आज का प्रेरक प्रसंग
टूटा हुआ फूलदान
*प्राचीन जापान में एक सम्राट बहुत सनकी था। वह छोटी- छोटी गलती के लिए बड़ा दंड दे देता था। इसलिए प्रजा उससे बहुत भयभीत रहती थी। सम्राट के पास बीस फूलदानियों का एक अतिसुन्दर संग्रह था। जिस पर उसे बड़ा गर्व था। वह अपने महल में आने वाले अतिथियों को यह संग्रह अवश्य दिखाता था। एक दिन फूलदानियों की नियमित सफाई के दौरान सेवक से एक फूलदानी टूट गई। सम्राट आगबबूला हो गया। उसने सेवक को फांसी पर लटकाने का हुक्म दे दिया। राज्य में खलबली मच गई। एक फूलदानी टूटने की इतनी बडी सजा पर सभी हैरान रह गए। सम्राट से रहम की अपील की गई, किंतु वह नहीं माना। तब एक बूढ़ा आदमी दरबार में हाजिर होकर बोला, 'सरकार! मैं टूटी हुई फूलदानी जोड़ने में सिद्ध हस्त हूँ। मैं उसे इस तरह जोड़ दूंगा कि वह पहली जैसी दिखाई देगी।' सम्राट ने प्रसन्न होकर बूढ़े को अपनी शेष फूलदानियां दिखाते हुए कहा, 'इन उन्नीस फूलदानियों की तरह यदि तुम टूटी हुई फूलदानी को भी बना दोगे तो मुंहमांगा इनाम पाओगे।' सम्राट की बात समाप्त होते ही बूढ़े ने अपनी लाठी उठाई और सभी फूलदानियां तोड दी। यह देखकर सम्राट क्रोधावेश में कांपते हुए बोला, 'बेवकूफ! ये तुमने क्या किया।' बूढ़े ने दृढ़ता के साथ कहा, महाराज इनमें से हर फूलदानी के पीछे एक आदमी की जान जाने वाली थी। तो मैंने अपने इंसान होने का फर्ज निभाते हुए उन्नीस लोगों के प्राण बचा लिए। अब आप शौक से मुझे फाँसी की सजा दे सकते हैं। सम्राट को अपनी गलती का अहसास हो गया।
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Today's inspiring episode
Broken vase
* An emperor was very eccentric in ancient Japan. He used to give big punishment for small mistake. That is why people used to be very afraid of him. The emperor had a very beautiful collection of twenty vases. Which he was very proud of. He used to show this collection to the guests visiting his palace. One day during the regular cleaning of the vase, a vase broke from the servant. The emperor became enraged. He ordered the servant to be hanged. There was a panic in the state. Everyone was amazed at the huge punishment of breaking a vase. Rahm was appealed to the emperor, but he did not agree. Then an old man appeared in the court and said, 'Government! I am a proven hand in adding broken vase. I will add her in such a way that she will look like the first one. ' The emperor was pleased and showed the remaining vase to the old man, saying, 'If you make a broken vase like these nineteen vases, you will get a reward. As soon as the emperor's talk was over, the old man picked up his stick and broke all the vases. Seeing this, the emperor trembled in anger and said, 'Idiot! what you've done.' The old man said firmly, Maharaja was about to kill a man behind each of these flowers. So I saved the life of nineteen people by playing the duty of being my human being. Now you can hang me with a hobby. The Emperor realized his mistake.