आज का प्रेरक प्रसंग
*🌿नीम के पत्ते🌿
*एक बार की बात है जमूरा नामक गाँव से थोड़ी दूर पर एक महात्मा जी की कुटिया थी उस कुटिया में महात्मा जी के साथ उनका एक शिष्य भी रहता था जो दोनों आँखों से अंधा था। महात्मा जी एक महान विद्वान थे| अपने पास आए हुए हर व्यक्ति की समस्याओं का समाधान वो बहुत ही प्रसन्नता के साथ करते थे चाहे वह समस्या कोई भी हो।महात्मा जी गाँव और शहर में काफी चर्चित है उनसे मिलकर अपनी समस्या का समाधान पाने के लिए बहुत दूर-दूर से व्यक्ति आते थे।एक दिन ऐसा हुआ कि कहीं दूर शहर से दो हट्टे-कट्टे नौजवान महात्मा जी के पास आए वो बहुत ही परेशान लग रहे थे। महात्मा जी ने आदर के साथ उन्हें अन्दर आने को कहा और चारपाई पर बैठा कर उनकी समस्या पूछी।पहला नौजवान बोला- "महात्मा जी हमने सुना है आपके पास हर समस्या का समाधान है, जो कोई भी आपके पास अपनी समस्या ले कर आता है वह खाली हाथ नही जाता। हम भी आपके पास अपनी समस्या ले कर आये है और उम्मीद करते है आप हमे निराश नही करेंगे।”“तुम निश्चिन होकर मुझे अपनी समस्या बताओ” महात्मा जी बहुत ही विनम्रता से बोले।दूसरा नौजवान बोला- "महात्मा जी हम लोग इस शहर में नए आये हैं, जहाँ हमारा गाँव हैं वहाँ के हालात बहुत ही खराब है। वहाँ आवारा लोगो का बसेरा हैं उन्ही की दहशत हैं सड़को पर गुजरते हुए लोगो से बदतमीज़ी की जाती हैं, आते जाते लोगो को गालियाँ दी जाती हैं कुछ शराबी लोग सड़क पर खड़े होकर आते जाते लोगों को परेशान करते है कुछ बोलने पर वह हाथापाई पर उतर आते हैंं।पहला नौजवान बोला- "हम बहुत परेशान हो गए हैं भला ऐसे समाज में कौन रहना चाहेगा, आप ही बताइए। महात्मा जी दोनों नौजवानों की बात सुनकर अपनी कुटिया से बड़बड़ाते हुए बाहर की ओर निकले। दोनों नौजवान भी कुटिया से बाहर आये और देखा महात्मा जी शांत खड़े होकर सामने वाली सड़क को देख रहे थे।अगले ही पल महात्मा जी मुड़े और दोनों जवानों से बोले “बेटा मेरा एक काम करोगे” सड़क की ओर इशारा करते हुए कहा “यह सड़क जहां से मुड़ती है वहीं सामने एक नीम का बड़ा है वहां से मेरे लिए कुछ पत्तियां तोड़ लाओ”।दोनों नौजवानों ने जैसे ही कदम बढ़ाया तो तुरंत...महात्मा जी ने उन्हें रोकतेे हुए कहा-“ठहरो बेटा... जाने से पहले मैं तुम्हे बता दूं रास्ते मेंं कई आवारा कुत्ते मिलेंगे जो बहुत ही ख़ूँख़ार है तुम्हारी जान भी जा सकती है क्या तुम पत्ते ला पाओगे??दोनों नौजवानों ने एक दूसरे को देखा उनके चेहरे पर एक डर था परंतु वह जाने के लिए तैयार थे। वह सड़क की तरफ जैसे ही बढ़े उन्होंने देखा रास्ते के दोनों तरफ कई आवारा कुत्ते बैठे हुए हैं।उन दोनों नौजवानों ने आवारा कुत्तों को पार करने की बहुत कोशिश की परंतु उन्हें पार कर पाना आसान नहीं था। जैसे ही वह कुत्तों के करीब जाते, कुत्ते भौकते हुए उन्हें काटने की कोशिश करते हैं। काफी कोशिश करने के बाद वापस आ गया और महात्मा जी से बोले हमें माफ कर दीजिए यह रास्ता बहुत ही ख़तरनाक हैं रास्ते में बहुत ही खतरनाक कुत्ते हैं हम यह काम नहीं कर पाए।दूसरा नौजवान बोला- "हम दो-चार कुत्तों को किसी तरह पार कर पाए परंतु आगे जाने पर उन्होंने हम पर हमला कर दिया जैसे तैसे करके हम वहां से जान बचाकर आए हैं” महात्मा जी बिना कुछ बोले कुटिया के अंदर चले गए और फिर अपने शिष्य को साथ लेकर निकले|महात्मा जी ने शिष्य को नीम का पत्ता तोड़कर लाने के लिए कहा तो शिष्य उसी रास्ते से गया काफी देर बाद जब वह वापस आया तो उसके हाथ नीम के पत्ते से भरे यह देख कर दोनों नौजवान भौचक्के रह गए।महात्मा जी बोले- “बेटा यह मेरा शिष्य है हालांकि यह देख नहीं सकता है परंतु इसे कौन सी चीज कहां है इस बात का पूरा ज्ञान हैं यह रोज मुझे नीम के पत्ते ला कर देता और इसे आवारा कुत्ते इसलिए नहीं काटते हैं क्योंकि यह उनकी तरफ बिल्कुल ध्यान ही नहीं देता है सिर्फ अपने काम से काम रखता है”महात्मा जी फिर आगे बोले- “जीवन में एक बात हमेशा याद रखना बेटा रास्ते में कितनी भी कठिनाइयां क्यों ना हो हमें अपने लक्ष्य को ध्यान में रखना चाहिए और उसी की तरफ आगे बढ़ना चाहिए”*
*शिक्षा/Moral:- तो बच्चों इस नौजवानों की तरह हमें भी अपने जीवन में कई ऐसे अनुभव मिलते हैं हमारे जीवन में कई ऐसे खतरनाक मोड़ आएंगे हमें उन से डरना नहीं चाहिए बल्कि उनका डटकर सामना करना चाहिए और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए।
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Today's inspiring episode
* Anime leaves
