आज ओ बात बताने जा रहा हु जो इस समय चल रहा है,
न जाने चाह कर भी मैं खुद को रोक न सका ।
ऐसी परिस्थिति मैने देखा कि अब बिना लिखे रहा नहीं जाता है।
ये कहानी उन अध्यापको को समर्पित है जिन्होंने पूरी उम्र बहुत ही मेहनत कर के सभी को सही मार्ग दिखाया।
आओ देखते है 2020 की कुछ परिस्थितियों के बारे में ।
मुश्किल की इस घड़ी में मैन देखा है समाज को बनाने वालों की हालत हम सब अधयापक इस कदर से टूट गए मानो दुनिया ही खत्म हो गई, जो अध्यापक काम वेतन पता था ,फिर भी बच्चो को मन लगा कर पढ़ता था ,सुबह से शाम तक एक ही subject को कई बार दोहराता था,हर बार हर क्लास में यही सिखाता था,मन लगा कर पढ़ो अच्छे इंसान बनो कामयाब बनो,पर खुद की परवाह नहीं करता था और सब को हँसता और सही मार्ग दिखता था।
पर आज एक दौर ऐसा आया कि सारी खुशियाँ बिखर सी गई।न जाने कहा चला गया तो बच्चों की चिल्लाने ,ओ क्लास में सोर गुल ऐसा लगने लगा जैसे सब कुछ किसी ने छीन लिया हो ओ चेहरे की मुस्कुराहट खत्म हो गया ।एक प्राइवेट स्कूल का अध्यापक वेतन के लिए नहीं बल्कि बच्चो से लगाव और उनके लिए सही मार्ग के लिए जाता था।
एक अधयापक उस मार्ग की तरह है जो दूसरों को उसकी मंजिल तक तो पहुच देते है पर खुद वही रह जाता है।
समाज को सुधारने में पूरा सहयोग होता है ।
पर आज जिस परिस्थितियों में अध्यापक है किसी को कोई परवाह नहीं हैं,मैंने बहुत सारे वीडियो देखें है जिस में उनके आँशु ये बया कर रहे थे कि कितना दर्द है।
इस बात को समझने की जरूरत है कि आज सब से बेकार वही हो गया जो निर्माण कर्ता है।
क्या आने वाली पीढ़ी कभी इन बातों को समझ सके गी।
आज हम सब को सोचने वाली बात है ,ये बहुत गंभीर विषय है।