300 वर्षो से इस्लामिक आक्रांताओ का उत्पात फिर अपनी आपसी कलह उस पर भी ब्रिटिश राज्य फिर तथाकथित आज़ादी ( 1947 ) फिर एक ऐसी राजनीतिक विरासत जहाँ मुस्लिमो को खुश करना ही जीत का मंत्र व अन्य जातिवाद राजनीति तो हज़ारो वर्षो पुरानी विरासत है ही ! अब यहाँ सेक्युलर होने का अर्थ सीधा है कि हिंदू सभ्यता अर्थात भारतीय वैदिक सनातन सभ्यता व संस्कृति का अपमान व कहीं भी किसी भी स्तर पर हिंदू धर्म व समाज का उत्थान व सरोकार इस नवीन बामपंथी ( ईसाई व मुस्लिम कट्टरपंथी ) इंडिया में भारत के सनातन रूप से ना किया जाए अब सरकार जब राष्ट्रवादियों की आयी तो हिंदुत्व हिंदू धर्म से अलग कर एक नई परिभाषा को जन्म दिया गया कि हम संविधान व लोकतंत्र को बचाने आये है |
यहाँ का गृहयुद्ध अलग प्रकार का है दिखने में नही दिखेगा परंतु समय आने पर अवश्य जैसे एक मुस्किम देश का गृहमंत्री बना लाखो कश्मीरी हिंदू अपने ही देश में निर्वासित हो गए वही लाखो रोहिंग्या पर कश्मीर में आसानी से बस गए तो भविष्य में अगर मुस्लिम जितना अधिक राजनीति व सरकारी तंत्र में होंगे उतना ही गृहयुद्ध होने के आसार रहेंगे क्योकि उनके लिए लोकतंत्र व संविधान का अर्थ उन्हें प्राप्त शरीया कानून से है अन्यथा कुछ भी उन्हें लेना देना नही जैसे caa प्रोटेस्ट्स में हर जगह एक बात कही गयी ट्रिपल तलाक हुआ हम चुप रहे , राम मंदिर हुआ हम चुप रहे अब ट्रिपल तलाक कानून संसद से पारित हुआ व राम मंदिर उच्चतम न्यायलय का फैसला तो जिस लोकतंत्र व संविधान की बात ये करते है क्या उसी लोकतंत्र व संविधान को ये स्वम समझते व जानते है नही इन्हें सिर्फ अपने शरीअत से मतलब है अन्य कुछ नही | निकट भविष्य में यूनिफार्म सिविल कोड आने दीजिये फिर दिखिए क्या क्या होता है !
अंत में यह गृहयुद्ध 1300 वर्षो से क्रियान्वित है अब फर्क सिर्फ इतना है हिंदू नही मानना चाहता कि सच में ऐसा कुछ है जब तक गजवाय-हिन्द व निज़ामे-मुस्तफा वालो को आप अपने घर में रखेंगे यही होता रहेगा !