*"नदी समुद्र आदि में पुल का निर्माण कैसे किया जाता है जबकि वहां अत्यधिक पानी होता है"
▪️आप लोग जब भी कभी कई घूमने जाते होंगे तो रास्ते में नदी के ऊपर से कोई पुल पड़ता होगा या आपके इसे कभी किसी फिल्म या कहीं देखा होगा तो दिमाग में ये तो जरूर आया होगा कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है। नदी या संमदर पर पुल कैसे बनाया होगा। इतना गहरा पानी होने के बाद भी पुल बनाने वालों ने कैसे इसे सही स्थान पर खड़ा किया होगा और वो भी इतना सुरक्षित कि गाड़ी, बस या ट्रेन इसके ऊपर से आसानी से निकल सकते हैं।
▫️दरअसल, जब नदी या संमदर पर कोई बनाया जाता है तो पहले उसका डिजाइन बनाया जाता है और उसको बनाते समय पानी की अधिकतम और न्यूनतम गहराई, पानी के बहाव की गति, पानी के नीचे की मिट्टी की प्रकृति, पुल का भार, पुल पर चलने वाले वाहनों का भार आदि का हिसाब रखा जाता है और फिर पुल की नींव का प्रकार तय किया जाता है और फिर उसकी नींव का डिजाइन किया जाता है।
*🔸पानी में बने पुल की नींव की सामान्यत दो प्रकार की होती है*
1). पाइल फाउंडेशन (Pile Foundation)
2). वेल फाउंडेशन (Well Foundation)
*🔹अब बात आती है कि बहते हुए पानी में काम कैसे करें ?*
▪️अब पुल बनाने से पहले इसके लिए पानी में एक टेम्पररी एकसेस (Temporary access) के लिए एक मजबूत लोहे का पुल बना लिया जाता है। इसी पुल की सहायता से पानी में लकड़ी की बल्ली (wood pile) गोलाकार आकार में धंसा दी जाती हैं। फिर इनके बीच में रेत से भरे बोरे फंसा दिए जाते हैं, जिससे से और ज्यादा मजबूती से खड़े रहें। अब शुरू होता है इस गोले में रेत या मिट्टी भरने का काम, जब मिट्टी पानी के सतह से ऊपर आ जाती है तो लोहे के पुल से बुनियाद के निर्माण के लिए इंजीनियर, मजदूर और मशीन अपना काम शुरू करते हैं।
*🔸पुल की संरचना को हम दो भागों में बांटते हैं*
1. उप संरचना (Substructure)
2. सुपर संरचना (Super structure)
▪️जो भाग जमीन के स्तर के नीचे होता है उसे उप संरचना कहा जाता है। इसे नींव रखना या बुनियाद रखना भी कहा जाता है। इसका वर्णन ऊपर किया जा चुका है कि कैसे इसको रखा जाता है। अब हम जमीन के ऊपर के भाग के बारे में जानेंगे। जहां पुल के बीच में पुल को रोकने के लिए जो आधार बनाया जाता है उसे पियर यानी कि सेतुबंध (Pier) कहते हैं। दो पियर के बीच की दूरी यानी कि अवधि कहा जाता है। स्पैन के हिसाब से ही पुल का प्रकार तय किया जाता है।
इसे इस प्रकार बांट सकते है*
1. सॉलिड स्लैब – 10–15 मीटर के स्पेन के लिए।
2. गर्डर – 60–80 मीटर तक के स्पेन के लिए।
3. सेगमेंट – 80 मीटर से ज्यादा स्पेन के लिए।
▪️जहां नदियों का जल स्तर ज्यादा ऊंचा नहीं होता और ज्यादा वक्त उनकी चौड़ाई कम रहती है ! वहां गर्डर का इस्तेमाल किया जाता है। गर्डर को सीधे इसकी जगह पर या कास्टिंग यार्ड में बना सकते हैं। कास्टिंग यार्ड में बने हुए गर्डर को क्रेन की सहायता से पियर कैप के ऊपर रख दिया जाता है। फिर सेगमेंट ब्रिज वहां के लिए डिजाइन किए जाते हैं, जहां पानी का स्तर काफी ऊंचा हो। जिसके कारण स्पैन काफी अधिक हो जाता है। इस के लिए पहले कास्टिंग यार्ड में सेगमेंट्स को कास्ट कर लिया जाता है। फिर इन्हें उठाकर एक-एक करके पियर के दोनों तरफ जोड़ते जाते हैं |
🔸आखिर में होता है ये काम :
▪️सेगमेंट्स को आपस में जोड़ने के लिए उच्च तन्यता स्टैंड तार (High Tensile Stand Wire) का प्रयोग किया जाता है ! इसे सेगमेंट के बीच से गुजार कर बहुत शक्तिशाली जैक से खींचा जाता है और सीमेंट कंपाउंड से जाम कर दिया जाता है। दो सेगमेंट के बीच की दरार को एपॉक्सी से भर देते हैं। फिर आखिर में जब ब्रिज बनकर तैयार हो जाए तब लोड टेस्टिंग की जाती है। यह चेक करने के लिए कि जिस लोड के लिए ब्रिज डिजाइन किया गया है उतने लोड में सुरक्षित है अथवा नहीं और चेक करने के बाद ही उस पुल को जनता के लिए खोला जाता है।
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* "How to build bridges in river sea etc. when there is excessive water"
Whenever you go for many trips, there will be a bridge over the river on the way or if you have ever seen it in a movie or somewhere, then it must have come to mind that how it can happen. How would a bridge have been built on a river or community? Even after such deep water, the builders of the bridge must have erected it in the right place and they are also so safe that a train, bus or train can easily pass over it.
असलIn fact, when someone is built on a river or a memory, it is first designed and the maximum and minimum depth of water, the speed of water flow, the nature of the underwater soil, the weight of the bridge, on the bridge while making it. The load etc. of the moving vehicles are kept and then the type of foundation of the bridge is decided and then its foundation is designed.
* There are generally two types of bridge foundations in water *
1). Pile Foundation
2). Well Foundation
* Now it comes to know how to work in flowing water? *
Now before making the bridge, a strong iron bridge is made for temporary access in water for this. With the help of this bridge, a wooden pile is inserted in water in a circular shape. Then sand sacks are stuck between them, so that they stand more firmly. Now the work of filling sand or soil in this circle starts, when the soil comes above the surface of the water, then engineers, laborers and machines start their work to build the foundation with an iron bridge.
* We divide the structure of the app into two parts *
1. Substructure
2. Super structure
This part which is below ground level is called sub structure. It is also called foundation or foundation. It has been described above how it is kept. Now we will know about the above ground. Where the base is made to stop the bridge in the middle of the bridge, it is called Pier. The distance between two piers is called the period. The type of bridge is decided according to the span.
Can be divided in this way *
1. Solid slab - for Spain of 10–15 m.
2. Girder - for Spain of 60–80 meters.
3. Segment - For Spain over 80 meters.
Where the water level of rivers is not very high and their width is reduced over time! Girder is used there. The girder can be made directly in its place or in the casting yard. The girder built in the casting yard is mounted on the pier cap with the help of a crane. Then segment bridges are designed for where the water level is high. Due to which the span becomes much longer. Segments are first cast in the casting yard for this. Then pick them up and add them on either side of the pier.
At last, this work is done:
High Tensile Stand Wire is used to connect the segments. It is pulled through a very powerful jack passing through the segment and jammed with a cement compound. The gap between the two segments is filled with epoxy. Then finally when the bridge is ready, load testing is done. To check whether the load for which the bridge is designed is safe under that load and only after checking that bridge is opened to the public.