18 अगस्त 2024
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मां मुझे डर लगता है . . . . बहुत डर लगता है . . . . सूरज की रौशनी आग सी लगती है . . . . पानी की बुँदे भी तेजाब सी लगती हैं . . . मां हवा में भी जहर सा घुला लगता है . . मां मुझे छुपा ले बहुत डर
एक सामान्य स्वप्न ले कर जीने वाली लड़की।एक मध्यमवर्गीय परिवार की बेटी जिसने अभी जीना शुरू भी नहीं किया था कि जला कर मार दी गयी। क्यों ? क्योंकि किसी राक्षस का दिल आ गया था उसपर !उसे बीवी बना कर अपनी झ
'मां मुझे कोख मे ही रहने दो'डरती हूं बाहर आने से ,मां मुझे कोख मे ही रहने दो।पग - पग राक्षसीं गिद्ध बैठे हैं,मां मुझे कोख में ही मरने दो।कदम पड़ा धरती पर जैसे,मिले मुझे उपहार मे ताने।लोग देने लगे नसीह
डरावनी रातजाड़े के महीने की उस भयंकर रात को भी मेरे सिर के ललाट पर पसीने की मोती जैसी बूँदें बरस रही थी। नहीं! वह पसीने की बूंदें गर्मी की वजह से नहीं बल्कि डर की वजह से था। मेरा नाम धरमा है, दिसंबर म
ज़हरीली हो गई है बाहर की हवाएं,माँ मुझे फिर से अपने आंचल में छुपा लो