आज का विज्ञान
_नशीली चीजों की लत क्यों लगती है_
आनंद, फिर ललक, और फिर उसके बिना ना रह पाने की हालत विज्ञान की नजर से देखिए कि किसी भी नशीली चीज की लत क्यों लग जाती है। किसी भी तरह का नशा हो, उसकी लत लग ही जाती है। ऐसा सोचने वाले हमेशा गलत साबित होते हैं जो पहले तो अपनी मर्जी से कोई नशीला पदार्थ लेना शुरु करते हैं, लेकिन बाद में वो नशा उन्हें नहीं छोड़ता। विज्ञान की नजर से जानने की कोशिश करते हैं कि किसी नशे की लत कैसे लगती है। असल में इन चीजों का सीधा असर दिमाग पर होता है। इनके कारण दिमाग के कुछ हिस्से प्रभावित होते हैं, जो बिल्कुल वैसी ही भावनाएं पैदा करते हैं जैसी लोगों को दूसरी खुशी देने वाले कामों से मिलती है जैसे कि कुछ अच्छा खाने से। लेकिन अंतर ये है कि नशीले पदार्थों से पैदा होने वाली आनंद की ये भावना उसकी तुलना में कहीं ज्यादा प्रबल होती हैं। इनके कारण मस्तिष्क की कुछ कोशिकाओं से डोपामिन हॉर्मोन के रूप में कुछ रासायनिक संदेश भी निकलते हैं। यही वह चीज है जो और ज्यादा ड्रग्स लेने के लिए प्रेरित करता है। समय के साथ साथ यही डोपामाइन का स्राव दिमाग में ऐसी उत्कट इच्छा पैदा करता है, जो कि कई बार नशा छोड़ने की कोशिश कर रहे लोगों को दुबारा अपनी चपेट में ले लेता है। ब्रेन सर्किट्स में कई नशीले पदार्थ ऐसे असर करते हैं कि सांसें धीमी चलने लगती हैं और उनींदापन सा महसूस होता है। बार बार नशा करने से दिमाग के यह सर्किट इस तरह के ढल जाते हैं कि ड्रग्स लेते समय इंसान काफी सामान्य महसूस करने लगता है। उस हाल में ऐसा होता है कि जब वो इंसान नशा नहीं करता है तो वह चिड़चिड़ा और परेशान सा हो जाता है - जहां से विड्रॉवल के लक्षणों की शुरुआत होती है। इससे लोगों का खुद पर से नियंत्रण धीरे धीरे कम होने लगता है। ऐसे में अगर वे कभी ना भी चाहें, तो उन्हें नशा करना पड़ता है।
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Today's science
_Why do you get addicted to drugs?
Anand, then ardor, and then the condition of not being able to live without it, see from the point of view of science why one gets addicted to any drug. If there is any kind of intoxication, it becomes addictive. Such thinkers are always proved wrong who first start taking any intoxicating substance of their own free will, but later that drug does not leave them. From the point of view of science, we try to know how an addict feels. Actually, these things have a direct effect on the mind. Because of this, some parts of the brain are affected, which create exactly the same feelings as people get from other pleasurable activities such as eating something good. But the difference is that this feeling of pleasure arising out of narcotics is much stronger than that. They also cause some chemical messages in the form of dopamine hormones from certain brain cells. This is what drives more drugs. Over time, this same dopamine secretion creates such a fervent desire in the brain, which at times re-engulfs people trying to quit. Many drugs in brain circuits have effects that make breathing slow and feel like drowsiness. Due to frequent intoxication, these circuits of the brain get molded in such a way that a person starts feeling normal while taking drugs. It happens in such a situation that when that person does not get intoxicated, he becomes irritable and irritated - from where the symptoms of withdrawal begin. This causes people to lose control of themselves gradually. In such a situation, if they never want to, then they have to get intoxicated.