आज का प्रेरक प्रसंग
कंजूस की इंसानियत
एक नगर के बहुत बड़े सेठ का देहांत हो गया..
उसका एक बेटा था, जो सोचने लगा, कौन आयेगा मेरे पिताजी के अंतिम संस्कार में..
जीवन भर तो इन्होनें कोई पुण्य, कोई दान धर्म नही किया.. बस पैसे के पीछे भागते रहें..
सब लोग कहते है ये तो कंजूसों के भी कंजूस थे, फिर कौन इनकी अंतिम यात्रा में शामिल होगा..
खैर.. जैसा तैसा कर, रिश्तेदार, कुछ मित्र अंतिम संस्कार में शामिल हुये..
पर वहाँ भी वही बात, सब एक दूसरे से कहने लगे बड़ा ही कंजूस शख्स था, कभी किसी की मदद नही की..
हर वक्त बस पैसा, पैसा, यहाँ तक की घरवालों, रिश्तेदारों, तक को भी पैसे का एक-एक हिसाब ले लेता था..
कभी कालोनी के किसी भी कार्यकम्र में एक रूपयें नही दिया, हर वक्त बस ताने दियें, खुद से कर लिया करो..
आज देखों दो चार लोग, बस इनके संस्कार पर आये हैं..
बहुत देर अर्थी रोकने के बाद कंजूस सेठ के बेटे को किसी ने कहा, अब कोई नही आयेंगा..
इन्हें कोई पसंद नही करता था, एक नम्बर के कंजूस थे, कौन आयेगा इनके संस्कार पर.. अब श्मशान ले जाने की तैयारी करो..
बेटे ने हामी भर दी, शरीर को लोग उठाने लगें..
पर.. एकाएक उनकी नजर सामने आती भीड़ पर पड़ी..
कोई अंधा, कोई लगड़ा, हजारों की संख्या में महिलाए, बुजर्ग बच्चें, सामने नजर आने लगें..
और उस कंजूस सेठ के शरीर के पास आकर फूट-फूट कर रोने लगे.. ये कहकर मालिक अब हमारा क्या होगा..
आप ही तो हमारे माई-बाप थे.. कैसें होगा अब, सारे बच्चों ने उस कंजूस सेठ का पैर पकड़ लिया और बिलख_बिलख कर रोने लगे..
सेठ के बेटे से रहा नही गया, उसने पूछ लिया.. कौन है आप सब और क्यूं रो रहें हैं..?
पास ही खड़े कंजूस सेठ के मुनीम ने कहा, ये है तुम्हारे पिता की कमाई..
कंजूसीयत, ये लोग देख रहें हो.. कोई अंधा कोई अपहिज, लड़कियाँ, महिलाए, बच्चें तुम्हारे पिता ने ये कमाया है सारी उम्र..
तुम जिसें कंजूस कहते हो ये रिश्तेदार, पड़ोसी मित्र जिसे महाकंजूस कहता हैं..
इन झुग्गी झोपड़ी वालो से पूछो, की बताएंगे, ये कितने दानी थे, कितने वृध्दाआश्रम, कितने स्कूल, कितनी लड़कियों की शादी..
कितनो को भोजन, कितनो को नया जीवन आपके इस कंजूस बाप ने दिया हैं..
ये वो भीड़ है जो दिल से आयी हैं.. आपके रिश्तेदार पड़ोसी जैसे नही, जो रस्म पूरी करने के लिए आये हैं..
फिर उसके बेटे ने पूछा, पिताजी ने मुझे ये सब क्यू नही बताया.. क्यूं हमें एक-एक पैंसे के लिए तरसाते रहे..
क्यू.. कालोनी के किसी भी कार्यकम्र में एक भी मदद नही की..
मुनीम ने कहा, तुम्हारे पिताजी चाहते थे, तुम पैंसों की कीमत समझों..
अपनी खुद की कमाई से सारा बोझ उठाओ, तभी तुम्हें लगें की हाँ पैसा कहा खर्च करना है और क्यूं..
फिर मुनीम ने कहा, ये कालोनी वाले ये मित्र, ये रिश्तेदार,कभी स्वीमिंग पूल के लिए, कभी शराब, शबाब के लिए..
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कभी अपना नाम ऊंचा करने के लिए, कभी मंदिरों में अपना नाम लिखवाने के लिए, चंदा मांगते थे।
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पूछों इन सब से कभी वो आयें इनके पास की सेठ किसी गरीब, बच्ची की शादी, पढाई, भोजन अंधे की ऑख,
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अपहिजों की साईकिल, किसी गरीब की छत, इनके लिए कभी नही आये..
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ये तो आये बस खुद को दूसरो से ऊंचा दिखाने के लिए, मौज मस्ती में पैसा उड़ाने के लिए..
