*माँ मैं फिर*
*माँ मैं फिर जीना चाहता हूँ, तुम्हारा प्यारा बच्चा बनकर*
*माँ मैं फिर सोना चाहता हूँ, तुम्हारी लोरी सुनकर,*
*माँ मैं फिर दुनिया की तपिश का सामना करना चाहता हूँ, तुम्हारे आँचल की छाया पाकर*
*माँ मैं फिर अपनी सारी चिंताएँ भूल जाना चाहता हूँ, तुम्हारी गोद में सिर रखकर,*
*माँ मैं फिर अपनी भूख मिटाना चाहता हूँ, तुम्हारे हाथों की बनी सूखी रोटी खाकर*
*माँ मैं फिर चलना चाहता हूँ, तुम्हारी ऊँगली पकड़ कर,*
*माँ मैं फिर जगना चाहता* *हूँ, तुम्हारे कदमों की आहट पाकर*
*माँ मैं फिर निर्भीक होना चाहता हूँ, तुम्हारा साथ पाकर,*
*माँ मैं फिर सुखी होना चाहता हूँ, तुम्हारी दुआएँ पाकर*
*माँ मैं फिर अपनी गलतियाँ सुधारना चाहता हूँ, तुम्हारी चपत पाकर,*
*माँ मैं फिर संवरना चाहता हूँ, तुम्हारा स्नेह पाकर*
*क्योंकि माँ मैंने तुम्हारे बिना खुद को अधूरा पाया है. मैंने तुम्हारी कमी महसूस की है!*