* Once upon a time there was a hut of Mahatma ji, a little bit away from the village called Jamura, in that hut there was a disciple with Mahatma ji who was blind from both eyes. Mahatma ji was a great scholar. He used to solve the problems of every person who came to him with great pleasure, no matter what the problem is. Mahatma ji is very much known in the village and city. One day it happened that somewhere far away from the city, two hapless young men came to Mahatma ji and they seemed very upset. Mahatma ji with respect asked him to come in and sat on the bed and asked for his problem. The first young man said - "Mahatma ji, we have heard that you have a solution to every problem, whoever comes to you with their problem Does not go empty handed. We have also come to you with our problems and hope you will not disappoint us. "" You are sure to tell me your problem "Mahatma ji said very politely. The second young man said-" Mahatma ji We have come new to this city, where our village is, the situation is very bad. There are inhabited by stray people, they are scared of them, they are being bullied by people passing on the streets, people are abused as they come, some drunk people harass people by standing on the road and they get down on scuffle when they say something The first young man said - "We are very upset, who would want to live in such a society, you tell me. Mahatma ji came out of the house after grumbling with his hut after listening to both the young men. Both the youth also came out of the hut." And saw Mahatma Ji standing calmly looking at the road in front. The very next moment Mahatma ji turned and said to the two soldiers "Son will do one thing for me", pointing to the road and said "This road turns from where there is a front Neem's big, get some leaves for me from there ". As soon as the two young men stepped in, immediately ... Mahatma ji stopped them and said," Wait son ... before I go let me tell you many ways Stray dogs will be found, which is very dangerous, your life can also be lost. Will you be able to bring leaves ?? The two youngsters saw each other's faces There was a fear but he was ready to leave. As he moved towards the road he saw several stray dogs sitting on either side of the road. Both of them tried very hard to cross the stray dogs but it was not easy to cross them. As he moves closer to the dogs, the dogs bark and try to bite them. After much effort, I came back and said to Mahatma ji, forgive us, this path is very dangerous, there are very dangerous dogs on the way, we could not do this work. The second young man said- "We can see two-four dogs somehow We were able to cross it but on going ahead they attacked us like we have come to save our lives from there somehow "Mahatma ji went inside the hut without saying anything and then came out with his disciple. Mahatma ji took the disciple of Neem When asked to bring the leaf by breaking, the disciple went the same way. After a long time, when he came back, both the youngsters were shocked to see that his hands were filled with neem leaves. Mahatma ji said, "Son, this is my disciple though not seeing it. But it has full knowledge of where it is, it would have brought me neem leaves every day and stray dogs do not bite it because it does not pay attention to them at all, it only keeps its own business. " Mahatma ji then said, "Always remember one thing in life, son, no matter how many difficulties there are, we should keep our goal in mind." Stay and move towards the same ”*
* Education / Moral: - So like children, we also get many such experiences in our life, there will be many such dangerous moments in our life, we should not be afraid of them but should face them firmly and move towards our goal.