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आज ये भीड़ है ना.. वो दिल से रो रही हैं, क्यूकि उन्होने वो इंसान खोया हैं, जो कई बार खुद भूखे रहकर, इन गरीबों को खाना खिलाया है..
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हिम्मत से ही सफलता मिलती है:
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ना जाने कितनी सारी बेटियों की शादी करवाई, कितने बच्चों का भविष्य बनाया, पर हाँ तुम्हारे कालोनी वालो की किसी भी फालतू फरमाईश में साथ नही दिया..
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अगर तुम समझते हो ये कंजूस हैं.. तो सच हैं.. इन्होने कभी किसी गरीब को छोटा महसूस नही होने दिया, उनकी इज्जत रखी, ये कंजूसीयत ही हैं...
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आज हजारों ऑखें रो रही हैं, इन चंद लोगो से तुम समझ रहें हो.. तुम्हारे पिता कंजूस है तो तुम अभागें हो..
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बेटे ने तुरंत अपने पिता के पैर पकड़ लिए.. और पहली बार दिल से रो कर कहने लगा..
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बाबूजी आप सच में बहुत कंजूस थे, आपने अपने सारे नेक काम कभी किसी से नही बाँटे आप बहुत कंजूस थे।।
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किसी महान आदमी ने कहा हैं.. नेकी कर और दरिया में डाल..
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नेक काम ऐसा होना चाहिए की एक हाथ से करें, तो दूसरे को पता ना चलें ।
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Today's inspiring episode
Miserliness
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A very large Seth of a city died ..
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He had a son, who started thinking, who will come to my father's funeral ..
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Throughout his life, he did not do any charity, no charity .. Just keep running after money ..
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Everyone says that he was also a miser of the miser, then who will join his last journey ..
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Well .. As the tit, relatives, some friends attended the funeral ..
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But there too, the same thing, everyone started saying to each other was a stingy person, never helped anyone ..
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All the time, just money, money, even family members, relatives, used to take one account of the money ..
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Never gave any forms in any program of the colony, just taunt you all the time, do it yourself.
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Today see two or four people, just come to their rites ..
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After stopping for a long time, someone said to the son of miser Seth, now no one will come ..
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Nobody liked them, they were the miser of a number, who will come to their cremation .. Now prepare to take the crematorium ..
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Son agreed, people started lifting the body ..
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But .. suddenly they saw the crowd coming in front ..
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Some blind, some Lagda, thousands of women, elderly children, start appearing in front of ..
And coming near the body of that stingy Seth, they started crying bitterly .. By saying this, what will be our boss now ..
You were our mother-father .. How will it be now, all the children have caught the foot of that miser Seth and started crying out loudly.
Seth's son is no more, he asks .. Who are you all and why are you crying ..?
The accountant of the miser Seth standing nearby said, this is your father's income ..
Conscious, these people are watching .. Some blind kidnappers, girls, women, children, your father has earned it all his life ..
Whomever you call a miser, this relative, a neighbor friend who is called Mahakanjus ..
Ask these slum dwellers, they will tell you how much they were donors, how many old age homes, how many schools, how many girls got married ..
Your stingy father gave food to some, how many of your new life ..
This is a crowd that has come from the heart .. not like your relative neighbors who have come to complete the ritual ..
Then his son asked, why did not father tell me all this .. why we kept craving for each penny ..
Q .. No one helped in any program of the colony ..
The accountant said, your father wanted you to understand the value of money ..
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Take all the burden from your own earnings, then you will feel that yes money has to be spent and why ..
Then the bookkeeper said, these friends of the colony, these relatives, sometimes for the swimming pool, sometimes for wine, youth ..
Sometimes to raise his name, sometimes to write his name in temples, he used to ask for donations.
Ask them to come from all these at any time, the poor near them, the marriage of a child, studies, food, eyes of the blind,
The kidnapped bicycles, roofs of some poor, never came for them ..
They came just to show themselves higher than others, to have fun blowing money ..
Today this crowd is there .. She is crying from the heart, because she has lost the person who has been starving herself many times, feeding these poor people ..
Success comes from courage:
Do not know how many daughters got married, how many children made their future, but yes, your colony people did not support in any wasteful practice.
If you think that they are stingy .. then they are true .. They never let a poor person feel small, respected them, they are a miser ...
Today thousands of eyes are crying, with these few people you understand .. Your father is a miser, then you are unfortunate ..
The son immediately grabbed his father's feet .. and started crying for the first time ..
Babuji, you were really stingy, you never shared all your noble work with anyone. You were very stingy.
Some great man has said .. do righteousness and put it in the river ..
The noble work should be done with one hand, then the other does not know.